सीतामढ़ी : बिहार विधानसभा चुनाव-2025 के तहत नामांकन प्रक्रिया को निष्पक्ष, पारदर्शी और व्यवस्थित तरीके से संपन्न कराने के निमित्त जिला प्रशासन द्वारा पूरी तैयारी कर ली गई है। निर्वाचन आयोग की मार्गदर्शिका के अनुरूप प्रत्येक विधानसभा क्षेत्र में नामांकन प्रक्रिया सुचारु रूप से संचालित हो, इसके लिए जिला निर्वाचन पदाधिकारी सह जिलाधिकारी रिची पांडेय स्वयं लगातार निरीक्षण कर रहे हैं।
DM ने RO से नामांकन से संबंधित समस्त तैयारी की जानकारी ली व आवश्यक दिशा-निर्देश दिए
जिलाधिकारी ने इस दौरान उन्होंने निर्वाची पदाधिकारियों (RO) से नामांकन से संबंधित समस्त तैयारी की जानकारी ली और आवश्यक दिशा-निर्देश दिए। इस क्रम में आज उनके द्वारा समाहरणालय परिसर में चार नामांकन केंद्रों एवं अनुमंडल कार्यालय परिसर में दो नामांकन केंद्र का निरीक्षण किया। निरीक्षण के दौरान जिलाधिकारी ने स्पष्ट निर्देश दिया कि प्रत्येक रिटर्निंग ऑफिसर यह सुनिश्चित करें कि नामांकन के दौरान किसी भी अभ्यर्थी को किसी प्रकार की कठिनाई या असुविधा न हो। उन्होंने कहा कि नामांकन प्रक्रिया पूरी तरह पारदर्शी, सुरक्षित और निष्पक्ष होनी चाहिए।
ऑफिस के भीतर और बाहर CCTV लगातार क्रियाशील रहे – जिलाधिकारी
जिलाधिकारी ने सीसीटीवी कैमरों की स्थापना पर विशेष बल देते हुए कहा कि ऑफिस के भीतर और बाहर सीसीटीवी लगातार क्रियाशील रहे और उनका लोकेशन ऐसा हो कि पूरी नामांकन प्रक्रिया की रिकॉर्डिंग स्पष्ट रूप से हो सके। आयोग के गाइडलाइन का हवाला देते हुए जिला निर्वाचन पदाधिकारी ने आरओ को इन कैमरों से प्राप्त फुटेज को मतगणना की समाप्ति के 45 दिनों तक सुरक्षित रखने का निर्देश दिया ताकि भविष्य में आवश्यकता पड़ने पर उसका उपयोग किया जा सके। उन्होंने वीडियोग्राफी की समुचित व्यवस्था, हेल्प डेस्क की सक्रियता, प्रपत्रों की चेकलिस्ट की उपलब्धता, घड़ी का सही समय, नाजिर रसीद कटने की अद्यतन स्थिति और नामांकन स्थल की साफ-सफाई का भी गहन निरीक्षण किया। जिलाधिकारी ने कहा कि नामांकन पत्र, फॉर्म-26 (एफिडेविट) और हेल्प डेस्क की व्यवस्था को पूरी तरह सुदृढ़ और सुव्यवस्थित रखा जाए, ताकि किसी भी अभ्यर्थी को नामांकन प्रक्रिया में परेशानी का सामना न करना पड़े।
एफिडेविट (Form-26) – पारदर्शिता की आधारशिला
एफिडेविट (Form-26) चुनावी पारदर्शिता की सबसे अहम कड़ी है। यह एक कानूनी घोषणा पत्र होता है, जिसे हर अभ्यर्थी को नामांकन पत्र के साथ जमा करना अनिवार्य होता है। इसका उद्देश्य मतदाताओं को अभ्यर्थियों की पूरी जानकारी उनकी व्यक्तिगत, आर्थिक, शैक्षणिक और आपराधिक पृष्ठभूमि सार्वजनिक कराना है, ताकि लोकतंत्र में मतदाता अपने उम्मीदवार के बारे में सही सही जानकारी प्राप्त कर स्वतंत्र निर्णय ले सकें और चुनाव प्रक्रिया पारदर्शी बनी रहे। अभ्यर्थी शपथपूर्वक घोषणा करता है कि दी गई सभी जानकारी सत्य और संपूर्ण है। इस एफिडेविट से मतदाताओं को उम्मीदवार की पारदर्शी और सत्य जानकारी मिलती है, जिससे लोकतंत्र की विश्वसनीयता और जनता का भरोसा दोनों सुदृढ़ होते हैं।
हेल्प डेस्क की भूमिका – नामांकन को बनाना पारदर्शी और सरल
निर्वाचन आयोग के दिशा-निर्देश पर प्रत्येक विधानसभा क्षेत्र के निर्वाची पदाधिकारी (RO) कार्यालय में हेल्प डेस्क (Help Desk) की स्थापना की गई है। यह हेल्प डेस्क अभ्यर्थियों, उनके प्रतिनिधियों और आम नागरिकों के लिए सूचना, सहायता और तकनीकी मार्गदर्शन का केंद्र है।
हेल्प डेस्क का उद्देश्य
हेल्प डेस्क की स्थापना का मकसद नामांकन प्रक्रिया को पारदर्शी, सुगम और त्रुटिरहित बनाना है। कई बार दस्तावेजों की कमी या प्रारूप की जानकारी न होने से उम्मीदवारों को कठिनाई होती है। इस स्थिति से बचने के लिए हेल्प डेस्क एक सहायक केंद्र के रूप में काम करता है। यह अभ्यर्थियों को बताता है कि कौन-कौन से दस्तावेज अनिवार्य हैं। कौन-से प्रपत्र भरने हैं। समयसीमा क्या है। प्रक्रिया के प्रत्येक चरण में क्या सावधानियां रखनी हैं। हेल्प डेस्क अभ्यर्थियों को फॉर्म-2ए (नामांकन पत्र) भरने की पूरी प्रक्रिया बताता है। हेल्प डेस्क न केवल एक सूचना केंद्र है, बल्कि यह लोकतंत्र में पारदर्शिता की गारंटी है। नामांकन प्रक्रिया में अक्सर तकनीकी गलतियों के कारण कई अभ्यर्थियों के फॉर्म रद्द हो जाते हैं। हेल्प डेस्क ऐसी त्रुटियों को कम कर चुनाव प्रक्रिया को अधिक भरोसेमंद बनाता है।
जिलाधिकारी के निर्देश- ‘प्रत्येक हेल्प डेस्क हो सक्रिय और संवेदनशील’
जिला निर्वाचन पदाधिकारी सह जिलाधिकारी रिची पांडेय सभी विधानसभा क्षेत्रों में स्थापित हेल्प डेस्क को पूरी तरह सक्रिय और संवेदनशील बनाये रखने का निर्देश दिया है। उन्होंने कहा कि प्रत्येक हेल्प डेस्क पर प्रशिक्षित कर्मी मौजूद रहें। सभी आवश्यक प्रपत्र, दिशा-निर्देश पुस्तिका, चेकलिस्ट आदि उपलब्ध रहे। जिला निर्वाचन पदाधिकारी ने अधिकारियों को कहा कि किसी भी स्तर पर उदासीनता या लापरवाही बिलकुल बर्दाश्त नहीं की जाएगी। इनसे न केवल अभ्यर्थियों को सहयोग मिलता है, बल्कि मतदाताओं का भरोसा भी बढ़ता है कि पूरा चुनाव प्रक्रिया निष्पक्ष, जिम्मेदार और जनहित में संचालित हो रही है।
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अमित कुमार की रिपोर्ट
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