रांची: खरीफ के मौसम में फसल लगाने का समय लगभग समाप्त हो गया है, लेकिन कृषि विभाग के तय लक्ष्य की तुलना में इस बार करीब 30 फीसदी जमीन खाली रह गई। विभाग ने खरीफ में 28.26 लाख हेक्टेयर (2826 हजार हेक्टेयर) में खेती का लक्ष्य रखा था, जबकि अब तक केवल 20.70 लाख हेक्टेयर (2070 हजार हेक्टेयर) में ही फसल लग पाई है।
- दलहन : 5.98 लाख हेक्टेयर का लक्ष्य था, लेकिन केवल 2.41 लाख हेक्टेयर (41%) में ही बोआई हुई।
- तेलहन : 1.92 लाख हेक्टेयर का लक्ष्य, लेकिन केवल 0.60 लाख हेक्टेयर (35%) में ही।
- मोटा अनाज : 0.69 लाख हेक्टेयर का लक्ष्य, पर केवल 0.30 लाख हेक्टेयर (45%) में।
आपदा प्रबंधन विभाग ने इसे गंभीरता से लेते हुए सभी जिलों के उपायुक्तों को पत्र लिखा है। जिलों से अतिवृष्टि से प्रभावित खेती की पहचान कर रिपोर्ट भेजने को कहा गया है। इसी आधार पर किसानों को मुआवजा दिया जाएगा। विभाग ने स्पष्ट किया है कि 33 फीसदी से अधिक नुकसान पर मुआवजे का प्रावधान है। राज्य सरकार ने अतिवृष्टि को स्थानीय आपदा की श्रेणी में रखा है।
जिलावार स्थिति
कृषि विभाग की रिपोर्ट के अनुसार,
- पूर्वी सिंहभूम : केवल 77% खेतों में धान
- प. सिंहभूम : मात्र 66% खेतों में धान
- धनबाद : 73% खेतों में धान
- रांची : 85% खेतों में धान
- रामगढ़ व जामताड़ा : लक्ष्य से अधिक खेतों में धान की बुआई
धान की बुआई 90 फीसदी खेतों में
फसलवार स्थिति देखें तो इस खरीफ में धान का आच्छादन बेहतर रहा है। कृषि विभाग ने 17.88 लाख हेक्टेयर में धान लगाने का लक्ष्य तय किया था, जिसके मुकाबले अब तक करीब 15.85 लाख हेक्टेयर (लगभग 90%) खेतों में धान की बुआई हो चुकी है।
कृषि विभाग ने जिला कृषि पदाधिकारियों को निर्देश दिया है कि प्रभावित किसानों को चिह्नित कर राहत योजना का लाभ सुनिश्चित कराएं।