रांची : झारखंड में शराब बिक्री से जुड़ी दो मैनपावर एजेंसियों द्वारा फर्जी बैंक गारंटी देकर ठेका लेने के गंभीर आरोप सामने आए हैं। इसके बावजूद न तो एजेंसियों पर कोई कार्रवाई की गई और न ही संबंधित अधिकारियों पर जवाबदेही तय की गई। इस मामले को लेकर झारखंड उच्च न्यायालय के अधिवक्ता राजीव कुमार ने ऑनलाइन एफआईआर पोर्टल के माध्यम से शिकायत दर्ज कराई है। उन्होंने रांची के डोरंडा थाना प्रभारी को संबोधित आवेदन में इस मामले में प्राथमिकी दर्ज कर उचित कार्रवाई की मांग की है।
अधिवक्ता ने अपने आवेदन में कहा है कि वर्ष 2022 से झारखंड वेबरेजेज कॉरपोरेशन लिमिटेड (JSBCL) के माध्यम से राज्य में शराब की खुदरा बिक्री की व्यवस्था लागू की गई थी। इस व्यवस्था के अंतर्गत दो मैनपावर एजेंसियों—एमआईएस प्राइवेट लिमिटेड और वीएस सर्विस एंड कंसल्टेंट प्राइवेट लिमिटेड को क्रमशः हजारीबाग और धनबाद जिले में मानव संसाधन आपूर्ति के लिए चयनित किया गया था।
इन एजेंसियों ने JSBCL के साथ अनुबंध करते समय फर्जी बैंक गारंटी प्रस्तुत की थी। इस फर्जीवाड़े की जानकारी मिलने के बाद भी न तो किसी प्रकार की जांच कराई गई और न ही अनुबंध समाप्त किया गया। उल्टा, अधिकारियों ने लीपापोती कर दोनों एजेंसियों को कार्य करने की अनुमति दी।
बैंक की तरफ से JSBCL को बाकायदा पत्र भेजकर 31 जनवरी 2024 और 2 मार्च 2024 को स्पष्ट रूप से बताया गया था कि वीएस सर्विस और एमआईएस प्राइवेट लिमिटेड की जमा की गई बैंक गारंटी फर्जी है। फिर भी JSBCL और विभागीय सचिव की ओर से कोई कदम नहीं उठाया गया।
राजीव कुमार के अनुसार, इन एजेंसियों ने शराब दुकानों की बिक्री से प्राप्त लगभग 25 करोड़ रुपये से अधिक की राशि JSBCL को नहीं सौंपी है, जिसे JSBCL ने खुद भी स्वीकार किया है। इसके बावजूद एजेंसियों को न तो ब्लैकलिस्ट किया गया और न ही उनके खिलाफ कोई एफआईआर दर्ज की गई।
उन्होंने मांग की है कि यह एक गंभीर आर्थिक अपराध का मामला है, जिसकी निष्पक्ष जांच कर संबंधित एजेंसियों और अधिकारियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई होनी चाहिए।