पटना: रेलवे भर्ती प्रकोष्ठ ने विभाग में विभिन्न पदों पर नियुक्ति के लिए अधिसूचना के करीब दो वर्षों बाद परीक्षा ली और परिणाम भी जारी किया जिसके बाद अभ्यर्थियों में एक उम्मीद तो जगी लेकिन मेधा सूची देखने के बाद उनकी उम्मीदों पर एक बार फिर पानी फिर गया। मामले को लेकर अभ्यर्थियों ने रेलवे भर्ती प्रकोष्ठ से परीक्षा परिणाम संशोधित कर दुबारा प्रकाशित करने की मांग की है।
अभ्यर्थियों ने रेलवे भर्ती प्रकोष्ठ जबलपुर में भी इसी तरह की गलती का उल्लेख करते हुए यह भी बताया है कि इसी तरह की गलती जबलपुर रेलवे भर्ती प्रकोष्ठ ने जीडीसीई परीक्षा 2022 में की थी लेकिन अभ्यर्थियों ने जब परिणाम पर सवाल उठाया तो फिर भर्ती प्रकोष्ठ ने अपनी गलती में सुधार की और संशोधित परिणाम जारी किया था। अभ्यर्थियों ने बताया कि पटना रेलवे भर्ती प्रकोष्ठ ने जीडीसीई परीक्षा के तहत अगस्त 2023 में विभिन्न पदों पर भर्ती के लिए विज्ञापन जारी किया था। विज्ञापन में आवेदन के आधार पर भर्ती प्रकोष्ठ ने 10 जनवरी को परीक्षा आयोजित की।
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परीक्षा का परिणाम 19 जून को प्रकाशित किया गया जिसमें भर्ती प्रकोष्ठ ने पूर्व में जारी मेधा सूचकांक नियम की अनदेखी की है। छात्रों ने कहा कि मेधा सूचकांक में विभिन्न शाखाओं के अलग अलग टॉप 10 अभ्यर्थी या 0.1% अभ्यर्थी का औसत निकाल कर मेधा सूचकांक तैयार किया जाता है लेकिन परीक्षा परिणाम में इस नियम को नहीं माना गया है जिसकी वजह से एक खास विभाग के अभ्यर्थियों को अनुचित लाभ मिल रहा है। साथ ही परीक्षा परिणाम विभाग के पारदर्शिता एवं निष्पक्षता पर भी सवाल खड़ा करता है।
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