कोलकाता : भाजपा ने सीएम ममता बनर्जी के खिलाफ कलकत्ता हाईकोर्ट के उस फैसले को ऐतिहासिक बताया है जिसमें वर्ष 2016 में एसएससी भर्ती के पूरे पैनल को अमान्य घोषित करते हुए तब उस पैनल से दी गईं कुल करीब 26 हजार नौकरियों को रद्द करने का आदेश जारी हुआ है।
भाजपा के पश्चिम बंगाल के विधायक दल नेता शुभेंदु अधिकारी ने सोमवार को कहा कि हाईकोर्ट के इस ऐतिहासिक फैसले से जिनकी नौकरियां गई हैं, वह उनपर टिप्पणी नहीं करना चाहते लेकिन यह सत्य है कि ममता बनर्जी ने इनके सामने दुकान खोलकर नौकरियां बेची थीं। उस काम में उनके शागिर्द रहे तत्कालीन राज्य सरकार के मंत्री पार्थ चटर्जी भी समान रूप से भागीदार रहे थे।
भाजपा बोली – नौकरी गंवाने वालों का सर्वनाश करने वालों का हुआ सर्वनाश
भाजपा का हमला ममता बनर्जी की अगुवाई वाली पश्चिम बंगाल की तृणमूल कांग्रेस सरकार पर यहीं पर नहीं थमा। भाजपा नेता शुभेंदु अधिकारी ने आगे कहा कि जिन लोगों ने नौकरी गंवाने वाले 26 लाख लोगों के भविष्य सर्वनाश किया, उनका कलकत्ता हाईकोर्ट के स्पेशल बेंच के फैसले ने सर्वनाश कर दिया। उन्होंने आगे कहा कि इस फैसले की आंच सबसे ज्यादा राज्य की सत्तारूढ़ सरकार की मुखिया और उनके विश्वस्त मंत्रियों पर पड़ा है।
कुछ सूझ नहीं रहा है। वे इस ऐतिहासिक फैसले के बाद अब सीधे तौर पर जांच के दायरे में आने वाले हैं जिसके बारे में भी हाईकोर्ट के इस फैसले में सीबीआई को फ्री-हैंड काम करने की छूट प्रदान की गई है ताकि निष्पक्ष जांच हो सके।
भाजपा ने ममता सरकार की एक खास बैठक का किया जिक्र
भाजपा नेता शुभेंदु अधिकारी ने इसी क्रम में अपने हमले को और आक्रामक तेवर दिया। कहा कि हाईकोर्ट ने इसी प्रसंग में अतिरिक्त पद सृजित कर नई भर्तियों शुरू करने की प्रक्रिया संबंधी जांच के लिए भी सीबीआई को आदेश दिया है। उसी क्रम में सीबीआई को भी बताना चाहूंगा कि वर्ष 2022 के 5 मई को यह फैसला मंत्रिमंडल के जिस बैठक में हुआ, उसमें शामिल रहे सभी लोगों को हिरासत में लेकर पूछताछ किया जाना चाहिए।
उस समय राज्य सरकार में मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने अतिरिक्त पद सृजित करवाया था ताकि नई भर्तियां की जा सकें। साथ ही भाजपा विधायक दल नेता ने दावा किया कि उक्त तिथि को हुई ममता मंत्रिमंडल की बैठक में लिए गए फैसले की लिखित प्रति उनके पास भी है, इसलिए वह यह बात इतनी मजबूती से सार्वजनिक तौर पर कह रहे हैं।
सीएम ममता ने हाईकोर्ट के फैसले को कहा – ‘अवैधानिक’
दूसरी ओर, सीएम ममता बनर्जी ने कलकत्ता हाईकोर्ट के इस बारे में सोमवार को सुनाए गए फैसले को ‘अवैधानिक’ बताया है। उन्होंने इस फैसले से गिरी गाज का शिकार हुए लोगों को ढांढ़स बंधाया है। कहा कि वह नौकरी गंवाने वालों के साथ खड़ी हैं। ममता बोलीं कि – मेरी टिप्पणी न्यायपालिका या फिर न्यायाधीश पर नहीं लेकिन न्याय के नाम पर जारी आदेश और उसकी शब्दावलियों पर है। ममता
बनर्जी ने हाईकोर्ट के फैसले से निराश नौकरी गंवाने वालों की पीड़ा मरहम लगाने का प्रयास करते हुए कहा कि ऐन चुनाव के समय ऐसा बम फोड़ा गया कि एक झटके में 26 हजार लोगों की नौकरी चली गई। इस फैसले से प्रभावित शिक्षक और गैरशिक्षक स्टाफ – कोई भी परेशान ना हों और ना ही जान दे देने जैसा घातक कदम उठाने की सोचें। हम (तृणमूल वाले) आपके साथ है। जहां तक जरूरत होगी, आपके लिए लड़ेंगे। पहले भी इसी मामले पर सुप्रीम कोर्ट जा चुके हैं। वहां से दोबारा हाईकोर्ट में सुनवाई को मामला भेजा गया।
ममता बोलीं – हाईकोर्ट के फैसले को चुनौती देती हूं
ममता बनर्जी ने इसी क्रम में आगे कहा कि हाईकोर्ट ने जो फैसला सुनाया उसको मैं चुनौती देती हूं। करीब 26 हजार लोग इस आदेश के दायरे में आए हैं यानी करीब डेढ़ लाख परिवार। ताज्जुब वाली बात यह है कि उन्हें प्राप्त हुए वेतन राशि को ब्याज समेत पूरी राशि लौटाने के लिए केवल 4 हफ्ते यानी एक माह की मोहलत दी गई है, क्या यह संभव है ? इसका अनुपालन असंभव है। यह न्यायनसंगत और तर्कसंगत तो कत्तई नहीं है।
ममता बनर्जी का सवाल –क्या मुझे जेल भेजेंगे ?
ममता बनर्जी अपने चुनावी भाषण में कलकत्ता हाईकोर्ट के फैसले पर खासी उद्वेलित दिखीं लेकिन अपने को संयत रखते हुए अपने संबोधन में इस फैसले को लेकर किसी विरोधी राजनीतिक दल या उनके नेताओं का नाम नहीं लिया। फिर भी उनकी वेदना आखिरकार झलक ही गई। उन्होंने कहा कि भाजपा वाले याचिका करें तो बेल (जमानत) दे दी जाती है लेकिन दूसरे करें तो जेल में डाला जाता है। क्या मुझे भी जेल में डालेंगे ? लोगों के साथ खड़ी रहती आई हूं और इस बार भी खड़ी रहूंगी पूरी मजबूती से। यही बंगाल के आम लोग मेरा परिवार हैं, इनके साथ अहित नहीं होने दूंगी।
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