Patna- सूबे बिहार में जातीय जनगणना की उल्टी गिनती शुरु हो चुकी है.
इस दौरान हर बाशिंदे की हर जानकारी जुटायी जायेगी.
हर घर का एक नंबर होगा और यही नंबर भविष्य में घरों के स्थाई पता होगा.
जिसका उपयोग किसी भी पत्राचार में किया जाएगा,
इसके साथ ही उस इलाके की विस्तृत जानकारी भी जुटायी जायेगी.
अस्पताल, स्कूल, कॉलेज, पेयजल, सड़क और अन्य सरकारी सुविधाओं का जायजा लिया जायेगा.
जिससे कि इन आकंड़ों का उपयोग कर इन बाशिंदों के लिए भविष्य में बेहतर प्लानिंग किया जा सकें.
खास बात यह होगी कि जनगणना के दौरान घरों पर जो नम्बर चिपकाया या अंकित किया जायेगा,
उसे आप दो मीटर की दूरी से ही पढ़ सकेंगे.
अपने संसाधनों से बिहार में जातीय जनगणना करवा रही है सरकार
यहां बतला दें कि नीतीश सरकार ने बिहार में अपने दमखम पर
यानी संसाधनों पर जातीय जनगणना करवाने का निर्णय लिया है.
ताकि राज्य की आबादी में विभिन्न जातीय समूहों की संख्या को जाना जा सकें,
साथ ही सत्ता में उनकी हिस्सेदारी को सुनिश्चित किया जा सकें.
जातीय जनगणना की महत्ता को इससे ही समझा जा सकता है कि
आज भी हाईकोर्ट में राज्य के निकाय चुनावों में अतिपिछड़ों के आरक्षण को खत्म करने का आदेश दिया है.
क्योंकि राज्य सरकार के इस संदर्भ में ट्रिपल टेस्ट नहीं करवाया था.
ट्रिपल टेस्ट का मुख्य आधार संबंधित समुदाय या समूह की आबादी ही मानी जाती है.