हजारीबाग: संकल्प एजुकेशन फाउंडेशन और नार्कोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो, रांची जोन के संयुक्त तत्वावधान में वनांचल शिशु विद्या मंदिर में स्कूली बच्चे एवं उनके माता पिता के साथ नशामुक्ति पर एक महत्वपूर्ण परिचर्चा का आयोजन भाजपा नेता डॉ. अमित सिन्हा द्वारा किया गया। कार्यक्रम की शुरुआत मुख्य अतिथियों को अंगवस्त्र एवं पुष्पगुच्छ अर्पित कर, तथा दीप प्रज्वलित कर की गई, जिससे समारोह की सकारात्मकता को दर्शाया गया।
कार्यक्रम बतौर मुख्य अतिथि नारकोटिक्स के क्षेत्रीय निदेशक राणा प्रताप यादव उपस्थित हुए उन्होंने बच्चो एवं अभिभावकों को कहानियों के माध्यम से नशे एवं दवाइयों के दुष्प्रभाव के बारे में बताया नारकोटिक्स इंटेलिजेंस ऑफिसर मनोहर मंजुल ने वीडियो और फ़ोटो के माध्यम से बच्चों को समझाया। साथ ही साथ उनके भविष्य के लिए भी जानकारी देते हुए बताया कि अगर नशे के कारण उनपकर भविष्य में कोई मुक़दम्मा हो जाता है तो वे किसी भी सरकारी नौकरी के योग्य नही रहेंगे।
डॉ. अमित सिन्हा ने कहा कि हम अपने समाज मे देखते हैं कि अधिकांश बच्चे जो के 10वी पास करने के बाद नशे के गिरफ्त में आ जाते हैं क्यूंकि उन्हें इससे कैसे बचा जाए, इस विषय पर कोई जानकारी नहीं होती है। जरूरत है, हम उन्हें स्कूली शिक्षा के साथ साथ समाज में आई नशे की बीमारी से कैसे खुद को दूर रखें। साथ ही साथ विद्यालय के मित्र मोहल्ले के साथी, परिवार के सदस्यों एवं समाज के स्वजनों को इससे दूर रख सके इसकी जानकारी मिले। बच्चों को नशे के दुष्प्रभाव के बारे में जानकारी देते हुए डॉ. सिन्हा ने बताया कि नशा, चाहे वह शराब हो, तंबाकू हो या अन्य कोई मादक पदार्थ, समाज के विभिन्न पहलुओं को गहरे प्रभावित करता है। यह न केवल शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य को नुकसान पहुंचाता है, बल्कि पूरे समाज के सामाजिक ताने-बाने को भी कमजोर करता है।
नशे की आदत से व्यक्ति की सोचने-समझने की क्षमता में कमी आती है, पारिवारिक संबंधों में तनाव और विवाद बढ़ते हैं और समाज में असामंजस्य पैदा होता है। नशे का समाज पर गहरा और नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। यह न केवल व्यक्तिगत स्वास्थ्य को प्रभावित करता है, बल्कि पूरे समाज की समृद्धि और विकास में भी बाधा डालता है। नशा करने वाले व्यक्ति की आत्म-नियंत्रण क्षमता घट जाती है, जिससे वह अपराध करने की प्रवृत्ति को अपनाता है। इससे समाज में अपराध दर बढ़ती है और सामाजिक असुरक्षा का माहौल बनता है।
नशे की लत के कारण बच्चे और युवा अपनी पढ़ाई और करियर को पीछे छोड़ते जा रहे हैं, जिससे सामाजिक विकास प्रभावित होता है। कार्यक्रम में उपस्थित बच्चे के माता पिता से बात करते हुए उन्होंने बताया कि नशा करने वाले माता-पिता के नाबालिग बच्चों पर गहरा और नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। सबसे पहले, ये बच्चे मानसिक तनाव और अवसाद का सामना करते हैं, क्योंकि वे अपने घर के वातावरण में असुरक्षित और अस्थिर महसूस करते हैं। नशा करने वाले माता-पिता की अनियमितता और अव्यवस्थित जीवनशैली बच्चों की भावनात्मक और मानसिक स्थिति को प्रभावित करती है, जिससे वे चिंता, आत्म-सम्मान की कमी और सामाजिक समरसता में कमी का शिकार हो सकते हैं।
इसके अलावा, ये बच्चे शैक्षिक प्रदर्शन में गिरावट का अनुभव कर सकते हैं, क्योंकि नशे के कारण माता-पिता की अनुपस्थिति और ध्यान की कमी होती है। वे पारिवारिक संघर्ष और हिंसा का भी शिकार हो सकते हैं, जो उनके विकासात्मक स्वास्थ्य को प्रभावित करता है। बच्चों की मानसिक और भावनात्मक जरूरतों की अनदेखी के कारण, उनका सामाजिक विकास बाधित होता है, और वे भविष्य में नशे की प्रवृत्ति का शिकार हो सकते हैं । उन्होंने कहा कि बच्चे कल के युवा हैं और युवा, वायु के समान होता है। जरूरत है, उन्हें सही दिशा देने की, अन्यथा नशे की गिरफ्त में आए युवा रूपी वायु, तूफान की तरह समाज को तहस नहस कर देंगे। इस अभियान का मुख्य उद्देश्य समाज में नशे के दुष्प्रभावों के खिलाफ जागरूकता फैलाना और इसके खिलाफ ठोस कदम उठाना है।