मुंगेर : जमालपुर भारतीय रेल जहां एक ओर पूरे विश्व का सबसे बड़ा रोजगार देने वाला संस्थान है। वहीं इसके यात्रियों की सुरक्षा को लेकर भी वह कितना गंभीर रहते हैं। इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि मालदा रेलमंडल प्रशासन द्वारा जमालपुर यार्ड में पैसेंजर ट्रेन के डीरेल होने का मॉक ड्रिल किया गया। मॉक ड्रिल में एनडीआरएफ, एसडीआरएफ, मेडिकल, रेलवे, फायर ब्रिगेड, पुलिस प्रशासन, डॉक्टरों का पैनल और एंबुलेंस समेत लगभग 55 एजेंसियों ने भाग लिया। रिस्पांस टाइम चेक किया गया कि रेलवे में दुर्घटना होने पर कितनी देर में सभी एजेंसियां सक्रिय हो जाती है।
रेल दुर्घटना : जमालपुर भागलपुर पैसेंजर ट्रेन को किया डिरेल
इस दौरान जमालपुर से भागलपुर को जा रही पैसेंजर ट्रेन को डिरेल कर दिखाया गया। जिसमें हादसे में कुल 40 लोग घायल हुए हैं। सूचना आग की तरह फैल गई और एनडीआरएफ और एसडीआरएफ की टीमें तुरंत मौके पर पहुंची और राहत कार्य में जुट गई। रेलवे की टीमों ने कटर से कोच को काटकर घायलों को बाहर निकाला। थोड़ी ही देर में राहत वैन भी वहां पहुंच गई और घायलों को अस्पताल भिजवाया गया। मॉक ड्रिल लगभग दो घंटे तक चली और इसमें संबंधित विभागों का रिस्पांस टाइम जांचा गया। ताकि भविष्य में अगर ऐसी कोई घटना होती है तो उसे समय पर कंट्रोल किया जा सके। मॉक ड्रिल में मलबा हटाना, प्रभावित डिब्बों से घायल और फंसे हुए यात्रियों को निकालना, चिकित्सा उपचार, घायलों को अस्पताल पहुंचाना, यात्रियों को खाद्य पदार्थ की आपूर्ति, अनुग्रह राशि का भुगतान, यात्रियों के सामान व उसकी सुरक्षा, भीड़ को नियंत्रित करना आदि शामिल था।
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रेल दुर्घटना : क्या कहते हैं DRM
मौके पर मौजूद डीआरएम मनीष गुप्ता ने कहा कि यह अभ्यास ऐसी वास्तविक घटनाओं के समय किए गए वास्तविक ऑपरेशनों की प्रतिकृति है। ऐसे मॉक ड्रिल से बचाव कार्यों में शामिल विभिन्न विभागों के बीच संचार कौशल के साथ साथ समन्वय का भी विकास होता है। उन्होंने कर्मचारियों से आग्रह किया कि वे स्वयं को सतर्क रखें और ट्रेन के पटरी से उतरने या दुर्घटना जैसी किसी भी आपात स्थिति का सामना करने के लिए तैयार रहें। कहा कि मॉक ड्रिल की योजना रेलवे के विभिन्न विभागों और अन्य एजेंसियों के बीच संचार और समन्वय में खामियों का पता लगाने के लिए किया गया था। ताकि निवारक उपाय किए जा सके।
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कुमार मिथुन की रिपोर्ट