रांची: विधानसभा शीतकालीन सत्र के दूसरे दिन बीजेपी विधायक दल के नेता बाबूलाल मरांडी ने कहा कि विधानसभा अध्यक्ष भी जनता की आवाज को नहीं सुनना चाहते हैं. बीजेपी के विधायकों के अलावा भी कई अन्य राजनीतिक दलों के विधानसभा सदस्यों ने जेपीएससी के मुद्दे को उठाया है. सभी के मांग पर विधानसभा अध्यक्ष को जेपीएससी के मुद्दे पर चर्चा करवानी चाहिए. क्योंकि मामला गंभीर है. यह मामला राज्य के नौजवानों से जुड़ा है, राज्य के भविष्य से जुड़ा है. पिछले दिनों जेपीएससी ने जिस तरह से बड़ी-बड़ी बातें की और एक साथ कई जेपीएससी को मिलाकर परीक्षा लिया है. वो कतई सही नहीं है. इसके अलावे जेपीएससी पीटी परीक्षा परीणाम की विसंगतियां जग-जाहिर हैं. परीक्षा से पहले ही प्रश्नपत्र अभ्यर्थियों के हांथ में पहुंच जाना. उसके बाद दो-तीन परीक्षा केन्द्रों में सीरियली अभ्यर्थियों का पास होना. जेपीएससी की मनोदशा, त्रुटियों और विसंगतियों को प्रदर्शित करने के ले काफी है. जेपीएससी पीटी रिजल्ट में कटअफ का ध्यान न रखकर कम अंक वाले अभ्यर्थियों को पास किया गया.
जेपीएससी की परीक्षा में पूरी तरह से कदाचार हुआ है. सिर्फ भारतीय जनता पार्टी ही नहीं, बल्कि पूरे राज्य के नौजवानों की मांग है कि जेपीएससी ने जो परीक्षा ली है. उसका ओएमआर शीट जेपीएससी की वेबसाइट पर अपलोड किया जाए. अगर जेपीएससी में गड़बड़ी हुई है, तो इस नियुक्ति के विज्ञापन को रद्द किया जाए और पूरे मामले की जांच सीबीआई से करायी जाए. जेपीएससी के अध्यक्ष अमिताभ चौधरी को हटाया जाए, तभी इस राज्य जनता और नौजवानों का सरकार पर भरोसा बनेगा. अन्यथा राज्य के नौजवान और जनता खुद को ठगा महसूस करते रहेगी.
बताते चले कि 16 दिसंबर से 22 दिसंबर तक झारखंड विधानसभा में शीतकालीन सत्र आयोजित है. शीतकालीन सत्र के दूसरे दिन विधानसभा परिसर में भाजपा सहित कई दलों के विधायकों ने जेपीएएसी मामले को लेकर विरोध जताया और बयान दिया है. वहीं भाजपा की मांग है कि मामले की जांच सीबीआई से करवाते हुए दोषी अधिकारी को बर्खास्त करते हुए नियमसंगत कार्रवाई की जाए.
रिपोर्ट- मदन