Dhanbad: कुड़मी समाज को अनुसूचित जनजाति (ST) में शामिल किए जाने की मांग के विरोध में आज आदिवासी समाज की ओर से जोरदार प्रदर्शन किया गया। गोल्फ ग्राउंड से हजारों की संख्या में आदिवासी पुरुष और महिलाएं पारंपरिक हथियारों के साथ जुलूस की शक्ल में निकले और विरोध प्रदर्शन किया।
जल,जंगल और जमीन की रक्षा के लगे नारे :
यह प्रदर्शन सोनोत संथाल समाज और अन्य आदिवासी संगठनों के बैनर तले आयोजित किया गया। जुलूस में शामिल लोग जल, जंगल और जमीन की रक्षा के नारे लगा रहे थे। प्रदर्शनकारियों ने कहा कि कुड़मी समाज की ओर से आदिवासी समाज में शामिल किए जाने की जो मांग की जा रही है, वह पूरी तरह से गलत और ऐतिहासिक रूप से अनुचित है।
नेताओं का बयान :
आदिवासी नेताओं ने कहा कि कुड़मी समाज कभी भी आदिवासी नहीं रहे हैं। वे आदिवासी संस्कृति, परंपरा और जीवनशैली से नहीं जुड़े हैं। हमारी पहचान जल, जंगल और जमीन से है, जो हमारी सभ्यता की नींव है। कुड़मी समाज की यह मांग न केवल असंवैधानिक है बल्कि आदिवासी अस्तित्व के लिए भी खतरा है। नेताओं ने यह भी बताया कि आज का यह विरोध प्रदर्शन सिर्फ शुरुआत है। यदि सरकार ने इस मुद्दे पर जल्द निर्णय नहीं लिया, तो आंदोलन को राज्यव्यापी स्तर पर आगे बढ़ाया जाएगा।
मेमोरेंडम सौंपा जाएगा :
प्रदर्शन के बाद आदिवासी प्रतिनिधिमंडल ने घोषणा की कि वे उपायुक्त को ज्ञापन (मेमोरेंडम) सौंपेंगे, जिसे राज्यपाल, मुख्यमंत्री, प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति के नाम भेजा जाएगा। ज्ञापन में मांग की जाएगी कि कुड़मी समाज को एसटी सूची में शामिल करने के किसी भी प्रस्ताव को तत्काल खारिज किया जाए।
पिछले दिनों कुड़मी समाज की ओर से एसटी में शामिल किए जाने की मांग को लेकर रेल रोको आंदोलन किया गया था, जिसके कारण राज्य के कई हिस्सों में रेल सेवाएं बाधित हुई थीं। अब उसके जवाब में आदिवासी समाज ने इस मांग का कड़ा विरोध शुरू कर दिया है।
रिपोर्टः अनिल पांडे
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