Logistics के क्षेत्र में और भी कुशल होंगे सेना के जवान, रक्षा मंत्री ने…

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भारतीय सेना एवं भारतीय वायुसेना ने Logistics संचालन के क्षेत्र में कर्मियों के कौशल को उन्नत करने हेतु रक्षा मंत्री और रेल मंत्री की उपस्थिति में गतिशक्ति विश्वविद्यालय के साथ समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए। राजनाथ सिंह ने इस कदम को विश्वस्तरीय एवं भविष्य के अनुकूल लॉजिस्टिक्स प्रणाली के निर्माण और रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता हासिल करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण साझेदारी के रूप में निरूपित किया। गतिशक्ति विश्वविद्यालय अत्याधुनिक लॉजिस्टिक संबंधी शिक्षा, अनुसंधान एवं नवाचार के साथ सशस्त्र बलों को सशक्त बनाने की प्रक्रिया में एक महत्वपूर्ण भागीदार के रूप में काम करेगा: अश्विनी वैष्णव

नई दिल्ली: अपने कर्मियों के कौशल और क्षमता निर्माण को उन्नत करने हेतु, भारतीय सेना एवं भारतीय वायुसेना ने 09 सितंबर, 2024 को नई दिल्ली में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव की उपस्थिति में वडोदरा स्थित गतिशक्ति विश्वविद्यालय के साथ एक समझौता ज्ञापन (एमओयू) पर हस्ताक्षर किए। यह समझौता ज्ञापन दोनों सेनाओं को लॉजिस्टिक्स के संबंध में बेहतर विशेषज्ञता हासिल करने में सक्षम बनाएगा। यह समझौता ज्ञापन लॉजिस्टिक्स संचालन के विभिन्न पहलुओं में इन-हाउस विशेषज्ञता का विकास सुनिश्चित करेगा और राष्ट्रीय विकास योजनाओं – पीएम गतिशक्ति राष्ट्रीय मास्टर प्लान 2021 और राष्ट्रीय लॉजिस्टिक्स नीति 2022 – में प्रभावी ढंग से योगदान देगा।

इस अवसर पर रक्षा मंत्री ने कहा कि इस सहयोग को रक्षा क्षेत्र में ‘आत्मनिर्भरता’ के दृष्टिकोण के अनुरूप सशस्त्र बलों की लॉजिस्टिक्स संबंधी रीढ़ को और अधिक मजबूत करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण साझेदारी के रूप में निरूपित किया। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि लॉजिस्टिक्स अब केवल सशस्त्र बलों का एक सहायक कार्य नहीं है, बल्कि यह सैन्य अभियानों और राष्ट्रीय सुरक्षा के एक महत्वपूर्ण घटक के रूप में उभर रहा है।

उन्होंने कहा, “एक कुशल लॉजिस्टिक्स प्रणाली सुरक्षा बलों को तेजी से जुटाने और कम समय में संसाधनों को सही जगह पर पहुंचाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। जिन परिस्थितियों में हमारी सेनाएं काम करती हैं, उन्हें ध्यान में रखते हुए, हमें सैनिकों, उपकरणों एवं आपूर्ति की निर्बाध आवाजाही की आवश्यकता है। ज्ञान, नवाचार और सहयोग के जरिए हमारी सेनाओं की जरूरतों को पूरा करने की दृष्टि से यह समझौता ज्ञापन बेहद महत्वपूर्ण साबित होगा।

राजनाथ सिंह ने जोर देकर कहा कि रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता हासिल करने के सरकार के दृष्टिकोण को साकार करने में यह समझौता ज्ञापन उपयोगी साबित होगा। उन्होंने कहा, यदि हमें लॉजिस्टिक्स के क्षेत्र में विशेषज्ञता की आवश्यकता है, तो हमें इसका प्रशिक्षण गतिशक्ति विश्वविद्यालय जैसे अपने संसाधनों से हासिल करना चाहिए। यदि हमें उपकरण की जरूरत है, तो हमें इसका निर्माण भारत में ही कराना चाहिए। आत्मनिर्भर बनकर ही एक मजबूत भारत की नींव रखी जा सकती है।

वास्तविक दुनिया के मामलों के अध्ययन के जरिए अनुभवात्मक शिक्षा से संबंधित एमओयू के प्रावधानों के बारे में, रक्षामंत्री ने विश्वास जताया कि गतिशक्ति विश्वविद्यालय सशस्त्र बलों के कर्मियों के नेतृत्व, प्रबंधन और संचालनात्मक अनुभव के माध्यम से, लॉजिस्टिक्स विशेषज्ञों और प्रबंधकों की एक ऐसी नई पीढ़ी को आकार देने में मदद करेगा, जो आधुनिक युद्ध की बहुआयामी आवश्यकताओं को पूरा करेगा।

रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने विश्वास व्यक्त किया कि गतिशक्ति विश्वविद्यालय अत्याधुनिक लॉजिस्टिक संबंधी शिक्षा, अनुसंधान एवं नवाचार के साथ सशस्त्र बलों को सशक्त बनाने की प्रक्रिया में एक महत्वपूर्ण भागीदार के रूप में काम करेगा। इस कार्यक्रम में सीडीएस, वायुसेना प्रमुख, सेना प्रमुख, रक्षा सचिव, रेलवे बोर्ड के अध्यक्ष और गतिशक्ति विश्वविद्यालय के कुलपति सहित रक्षा मंत्रालय और रेल मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारियों ने भाग लिया।

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