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गयाजी : गयाजी के दुर्गाबाड़ी पूजा समिति में दशमी के मौके पर मां दुर्गा की विदाई भावुक माहौल में हुई। इस अवसर पर बंगाली समाज की महिलाओं ने पारंपरिक ‘सिंदूर खेला’ के जरिए मां को विदा किया। सुहागिन महिलाओं ने मां दुर्गा के चरणों और माथे पर सिंदूर चढ़ाया, फिर एक-दूसरे की मांग सजाई और चेहरे पर भी सिंदूर लगाकर उल्लास बांटा। पूरी तरह से पारंपरिक भारतीय परिधान में महिलाएं भक्ति और आनंद में सराबोर दिखीं।
हर वर्ष की तरह इस बार भी दुर्गाबाड़ी पूजा समिति की ओर से भव्य प्रतिमा स्थापित की गई थी – सुजाता चक्रवर्ती
इस मौके पर समिति की पदाधिकारी सुजाता चक्रवर्ती ने बताया कि हर वर्ष की तरह इस बार भी दुर्गाबाड़ी पूजा समिति की ओर से भव्य प्रतिमा स्थापित की गई थी। षष्ठी से मां की पूजा शुरू हुई और फिर सप्तमी, अष्टमी और नवमी पर पूरे विधि-विधान और बंगाली परंपरा के साथ विशेष अनुष्ठान किए गए। दशमी को मां की विदाई हुई और इसी दौरान सिंदूर खेला आयोजित किया गया। उन्होंने कहा कि हम सब मां से यही प्रार्थना करते हैं कि वह अपने बच्चों की झोली खुशियों से भर दें। मां हमें हर संकट से उबारें और शक्ति व समृद्धि प्रदान करें। विसर्जन के साथ ही सभी श्रद्धालु अगले वर्ष मां के फिर से आगमन की प्रतीक्षा में डूब गए।
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गयाजी की दुर्गाबाड़ी पूजा समिति का यह आयोजन शहर के प्रमुख धार्मिक आयोजनों में से एक माना जाता है
गौरतलब है कि गयाजी की दुर्गाबाड़ी पूजा समिति का यह आयोजन शहर के प्रमुख धार्मिक आयोजनों में से एक माना जाता है। यहां न सिर्फ बंगाली समाज बल्कि स्थानीय लोग भी बड़ी संख्या में जुटते हैं। खासकर दशमी के दिन होने वाला सिंदूर खेला अब गयाजी की सांस्कृतिक पहचान बन चुका है। महिलाएं मानती हैं कि यह उत्सव वैवाहिक जीवन की खुशहाली और परिवार की समृद्धि का प्रतीक है। मां दुर्गा की विदाई के साथ पूरे पंडाल में भावुकता और आस्था का अद्भुत संगम देखने को मिला। श्रद्धालुओं की आंखें नम थीं लेकिन मन में विश्वास था कि अगले साल मां फिर से अपने भक्तों को आशीर्वाद देने गयाजी जरूर लौटेंगी।
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आशीष कुमार की रिपोर्ट