Bagaha: कुम्हार का कमाल, बना डाली अनोखी केतली और सुराही

केतली में 6 घंटे तक गर्म रहती है चाय और सुराही में 48 घंटे तक ठंडा रहता है पानी

बगहा : कुम्हार का कमाल, जिन्होंने मिट्टी की अनोखी केतली और सुराही बनाई है.

केतली में 6 घंटे तक चाय गर्म रहती है. और ऐसी सुराही, जिसमें 48 घंटे तक पानी ठंडा रहता है.

जो भी देखता है वह यही कहता है- वाह क्या बात है ?

और यह कमाल किया है बगहा के एक कुम्हार ने. बनचहरी गांव के हरि कुम्हार अपने

सभी परिवार के साथ इस पेशे से जुड़े हैं. मिट्टी और बालू से निर्मित अनोखी देसी सुराही बनाकर चर्चे में आए,

और पूरे बिहार में अपनी कारीगरी की बदौलत मशहूर हो गए.

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एसडीएम ने की कुम्हार के कारीगरी की सराहना

बगहा एसडीएम दीपक कुमार मिश्रा भी कुम्हार के गांव पहुंचे और कारीगरी की सराहना की.

उन्होंने कहा कि हमारी कोशिश रहेगी कि प्रधानमंत्री मुद्रा लोन योजना का लाभ दिलाया जाय,

जिससे ये अपने कारोबार को और बढ़ा सके.

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कुम्हार का कमाल: लोगों की डिमांड बढ़ी

वहीं हरि कुम्हार का कहना है यह खास मिट्टी और बालू से बनाया जाता है.

एक दिन में मात्र एक ही सुराही बन सकती है. इनकी खासियत से लोगों की डिमांड बहुत ज्यादा है.

जो यह पूरा नहीं कर पा रहे हैं. इनकी इच्छा इसे बड़े कारोबार के रूप में बढ़ाने की है.

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आत्मनिर्भर भारत के सपने को साकार करेगी ये आविष्कार

बगहा के कुम्हार का हुनर इसकी कारीगरी के जरिये बोल रहा है. आत्मनिर्भर भारत के सपने का साकार करने के लिए ऐसे कारीगरों के आविष्कार की हौसला आफजाई भी जरूरी है. जिला प्रशासन का प्रयास भी सराहनीय है.

कुम्हार का कमाल: 48 घंटे तक पानी रहता है ठंडा

बगहा प्रखण्ड के बनचहरी गांव के हरि कुम्हार अपने सभी परिवार के साथ मिट्टी और बालू से निर्मित देशी देसी सुरई बनाकर चर्चे में आए और पूरे बिहार में अपने कारीगरी के बदौलत मशहूर हो गए. मिट्टी से निर्मित सुराई की खासियत ये है कि पानी को 48 घंटे तक बिलकुल ठंडा रखता है. जिसकी डिमांड अब बाजारों में खूब होने लगा है. मिट्टी से बने देसी सुराई बिना बिजली के ही 48 घंटे तक पानी शीतल रखता है और जो केतली बनाई गई है उसमें 6 घंटे तक गर्म चाय या गर्म पदार्थ रह सकता है.

कुम्हार का कमाल: एक दिन में एक ही सुराई बनता है- हरि

वही हरि कुम्हार का कहना है एक दिन में मात्र एक ही सुराई बन सकता है. लोगों की डिमांड ज्यादा होने हम पूरा नहीं कर पा रहे हैं. हमारी प्रयास है कि इस मटके को रोजगार के तौर पर शुरू किया जाए. जो इस समुदाय से आते हैं वह लोग भी आकर इनके साथ मिलजुल कर इसे बड़ा स्वरूप दें. इन लोगों को देसी सुराई, मटका और केतली सबको मिल सके. हरि कुम्हार ने बताया कि यह खास मिट्टी एवं बालू से इसे बनाया जाता है.

रिपोर्ट: अनिल

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