डुमरी विधानसभा सीट पर विरासत, सहानुभूति और युवा चेहरे की चुनौती: चुनावी रणभूमि का संग्राम

डुमरी विधानसभा सीट पर विरासत, सहानुभूति और युवा चेहरे की चुनौती: चुनावी रणभूमि का संग्राम

डुमरी:  विधानसभा क्षेत्र इस बार चुनावी हलचल का केंद्र बन गया है, जहां झामुमो, आजसू और झारखंड जेएलकेएम के बीच मुकाबला हो रहा है। हेमंत सोरेन ने बेबी देवी को मंत्रिमंडल में शामिल कर इस सीट पर परिवार को एक बार फिर से सम्मान दिया है। बेबी देवी, जो कि जगरनाथ महतो की पत्नी हैं, इस बार आजसू की यशोदा देवी के खिलाफ चुनावी मैदान में हैं, जिससे उनकी राजनीतिक भविष्य की परीक्षा भी होगी।

हालाँकि, इस बार जेएलकेएम के प्रमुख जयराम महतो की चर्चा तेजी से बढ़ रही है। जयराम ने 2024 के लोकसभा चुनाव में गिरिडीह सीट से निर्दलीय चुनाव लड़ा था और डुमरी तथा गोमिया में उन्हें अच्छी बढ़त मिली थी। उनके इस प्रदर्शन ने उन्हें डुमरी विधानसभा सीट से चुनाव लड़ने के लिए प्रेरित किया है। वह बेरमो से भी चुनाव मैदान में हैं, जिससे वह दो सीटों पर चुनाव लड़ने वाले एकमात्र प्रत्याशी बन गए हैं।

डुमरी की राजनीति में हालात तेजी से बदल रहे हैं, खासकर तब जब 6 अप्रैल 2023 को जगरनाथ महतो का निधन हुआ। जुलाई 2023 के उप चुनाव में, झामुमो ने बेबी देवी को टिकट दिया, और सहानुभूति लहर ने उन्हें विधानसभा तक पहुँचाया। 2024 के चुनाव में भी, राजू महतो की उम्र 25 साल पार नहीं होने के कारण बेबी देवी को फिर से टिकट मिला है। यदि वह जीतती हैं, तो यह उनके बेटे के लिए 2029 के विधानसभा चुनाव में भाग लेने का रास्ता साफ करेगा।

2023 के उप चुनाव में बेबी देवी ने 1,00,317 वोट प्राप्त किए थे, जबकि यशोदा देवी को 83,164 वोट मिले थे। हालांकि, लोकसभा चुनाव में बेबी देवी के बेटे ने ज्यादा मेहनत नहीं की थी, जिसका नतीजा था कि डुमरी में झामुमो प्रत्याशी को मात्र 52,193 वोट मिले। जयराम महतो ने उस चुनाव में 90,541 वोट हासिल किए थे।

इस चुनावी जंग में, बिना हथियार के सिर्फ रणनीति के बल पर जीत हासिल करने की तैयारी की जा रही है। विरासत, सहानुभूति, और युवा चेहरों के इस अद्भुत संगम से डुमरी की राजनीति में एक नया अध्याय लिखने की संभावना है। यह देखना दिलचस्प होगा कि इस बार चुनावी रणभूमि में कौन सा चेहरा विजयी होता है।

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