डिजीटल डेस्क : Breaking – बैंक कर्मचारियों की 28 अगस्त को प्रस्तावित हड़ताल टली। शुक्रवार को एक अहम घटनाक्रम के तहत इसी माह 28 अगस्त को होने वाली बैंक कर्मचारियों की हड़ताल वापस हो गई है। आज शुक्रवार को बैंक मैनेजमेंट ने वार्ता के दौरान यूनियन पदाधिकारियों पर कारवाई न करने का वायदा किया।
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इसी के मद्देनजर बैंक यूनियनों के आल इंडिया बैंक एम्पलाइज एसोसिएशन ने हड़ताल वापस ले ली है। बैंक यूनियनों इस फैसले की जानकारी संजीव मल्होत्रा की ओर से शुक्रवार अपराह्न पुष्ट की गई है।
बता दें कि यूनियनों पर हमलों और इस रणनीतिक क्षेत्र के निजीकरण की नीतियों के खिलाफ यूनाइटेड फोरम ऑफ बैंक यूनियंस द्वारा 28 अगस्त को हड़ताल आहूत किया था।
23 सितंबर को काला दिवस और 26 नवंबर को राष्ट्रव्यापी विरोध दिवस मनाएंगे किसान और मजदूर
केंद्रीय ट्रेड यूनियनों, क्षेत्रीय महासंघों – संघों और संयुक्त किसान मोर्चा के मंच की संयुक्त बैठक के बाद तय हुआ है कि पूरे देश में किसान और मजदूर 26 नवंबर को राष्ट्रव्यापी विरोध दिवस मनाएंगे। इसमें ट्रेड यूनियनों की भी सक्रिय भागीदारी रहेगी।
शुक्रवार को इस संबंध में मीडिया को जानकारी साझा करते हुए यूनियन नेताओं की ओर संजीव मल्होत्रा ने बताया कि केंद्रीय ट्रेड यूनियनों और संयुक्त किसान मोर्चा की संयुक्त बैठक में इस बात पर गंभीर नाराजगी व्यक्त की गई कि एनडीए सरकार आम चुनावों में कमजोर स्थिति के बावजूद मजदूर विरोधी, किसान विरोधी, जन विरोधी और कॉर्पोरेट समर्थक नीतियों पर ही लगातार काम कर रही है।

23 सितंबर को ट्रेड यूनियनों के काला दिवस कार्यक्रम को संयुक्त किसान मोर्चा का समर्थन
संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेएम) ने 23 सितंबर को काला दिवस के रूप में मनाने के लिए ट्रेड यूनियनों के कार्यक्रम को पूर्ण समर्थन देने का आश्वासन दियाजो कि कोविड-19 महामारी अवधि के दौरान सितंबर 2020 में तीन श्रम कोड पारित करने का दिन है।
यूनियनों में की बैठक में इस बात पर सहमति हुई कि अक्टूबर के महीने में दोनों मोर्चों का नेतृत्व लोगों और राष्ट्र के हितों को नुकसान पहुंचाने वाली निरंतर प्रतिगामी और प्रतिक्रियावादी नीतियों के खिलाफ एकजुट संघर्ष को बढ़ाने के लिए व्यापक चर्चा के लिए मिलेगा। बैठक में 26 नवंबर को राज्यों में कार्यक्रमों के साथ राष्ट्रव्यापी जन आंदोलन के रूप में मनाने का संकल्प लिया गया।
यूनियन नेता बोले – आम बजट में बेरोजगारों की उम्मीदों को लगा झटका
बैठक में यूनियन नेताओं ने कहा कि सरकार के बजट ने उनके एजेंडे को नजरअंदाज किया और बेरोजगार युवाओं की उम्मीदों को भी धोखा दिया। आने वाले समय में संघर्ष को तेज करने और एकता को जमीनी स्तर तक ले जाने का निर्णय लिया गया।
यह भी संकल्प लिया गया कि केंद्र में सत्तारूढ़ दल अपने सहयोगियों के साथ चार राज्यों के आगामी विधानसभा चुनावों में मुकाबला करेगा और उन्हें सत्ता से बाहर रखने के लिए संयुक्त अभियान चलाएगा।
इसी के साथ यूनियनों की इस बैठक में जबरन स्मार्ट मीटर लगाए जाने की निंदा की गई और इसके खिलाफ होने वाले आंदोलनों को पूरा समर्थन देने की बात कही गई। साथ ही बैठक में सरकार से प्रीमियम और लाभ, चिकित्सा बीमा और कृषि पर भी जीएसटी हटाने की मांग की गयी।