VAISHALI: राजधानी पटना से नजदीक वैशाली जिले में सोनपुर मेला का आयोजन किया जाता है.
एशिया का सबसे बड़ा मेला 700 से अधिक वर्षों का हो चुका है.
गंडक नदी के नजदीक है. सोनपुर मेले का आयोजन
कार्तिक पूर्णिमा के मौके पर आयोजन किया जाता है. देश-विदेश के
तमाम जगहों से लोग पहुंचते हैं. इस मेले की रौनक इतनी है
कि लोग लाखों की संख्या में मेला देखने पहुंचते हैं.
इसकी सबसे बड़ी खासियत यह है कि दुनिया की
हर एक चीज यहां मिलती है. हाथी-घोड़े, गाय बैल से लेकर
सभी पशु पक्षी और घर के जरूरतों की सभी छोटे-बड़े सामान यहां मिलते हैं.
पशु, पक्षी, झूले और मौत का कुआं है आकर्षण का केंद्र
मौत का कुआं, तारा माची से लेकर सभी झूले, खाने पीने की चीजें और खिलौने बचपन की यादें ताजा कर देती हैं. बच्चों से लेकर बूढ़ों तक के लिए सभी प्रकार के समान उपलब्ध हैं.
मेले की सबसे बड़ी खासियत यह है कि कला संस्कृति जिसमें बिहार की झलक दिखाई देती है. मेले में मनोरंजन के लिए थिएटर है जिसमें नाच गाने का आयोजन किया जाता है जिसका लोग जमकर लुत्फ उठा रहे हैं
कोरोना की वजह से दो वर्ष बाद मेले का आयोजन
कोरोना काल के बाद सोनपुर मेले के आयोजन दुकानदारों की मिलीजुली प्रतिक्रिया है. वहीं कुछ दुकानदारों का कहना है कि काफी भीड़ देखने को मिल रही है लेकिन पहले की तरह बिक्री नहीं हुई है. वहीं मुजफ्फरपुर से आये दुकानदार ने कहा कि मेले में जीवन यापन करने लायक कमाई हो पाती है. इधर मेला घुमने आये लोगों ने कहा कि यहां का पषु मेला और पक्षी मेला काफी आकर्शक है. हरियाणा से आये घोड़ा और विभिन्न प्रकार के पक्षी भी काफी लुभा रहे हैं.
इधर मेले में मिलने वाले तरह-तरह के अन्य सामानों की खरीदारी करने के लिए लोगों की भीड़ जुट रही है.
रिपोर्ट: प्रणव/ राजीव