डिजीटल डेस्क : Haryana Made Record – भाजपा के हैट्रिक के बाद कांग्रेसी खेमे में मची खलबली। हरियाणा में मंगलवार को घोषित हुए विधानसभा चुनाव परिणामों ने सभी को अचंभे में डाल दिया है।
सभी में यही चर्चा का विषय है कि आखिर भाजपा ने जनता के बीच कौन सी गुगली चली कि एक्जिट पोल तक अच्छी बैटिंग करती दिख रही कांग्रेस आखिरी समय पर क्लीन बोल्ड हो गई। 10 सालों के सत्ता के वनवास का खात्मा करीब आकर फिर से छिटक गया। इन आए चुनावी नतीजों से कांग्रेस में खलबली है।
अंदरूनी कलह समेत अन्य कारण भी बने कांग्रेसी हार की वजह
हरियाणा विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को हार मिली है। पार्टी को पूरी उम्मीद थी कि इस बार सत्ता में उलटफेर होगा लेकिन ऐसा नहीं हुआ। चुनावी विश्लेषक भी हैरान हैं कि आखिर ऐसा क्यों हुआ और अब वे भी मान रहे हैं कि कांग्रेस की हार में कई कारण जमीनी स्तस पर मुखर रहे। सबसे पहला तो कांग्रेस प्रचार में काफी पिछड़ गई।
भाजपा जहां चुनावों की घोषणा होने से पहले ही चुनावी मूड में आ गई थी वहीं कांग्रेस नेता प्रत्याशियों की सूची के लिए दिल्ली के ही चक्कर लगाते रहे। पार्टी का शीर्ष नेतृत्व भी प्रचार में काफी देर से उतरा।
इसी क्रम में कांग्रेस में गुटबाजी हावी रही। पूर्व सीएम भूपेंद्र सिंह हुड्डा और सांसद कुमारी सैलजा के बीच तनातनी तो पूरे चुनाव में खुले तौर पर दिखा। सैलजा खुद को सीएम पद का प्रबल दावेदार बता चुकी हैं। वहीं चुनाव के दौरान कुमारी सैलजा के बारे में तथाकथित भूपेंद्र हुड्डा समर्थक की अभद्र टिप्पणी से बड़ा बवाल मचा। खुद सैलजा ने प्रचार से दूरी बना ली।
बाद में राहुल गांधी उन्हें मंच पर लाए और हुड्डा से हाथ मिलवाया। हालांकि अब भी दोनों एक साथ नहीं आए।

अंदरूनी खटपट में भी पावर सेंटर बने थे भूपेंद्र हुड्डा, मुद्दे भुनाने में भी पिछड़े कांग्रेस नेता
कांग्रेस में हरियाणा को लेकर टिकट वितरण से लेकर तमाम मामलों को लेकर हाईकमान की तरफ से पूर्व सीएम भूपेंद्र सिंह को फ्री हैंड करने का फार्मूला भी उल्टा पड़ा। सांसद कुमारी सैलजा और रणदीप सुरजेवाला खुलकर इसे जाहिर भी किया। सैलजा ने कुछ ही सीटों पर प्रचार किया। पहले से ही खेमों में बंटी कांग्रेस को इसका नुकसान हुआ है।
साथ ही किसान, पहलवान और जवान का मुद्दा भी कांग्रेस भुनाने में कामयबा नहीं रही। इनके अलावा, कांग्रेस के खिलाफ भाजपा ने पर्ची खर्ची का मुद्दा बनाया और इसको जमकर भुनाया भी।
कांग्रेस पर्ची खर्ची की काट नहीं कर पाई, बल्कि कांग्रेस के प्रत्याशियों ने खुले तौर पर यह बयान दिए कि कोटे से नौकरियां मिलेंगी, इसका प्रदेशभर में गलत संदेश गया और भाजपा ने इसी मुद्दे को भुनाया। कांग्रेस मैरिट मिशन को लेकर कोई ठोस रणनीति नहीं बना पाई।
दूसरा., राहुल गांधी ने लोकसभा चुनावों की तर्ज पर ही संविधान के मुद्दे को भुनाने की कोशिश की, लेकिन लोगों में यह फार्मूला इस बार नहीं चला।
रही-सही कसर के रूप में कांग्रेस की लुटिया इनके नेताओं के अनाप-शनाप बयानों ने डुबो दी। असंध के कांग्रेस उम्मीदवार शमशेर गोगी ने कहा था कि कांग्रेस जीतती है तो पहले अपना घर भरेंगे।
इसका वीडियो वायरल होने के बाद भाजपा ने इस मुद्दे को भ्रष्टाचार से जोड़ा और कांग्रेस पर आक्रामक रुख अख्तियार कर लिया। कांग्रेस ने डैमेज कंट्रोल का प्रयास किया लेकिन तब तक नुकसान हो चुका था।
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