प्रयागराज। महाकुंभ 2025 का शुभारंभ कल से शाही स्नान के साथ, बढ़ेगी देश की जीडीपी भी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की देखरेख में और सीएम योगी आदित्यनाथ की अगुवाई में यूपी के प्रयागराज में महाकुंभ 2025 का विधिवत शुभारंभ 13 जनवरी यानी कल से होने जा रहा है। इस मेले का महत्व न केवल धार्मिक है बल्कि इसका ज्योतिषीय आधार भी है।
यह 12 साल में एक बार आता है, जिसका आयोजन भारत के चार प्राचीन शहरों हरिद्वार, नासिक, प्रयागराज और उज्जैन में होता है। इन संगम के पवित्र जल में कुंभ के स्नान और पूजा-अर्चना का सबसे बड़ा मौका होता है। मानव जाति का सबसे बड़ा सांस्कृतिक समागम माने जाने वाला महाकुंभ न केवल आध्यात्मिक महत्व रखता है, बल्कि इसका आर्थिक प्रभाव भी असाधारण होता है।
इस बार महाकुंभर 2025 से देश को 4 लाख करोड़ रुपये से अधिक के व्यापार का अनुमान है, जो भारत की अर्थव्यवस्था को बड़े पैमाने पर बढ़ावा देगा। यह आयोजन न केवल जीडीपी में 1% से अधिक की वृद्धि करेगा, बल्कि सरकारी राजस्व को भी नई ऊंचाइयों पर ले जाएगा।
महाकुंभ में स्नान करने से पापों से मुक्ति मिलने की है मान्यता…
बताया जा रहा है कि मान्यता है कि कुंभ के मेले में स्नान करने से पापों से मुक्ति मिल जाती है। समुद्र के मंथन से निकले अमृत को पाने के लिए देवताओं और राक्षसों में 12 वर्षों तक युद्ध चला था। उस युद्ध के दौरान कलश में से जिन स्थानों पर अमृत की बूंदें गिरीं वहां पर कुंभ मेला आयोजित किया जाता है। 12 वर्षों तक युद्ध चलने के कारण ही कुंभ हर 12 वर्ष में एक बार आता है।
महाकुंभ के स्नान को शाही स्नान के नाम से जाना जाता है। महाकुंभ का पहला शाही स्नान कल पूर्णिमा के शुभ अवसर पर होगा। हिंदू पंचांग के अनुसार, पूर्णिमा तिथि की शुरुआत 13 जनवरी यानी कल सुबह 5 बजकर 03 मिनट पर होगी और तिथि का समापन 14 जनवरी को अर्धरात्रि 3 बजकर 56 मिनट पर होगा। इस बार महाकुंभ खास माना जा रहा है क्योंकि 144 साल बाद एक दुर्लभ संयोग बनने जा रहा है।
इसका संबंध समुद्र मंथन से माना जाता है, जिसके दौरान देवताओं और राक्षसों ने अमृत के लिए संघर्ष किया था। इस दिन सूर्य, चंद्रमा और बृहस्पति ग्रहों की शुभ स्थिति बन रही है जो कि उस समय समुद्र मंथन के दौरान भी बनी थी।
साथ ही, महाकुंभ पर रवि योग का निर्माण होने जा रहा है। रवि योग कल सुबह 7 बजकर 15 मिनट से होगा और 10 बजकर 38 मिनट पर इसका समापन होगा। इसी दिन भद्रावास योग का भी संयोग बन रहा है और इस योग में भगवान विष्णु की पूजा करना विशेष फलदायी माना जाता है।
महाकुंभ 2025 के शाही स्नान की तिथियों और मेले के पुराृृणैतिहासिक महत्व को जानें…
अब तक सामने आई जानकारी के मुताबिक, यहां महाकुंभ 2025 मेले में छह शाही स्नान होंगे। महाकुंभ मेला का पहला शाही स्नान 13 जनवरी यानी कल होगा। दूसरा शाही स्नान 14 जनवरी 2025 को मकर संक्रांति पर होगा जबकि तीसरा स्नान 29 जनवरी 2025 को मौनी अमावस्या पर होगा। इसी क्रम में चौथा शाही स्नान 2 फरवरी 2025 को बसंत पंचमी पर होगा जबकि पांचवां शाही स्नान 12 फरवरी 2025 को माघ पूर्णिमा पर होगा और आखिरी शाही स्नान 26 फरवरी 2025 को महाशिवरात्रि पर होगा।
मान्यता के अनुसार, महाकुंभ मेले का संबंध समुद्र मंथन से माना जाता है। इसको लेकर कथा है कि एक बार ऋषि दुर्वासा के श्राप से इंद्र और अन्य देवता कमजोर पड़ गए थे। उसका लाभ उठाते हुए राक्षसों ने देवताओं पर आक्रमण कर दिया था और उस युद्ध में देवताओं की हार हुई थी। तब सभी देवता मिलकर सहायता के लिए भगवान विष्णु के पास गए और उन्हें सारी बात बताई।
भगवान विष्णु ने राक्षसों के साथ मिलकर समुद्र मंथन कर के वहां से अमृत निकालने की सलाह दी। जब समुद्र मंथन से अमृत का कलश निकला, तो भगवान इंद्र का पुत्र जयंत उसे लेकर आकाश में उड़ गया। यह सब देखकर राक्षस भी जयंत के पीछे अमृत कलश लेने के लिए भागे और बहुत प्रयास करने के बाद दैत्यों के हाथ में अमृत कलश आ गया।
इसके बाद अमृत कलश पर अपना अधिकार जमाने के लिए देवताओं और राक्षसों के बीच 12 दिनों तक युद्ध चला था। समुद्र मंथन के दौरान अमृत कलश से कुछ बूंदें हरिद्वार, उज्जैन, प्रयागराज और नासिक में गिरी थीं। इसलिए इन्हीं चार स्थानों पर महाकुंभ मेले का आयोजन किया जाता है।
महाकुंभ 2025 में आने वाले 40 करोड़ तीर्थयात्रियों वास्ते यूपी सरकार ने 16 हजार करोड़ का किया निवेश
महाकुंभ 2025 के आयोजन को अर्थशास्त्रियों एवं आर्थिक आकलन के लिहाज से देखें तो भी एक भव्य तस्वीर उभरती है। उत्तर प्रदेश सरकार ने महाकुंभ के लिए 16,000 करोड़ रुपये का निवेश योजनाबद्ध ढंग से अलग-अलग चरणों में किया है। यह निवेश उच्च रिटर्न देने वाला साबित होने की संभावना है जिससे सांस्कृतिक और आर्थिक दोनों लाभ होते दिख रहे हैं।
उत्तर प्रदेश सरकार के अनुमान के अनुसार, इस आयोजन में 40 करोड़ से अधिक घरेलू और अंतरराष्ट्रीय आगंतुकों के भाग लेने की उम्मीद है। अगर प्रत्येक व्यक्ति औसतन 5,000-10,000 रुपये खर्च करता है, तो कुल खर्च 4.5 लाख करोड़ रुपये तक पहुंच सकता है। इसमें आवास, परिवहन, खानपान, हस्तशिल्प, और पर्यटन जैसे विभिन्न क्षेत्रों को फायदा होगा।
यह खर्च जनवरी और फरवरी के महीनों के दौरान अनियोजित अतिरिक्त आर्थिक गतिविधियों का प्रतिनिधित्व करता है। ऐसे में महाकुंभ 2025 से जीडीपी के आंकड़ों में 1% से अधिक की वृद्धि होने का अनुमान है। वित्तीय वर्ष 2023-24 में भारत की जीडीपी 295.36 लाख करोड़ रुपये थी, जो 2024-25 में 324.11 लाख करोड़ रुपये तक बढ़ने की उम्मीद है।
इस वृद्धि में महाकुंभ 2025 का महत्वपूर्ण योगदान होना तय माना जा रहा है। सरकार का कुल राजस्व, जिसमें जीएसटी, आयकर और अन्य अप्रत्यक्ष कर शामिल हैं, 1 लाख करोड़ रुपये तक पहुंच सकता है। अकेले जीएसटी संग्रह 50,000 करोड़ रुपये का आंकड़ा छूने का अनुमान है।
वैसे भी महाकुंभ जैसे आयोजन भारत की अर्थव्यवस्था के अद्वितीय ढांचे को उजागर करते हैं, जहां संस्कृति और वाणिज्य का मेल होता है। ऐतिहासिक रूप से, मेले और धार्मिक आयोजन व्यापार, पर्यटन और सामाजिक संबंधों को बढ़ाने में सहायक रहे हैं। महाकुंभ न केवल आर्थिक समृद्धि लाता है, बल्कि सामाजिक और सांस्कृतिक पुनर्जागरण का भी माध्यम बनता है।