By-election in Bihar: कार्यकर्ता से अधिक भरोसा परिवार पर

By-election in Bihar

पटना: बिहार में चार विधानसभा सीटों पर उपचुनाव (By-election in Bihar) की घोषणा चुनाव आयोग ने कर दी है। चुनाव आयोग के घोषणा के आलोक में सभी सीटों पर नामांकन भी जारी है, सभी दलों ने अपने उम्मीदवारों के नाम पर भी मुहर लगा दी है। बिहार के इस उप चुनाव में लोगो को एक खास बात देखने को मिल रही है और यह खास बात है कि बिहार की सभी प्रमुख पार्टियों ने कार्यकर्ताओं से अधिक ध्यान अपने परिवार का रखा है। तभी तो राजद और परिवारवाद पर हमेशा हमला करने वाली पार्टी भाजपा ने भी अपने नेताओं के बेटे को ही टिकट दिया है।

बिहार में एक यूं तो एनडीए हमेशा राजद और कांग्रेस पर परिवारवाद की राजनीति करने का आरोप लगाते रही है। खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कई मंच से परिवारवाद की राजनीति पर हमला किया लेकिन उप चुनाव पार्टियों के उम्मीदवार देख कर ऐसा लग रहा है कि यह चुनाव नहीं बल्कि बच्चों को आगे बढ़ाने का एक मौका है। तभी तो उप चुनाव के लिए चार विधानसभा सीटों पर एनडीए और इंडिया गठबंधन दोनों ही तरफ से कम से कम तीन सीटों पर नेताओं के परिवार के लोगों को ही टिकट दिया गया है।

बेटे और बहू पर भरोसा ज्यादा

उपचुनाव में चार विधानसभा सीट पर एनडीए में सीट का बंटवारा हो गया है। दो सीट भाजपा के खाते में है जबकि एक सीट हम और एक सीट जदयू के खाते में गई है। भाजपा ने अपने दोनों ही सीट में रामगढ सीट से अशोक कुमार सिंह और तरारी सीट से विशाल प्रशांत को टिकट दिया है जबकि इमामगंज सीट से जीतनराम मांझी ने अपनी बहू को मैदान में उतारने का निर्णय लिया है। इधर जदयू ने बेलागंज सीट से मनोरमा देवी को मैदान में उतारने का निर्णय लिया है।

वहीं बात करें इंडिया गठबंधन की तो चार में से तीन सीटों पर राजद ने अपने उम्मीदवार उतारे हैं जबकि एक सीट भाकपा माले के खाते में गई है। राजद ने ने भी तीन सीटों पर रिश्तेदारों को ही तरजीह दी है और रामगढ सीट से प्रदेश अध्यक्ष जगदानंद सिंह के बेटे अजित सिंह को, बेलागंज विधानसभा से पूर्व विधायक सुरेंद्र यादव के बेटे विश्वनाथ सिंह और इमामगंज सीट से रोशन मांझी उर्फ़ राजेश मांझी को अपना उम्मीदवार बनाया है जबकि भाकपा माले ने तरारी सीट से राजू यादव को उम्मीदवार बनाया है।

रामगढ विधानसभा सीट

रामगढ विधानसभा सीट से एनडीए से भाजपा ने अशोक कुमार सिंह को मैदान में उतारा है। रामगढ सीट के उम्मीदवार अशोक कुमार सिंह पहले रामगढ से विधायक रह चुके हैं। वहीं दूसरी तरफ राजद ने रामगढ सीट से जगदानंद सिंह के बेटे अजीत सिंह को प्रत्याशी बनाया है। बता दें कि रामगढ़ विधानसभा से जगदानंद सिंह के ही पुत्र और वर्तमान प्रत्याशी अजीत सिंह के भाई सुधाकर सिंह ने 2020 विधानसभा चुनाव में जीत हासिल की थी। लोकसभा चुनाव में उनके सांसद बनने के कारण यह सीट खाली हुई है।

तरारी विधानसभा सीट

तरारी विधानसभा सीट से विशाल प्रशांत को। विशाल प्रशांत बाहुबली नेता और पूर्व विधायक अमरेंद्र कुमार उर्फ़ सुनील पांडेय के पुत्र हैं। सुनील पांडेय अभी हाल ही में भाजपा में शामिल हुए हैं। कहा जा रहा है कि सुनील पांडेय खुद चुनाव लड़ना चाहते थे लेकिन बाहुबली छवि होने की वजह से भाजपा ने उनके पुत्र विशाल प्रशांत को टिकट दिया है। सुनील पांडेय पहले विधायक रह चुके हैं।

वहीं भाकपा माले ने इस सीट से राजू यादव को अपना उम्मीदवार बनाया है। फौजी पिता के पुत्र राजू यादव छात्र जीवन से ही राजनीति से जुड़े और वे लोकसभा चुनाव भी लड़ चुके हैं और अब भाकपा माले ने उन्हें अपना उम्मीदवार बनाया है। यहां के विधायक सुदामा प्रसाद आरा लोकसभा सीट से सांसद चुने गये हैं जिसके बाद यह सीट खाली हुई है।

इमामगंज विधानसभा सीट

इमामगंज विधानसभा सीट एनडीए से हम के खाते में गई है। हम ने इस सीट पर राष्ट्रीय अध्यक्ष और बिहार में मंत्री संतोष सुमन की पत्नी और केंद्रीय मंत्री जीतनराम मांझी की बहू दीपामांझी को अपना उम्मीदवार बनाया। बता दें कि दीपा मांझी की मां ज्योति देवी भी बाराचट्टी विधानसभा सीट से हम की विधायक हैं। वहीं इस सीट पर राजद ने इमामगंज सीट से रोशन मांझी उर्फ़ राजेश मांझी को प्रत्याशी बनाया है। इमामगंज सीट से केंद्रीय मंत्री जीतनराम मांझी विधायक थे लेकिन उनके लोकसभा जाने के बाद यह सीट खाली हुई है।

बेलागंज विधानसभा सीट

बेलागंज विधानसभा सीट एनडीए में जदयू के खाते में गई है। जदयू ने यहां से मनोरमा देवी को अपना उम्मीदवार बनाया है। मनोरमा देवी गया के राजनीति के ध्रुव माने जाने वाले स्व विन्देश्वरी प्रसाद यादव की पत्नी हैं। वे पहले दो बार एमएलसी रह चुकी हैं और अब एक बार फिर जदयू ने उन्हें बेलागंज सीट से अपना उम्मीदवार बनाया है।

वहीं इंडिया गठबंधन की तरफ से इस सीट पर राजद ने पूर्व विधायक सुरेंद्र यादव के पुत्र विश्वनाथ यादव को उम्मीदवार बनाया है। इस सीट पर वर्ष 1990 से ही राजद का कब्ज़ा रहा है और लोकसभा चुनाव में यहां के विधायक सुरेंद्र यादव सांसद बन गए जिसके बाद इस सीट से उनके पुत्र को एक बार फिर उम्मीदवार बनाया गया है।

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मंजेश कुमार

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