Tuesday, October 21, 2025
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नीतीश कुमार ने मुख्यमंत्री आवास में मनाई दिवाली, बेटे निशांत कुमार भी रहे साथ

पटना. बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने इस वर्ष प्रकाश पर्व दीपावली को पारंपरिक ढंग से मुख्यमंत्री आवास में मनाया। उन्होंने अपने हाथों से दीप जलाकर दीपोत्सव की शुरुआत की। इस अवसर पर उनके बेटे निशांत कुमार भी मौजूद रहे। मुख्यमंत्री ने प्रदेशवासियों को दीपावली की हार्दिक शुभकामनाएं दीं। उन्होंने कहा कि दीपावली अंधकार पर प्रकाश, अज्ञान पर ज्ञान और बुराई पर अच्छाई की विजय का प्रतीक है। इस पर्व को पारस्परिक सौहार्द्र, सद्भाव और उल्लास के साथ मनाएं। उन्होंने कामना की कि यह पर्व राज्य में सुख, शांति और समृद्धि लेकर आए और हर घर में खुशहाली का उजियारा...

Ranchi: मोबाइल छीनकर भाग रहे अपराधी को युवक ने पकड़ा, जानिए फिर क्या हुआ

Ranchi: राजधानी रांची के अरगोड़ा थाना क्षेत्र अंतर्गत कडरू टीओपी के पास उस वक्त सनसनी फैल गई जब एक व्यक्ति का मोबाइल छीनकर भाग रहे अपराधियों का स्थानीय युवक पवन ने स्कूटी से पीछा कर उन्हें रोकने की कोशिश की। जानकारी के मुताबिक, दो बाइक सवार युवक एक राहगीर का मोबाइल छीनकर फरार होने की कोशिश कर रहे थे। तभी पवन नामक युवक ने साहस दिखाते हुए स्कूटी से उनका पीछा किया। पीछा करने के दौरान पवन और एक अपराधी के बीच हाथापाई भी हुई। इस दौरान पवन ने झपटमार से मोबाइल फोन बरामद कर लिया। खुद को फंसता देख...

JMM नहीं लड़ेगी बिहार विधानसभा का चुनाव, राजद और कांग्रेस को ठहराया जिम्मेदार

रांची. बिहार विधानसभा चुनाव 2025 से ठीक पहले विपक्षी गठबंधन INDIA में गंभीर दरार उभरती दिख रही है। झारखंड की प्रमुख पार्टी झारखंड मुक्ति मोर्चा (JMM) ने ऐलान किया है कि वह बिहार में चुनाव नहीं लड़ेगी। पार्टी ने कहा कि घोषित 6 सीटों में से किसी एक पर भी उसे उम्मीदवार उतारने का मौका नहीं दिया गया।RJD-कांग्रेस पर आरोप JMM के वरिष्ठ नेता और मंत्री सुदीव्य कुमार सोनू ने कहा कि इस स्थिति के लिए राजद (RJD) और कांग्रेस दोनों जिम्मेदार हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि दोनों दलों ने गठबंधन धर्म का पालन नहीं किया, और झामुमो को चुनावी...

‘प्रोजेक्ट डॉल्फिन’ के सर्वे में यूपी टॉप पर, बिहार दूसरे और झारखंड पांचवें स्थान पर

लखनऊ :प्रोजेक्ट डॉल्फिन’ के सर्वे में यूपी टॉप पर, बिहार दूसरे और झारखंड पांचवे स्थान पर। ‘प्रोजेक्ट डॉल्फिन’ के तहत देश में हुए व्यापक सर्वे में यूपी टॉप पर आया है जबकि पंजाब एकदम से निचले पायदान पर है।

डॉल्फिन की आबादी को संरक्षित करने एवं बढ़ाने के मामले में यूपी के बाद बिहार में काफी संजीदगी दिखी है। देश की नदियों में डॉल्फिन के जारी पहले सर्वे रिपोर्ट के मुताबिक देश में गंगा, ब्रह्मपुत्र और सिंधु नदी तंत्र में 6324 डॉल्फिन हैं।

इनमें सबसे अधिक 2,397 उत्तर प्रदश में हैं। इसके बाद बिहार में 2,220 और पश्चिम बंगाल में 815 डॉल्फिन पाई गईं।

अन्य राज्यों में असम में 635, झारखंड में 162, जबकि राजस्थान और मध्य प्रदेश में 95 डॉल्फिन दर्ज की गईं। पंजाब में इनकी संख्या सबसे कम रही। पंजाब में केवल 3 डॉल्फिन पाई गईं।

PM Modi ने जारी की डॉल्फिन सर्वे रिपोर्ट

विश्व वन्यजीव दिवस के मौके पर इस पहले सर्वे की रिपोर्ट खुद PM Modi ने जारी की। यह सर्वेक्षण 8 राज्यों की 28 नदियों में फैले 8,507 किलोमीटर के क्षेत्र में किया गया।

गंगा नदी की डॉल्फिन, जो अपनी अनूठी विशेषताओं के लिए जानी जाती है, भारत, बांग्लादेश, नेपाल और भूटान में गंगा-ब्रह्मपुत्र-मेघना नदी प्रणाली और इसकी सहायक नदियों में पाई जाती है। भारत में सिंधु नदी प्रणाली में गंगा नदी की डॉल्फिन की एक छोटी आबादी पाई जाती है, जो गंगा नदी डॉल्फिन की एक करीबी रिश्तेदार है।

बता दें कि PM नरेंद्र Modi ने 15 अगस्त, 2020 को डॉल्फिन और अन्य जलीय पारिस्थितिकी प्रणालियों के संरक्षण के लिए प्रोजेक्ट डॉल्फिन की घोषणा की। डॉल्फिन की आबादी की निगरानी संरक्षण के लिए महत्वपूर्ण है, विशेष रूप से नदी डॉल्फिन के लिए, जिनकी वृद्धि दर धीमी है और जो दुनिया के कुछ सबसे खतरे वाले आवासों में रहती हैं।

सर्वे के दौरान 58 नदियों का मूल्यांकन किया गया। इनमें से 28 नदियों का नाव से सक्रिय रूप से सर्वेक्षण किया गया, जबकि 30 का अध्ययन सड़क सर्वेक्षण के माध्यम से किया गया, जिसमें उन स्थानों पर ध्यान केंद्रित किया गया जहां ऐतिहासिक रूप से गंगा नदी डॉल्फिन देखी गई थी।

डॉल्फिन के करतब की फाइल फोटो
डॉल्फिन के करतब की फाइल फोटो

8 राज्यों की 28 नदियों में हुआ डॉल्फिन आबादी का सर्वे

यह डॉल्विन आबादी का सर्वेक्षण 8 राज्यों की 28 नदियों में फैले 8,507 किलोमीटर के क्षेत्र में किया गया। गंगा नदी की डॉल्फिन अपनी अनूठी विशेषताओं के लिए जानी जाती है। यह भारत, बांग्लादेश, नेपाल और भूटान में गंगा-ब्रह्मपुत्र-मेघना नदी प्रणाली और इसकी सहायक नदियों में पाई जाती है।

भारत में सिंधु नदी प्रणाली में गंगा नदी की डॉल्फिन की एक छोटी आबादी पाई जाती है, जो गंगा नदी डॉल्फिन की एक करीबी रिश्तेदार है। ‘प्रोजेक्ट डॉल्फिन’ के हिस्से के रूप में, आठ राज्यों – उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड, राजस्थान, मध्य प्रदेश, पश्चिम बंगाल, असम और पंजाब में नदी डॉल्फिन की आबादी का अनुमान लगाने के लिए पहली बार एक व्यापक सर्वेक्षण किया गया था।

भारत में नदी में पाई जाने वाली डॉल्फिन की जनसंख्या स्थिति रिपोर्ट के अनुसार, यह विश्व के सबसे बड़े ताजे पानी के सर्वेक्षणों में से एक है, जिसमें गंगा और ब्रह्मपुत्र में गंगा नदी डॉल्फिन की संपूर्ण शृंखला व व्यास नदी में सिंधु नदी डॉल्फिन को शामिल किया गया है।

सर्वेक्षण में 6,324 गंगा नदी डॉल्फिन (रेंज: 5,977-6,688) और तीन सिंधु नदी डॉल्फिन होने का अनुमान लगाया गया। ये दोनों स्वस्थ नदी पारिस्थितिकी तंत्र के जैव-सूचक मानी जाती हैं।

हालांकि ये प्रजातियां संकटग्रस्त श्रेणी में आती हैं और इन्हें वन्यजीव संरक्षण अधिनियम 1972 की अनुसूची में सूचीबद्ध किया गया है।

गंगा में डॉल्फिन की फाइल फोटो
गंगा में डॉल्फिन की फाइल फोटो

20वीं सदी के अंत तक गंगा में डॉल्फिनों की संख्या थी 4-5 हजार

जारी हुए इस सर्वे रिपोर्ट में डॉल्फिन को लेकर तमाम तरह की जानकारियां साझा की गई हैं। इसके अनुसार भारत में सिंधु नदी डॉल्फिन केवल ब्यास नदी में मौजूद है और इसकी संख्या काफी कम है, जिससे इसके संरक्षण की सख्त जरूरत है।

यह प्रजाति हर साल केवल एक या दो बच्चों को जन्म देती है, जो आमतौर पर गर्मी के महीनों में पैदा होते हैं। नवजात डॉल्फिन की लंबाई करीब 111 से 116.3 सेंटीमीटर (43.7 से 45.7 इंच) होती है और उनका वजन लगभग 10 से 20 किलोग्राम (22 से 44 पाउंड) के बीच होता है।

जारी सर्वे रिपोर्ट में बताया गया है कि डॉल्फिनों के आवास, प्रजनन स्थल, गतिविधियों और शिकार करने की आदतों को लेकर अभी भी सीमित जानकारी उपलब्ध है। हालांकि, कुछ शोधों से पता चला है कि ये प्रजातियां संगम स्थलों, नदी के मोड़ों और मध्य-धारा के द्वीपों को पसंद करती हैं।

डॉल्फिन की फाइल फोटो
डॉल्फिन की फाइल फोटो

बताया गया है कि 20वीं सदी के अंत तक गंगा नदी में डॉल्फिनों की संख्या 4 से 5 हजार के बीच थी, लेकिन अब यह घटकर लगभग 1,800 रह गई है। 1980 के बाद से करीब 500 ज्ञात मौतें मत्स्य पालन में गलती से फंसने या शिकार के कारण हुई हैं।

जारी सर्वे रिपोर्ट के अनुसार डॉल्फिन एक ‘अंब्रेला प्रजाति’ के रूप में कार्य करती हैं, जिसका संरक्षण इनके आवास और जैव विविधता पर सकारात्मक प्रभाव डालता है।

इस परियोजना का उद्देश्य नदी और समुद्री डॉल्फिनों को वैज्ञानिक दृष्टिकोण से संरक्षित करना और सभी संबंधित पक्षों को एक मंच पर लाना है। जिन प्रजातियों के संरक्षण से उनके आवास में रहने वाली दूसरी प्रजातियों का भी संरक्षण होता है, उन्हें अंब्रेला यानी छाता प्रजाति कहते हैं।

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