रांची: झारखंड राज्य आवास बोर्ड की संपत्तियों की ई-लॉटरी और ई-नीलामी को लेकर लोगों में अपेक्षित उत्साह नहीं देखा जा रहा है। हाल ही में आयोजित बोर्ड बैठक में इस मुद्दे पर गंभीर चिंता जताई गई। बैठक में यह सामने आया कि जितने आवास या दुकानों के लिए आवेदन आमंत्रित किए जा रहे हैं, उससे आधे भी आवेदन नहीं मिल रहे हैं। आवास बोर्ड अब संभावित कारणों की पहचान कर रहा है ताकि सुधारात्मक कदम उठाए जा सकें।
हरमू और अरगोड़ा फ्लैट के लिए उम्मीद से कम आवेदन
रांची स्थित हरमू और अरगोड़ा हाउसिंग कॉलोनी में 181 फ्लैटों के लिए 9 अप्रैल को ई-लॉटरी होनी थी। इन फ्लैट्स की कीमतें 15 लाख से 72 लाख रुपये के बीच थीं और लीज 90 वर्षों के लिए दी जा रही थी। इसके लिए केवल 101 आवेदन आए, जिनमें से सिर्फ 57 ही दस्तावेजों की जांच में सही पाए गए।
लोगों की उदासीनता के संभावित कारण:
संपत्तियों की कीमतें बाजार दर से अधिक
पुरानी इमारतों की गुणवत्ता और रखरखाव में कमी
ई-लॉटरी और आवेदन प्रक्रिया का प्रचार-प्रसार सीमित
ऑनलाइन आवेदन प्रणाली का यूज़र-फ्रेंडली न होना
सिर्फ 120 किस्तों में भुगतान की शर्त
रेसिडेंस सर्टिफिकेट की बाध्यता
आवास वेलफेयर एसोसिएशन की अनुपस्थिति और अतिक्रमण की समस्या
दुकानों का आकार छोटा और मूल्य अधिक
हजारीबाग और डालटेनगंज में भी स्थिति चिंताजनक
आवास बोर्ड ने हजारीबाग और डालटेनगंज में कुल 490 मकान, फ्लैट और भूखंडों के लिए आवेदन मांगे थे, लेकिन अंतिम तिथि तक केवल 198 आवेदन ही प्राप्त हुए। इन आवेदनों की स्क्रूटनी फिलहाल जारी है।
नीलामी में भी रुचि नहीं, आवास बोर्ड को लौटाने पड़े पैसे
रांची प्रमंडल में स्थित विभिन्न कॉलोनियों की 51 दुकानों की 12 दिसंबर 2024 को नीलामी की गई थी, लेकिन केवल छह आवेदन आने पर नीलामी प्रक्रिया रद्द कर दी गई। जिन लोगों ने आवेदन किया था, उन्हें एडवांस में दी गई राशि लौटाई जा रही है।
बोर्ड की मंशा
आवास बोर्ड का मानना है कि योजनाओं को लोकप्रिय बनाने के लिए न केवल दरों में यथार्थवादी संशोधन की आवश्यकता है, बल्कि प्रचार, तकनीकी सुधार और पारदर्शिता सुनिश्चित करना भी जरूरी है।