जेएफटीए स्टूडियो थियेटर में “बड़े मियां छोटे मियां” का धमाल, “मकान की थकान” और “हिरण्यकश्यप मर्डर केस” ने किया भरपूर मनोरंजन

जेएफटीए स्टूडियो थियेटर में "बड़े मियां छोटे मियां" का धमाल

रांची. रविवार की शाम कडरू स्थित “झारखंड फिल्म एंड थियेटर एकेडमी” और रेनबो रोहतास के साझा सहयोग से जेएफटीए स्टूडियो थियेटर में कार्यक्रम “बड़े मियां छोटे मियां” का आयोजन किया गया, जिसके तहत राजीव सिन्हा के निर्देशन में दो नाटकों का मंचन किया गया। इसमें वीरेंद्र कुमार कुधरा रचित नाटक “मकान की थकान” और श्रीकृष्ण रचित “हिरण्यकश्यप मर्डर केस” शामिल थे।

नाटक “मकान की थकान” की प्रस्तुति की बड़े मियां यानि की जेएफटीए के सीनियर स्टूडेंट्स के द्वारा की गई, जबकि नाटक “हिरण्यकश्यप मर्डर केस” जेएफटीए के ही किड्स बैच के छोटे छोटे बच्चों ने की। कलाकारों में अंशु अग्रवाल, राजा वर्मा, बिजय कुमार, महेंद्र कुमार, अजय ठाकुर, सुप्रिया कुमारी, विक्रम विराट, साई आरव, साई काव्या, नायरा शगुन, वाणी देवघरिया, धनश्री देवघरीय, खुशी थापा और विशेष गुप्ता शामिल थे। मंचन के दौरान रेनबो रोहतास से अजीत कुमार के अलावा अभिनय कर रहे कलाकारों के अभिभावक भी दर्शक दीर्घा में मौजूद थे।

कथासार (मकान की थकान):

नाटक में पति और पत्नी के बीच रोजमर्रा की तकरार को गुदगुदाते संवादों के साथ प्रस्तुत किया गया। इसमें मधुसूदन और उसकी पत्नी फूलमनी अपने नए मकान के रोज-रोज के तगादे से तंग आ चुके हैं। कभी मजदूर तो कभी ठेकेदार और तो कभी सेठ साहूकार घर पर अपनी वसूली के लिए आ धमकते हैं, जिससे बचने के लिए मधुसूदन हमेशा फूलमानी को आगे कर देता है। आखिरकार मकान के अवैध निर्माण को लेकर सरकारी नोटिस का सामना करना पड़ जाता है।

कथासार (हिरण्यकश्यप मर्डर केस):

नाटक में भगवान विष्णु को हिरण्यकश्यप मर्डर केस में धरती की अदालत में पकड़ कर पेश किया जाता है। नारद बतौर भगवान का वकील पैरवी करते हैं तो कई हास्य व्यंग्यात्मक परिस्थितियां सामने आती हैं। खप्परभरनी से लेकर चर्मसुख, हस्ती दमन और साक्षीजीवी को गवाह के तौर पर पेश किया जाता है और अंततः भगवान विष्णु पर हिरण्यकश्यप के मर्डर का आरोप लगाते हुए फांसी की सजा सुनाई जाती है।

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