डिजिटल डेस्क : छत्तीसगढ़ में पूर्व सीएम भूपेश बघेल के यहां CBI की रेड। छत्तीसगढ़ के पूर्व सीएम और कांग्रेस के दिग्गज नेता भूपेश बघेल के यहां बुधवार की सुबह CBI की रेड पड़ी है। छत्तीसगढ़ में भिलाई और रायपुर स्थित भूपेश बघेल के बंगले पर CBI की टीमें पहुंचीं।
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प्राप्त ब्योरे के मुताबिक, बुधवार सुबह साढ़े 5 बजे CBI की टीमों ने पूर्व सीएम भूपेश बघेल के अलावा 4 पुलिस अधिकारियों के बंगले पर भी दबिश दी।
बताया जा रहा है कि एक एडिशनल एसपी अभिषेक माहेश्वरी सहित IPS अभिषेक पल्लव, IPS आरिफ शेख, IPS आनंद छाबड़ा के बंगले पर भी CBI की टीम पहुंचीं हैं।
इनके अलावा पूर्व सीएम भूपेश बघेल के सलाहकार विनोद वर्मा और विधायक देवेंद्र यादव के बंगले पर भी CBI की टीमों ने रेड की है।
CBI रेड की भूपेश बघेल ने दी जानकारी
छत्तीसगढ़ में भिलाई और रायपुर स्थित भूपेश बघेल के बंगले पर CBI की बुधवार को पड़ी रेड की जानकारी खुद पूर्व सीएम भूपेश बघेल ने अपने सोशल मीडिया हैंडल एक्स पर साझा की है। छत्तीसगढ़ के पूर्व सीएम भूपेश बघेल सोशल मीडिया हैंडल एक्स पर उनके कार्यालय के हवाले से ट्वीट किया गया है।
इसमें लिखा गया है- ‘अब CBI आई है। आगामी 8 और 9 अप्रैल को अहमदाबाद (गुजरात) में होने वाली AICC की बैठक के लिए गठित “ड्राफ्टिंग कमेटी” की मीटिंग के लिए आज पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल का दिल्ली जाने का कार्यक्रम है। उससे पूर्व ही CBI रायपुर और भिलाई निवास पहुंच चुकी है।’
महादेव सट्टा ऐप मामले में सीबीआई की दबिश बताई जा रही है। बता दें कि 20 हजार करोड़ के महादेव सट्टा घोटाले की जानकारी सामने आई थी।
उसको लेकर पूर्व कांग्रेस सरकार और उनके अधिकारियों पर महादेव सट्टा संचालन में भूमिका का होने की बात सामने आई थी। उसके बाद भूपेश बघेल पर 500 करोड़ के लेन-देन का भी आरोप लगा था। पूर्व में शुभम सोनी ने वीडियो जारी कर सीएम बघेल पर आरोप लगाया था।

CBI की इस रेड पर आई कांग्रेस की टिप्पणी…
छत्तीसगढ़ में भिलाई और रायपुर स्थित भूपेश बघेल के बंगले पर CBI की बुधवार को पड़ी रेड पर कांग्रेस ने भी टिप्पणी की है।
कांग्रेस पार्टी के छत्तीसगढ़ संचार प्रमुख सुशील आनंद शुक्ला ने एक बयान में कहा कि ‘…भाजपा की मोदी सरकार ने कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव और पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के आवास पर CBI भेजी है। …CBI रायपुर और भिलाई दोनों जगहों पर पहुंच गई है।
…इससे पहले उन्होंने (भाजपा ने) पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के आवास पर ED को भेजा था। …आज CBI भूपेश बघेल के रायपुर और भिलाई आवास पर आई है।
…पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल का आज दिल्ली जाने का कार्यक्रम है। …इस कार्यक्रम में खलल डालने के लिए भाजपा ने आज पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के आवास पर CBI की टीम भेजी है।
…भाजपा बौखला गई है क्योंकि वह राजनीतिक रूप से मुकाबला नहीं कर पा रही है।’

बीते 10 मार्च को ED ने भूपेश बघेल के 14 ठिकानों पर किया था रेड
इससे पहले ED (प्रवर्तन निदेशालय) ने बीते 10 मार्च को इसी मामले के सिलसिले में दुर्ग जिले में 14 स्थानों पर छापेमारी की थी। उसमें भूपेश बघेल के आवास और उनके बेटे चैतन्य बघेल के आवास पर की गई छापेमारी भी शामिल थी।
धन शोधन निवारण अधिनियम के प्रावधानों के तहत कार्रवाई करते हुए ED ने लक्ष्मी नारायण बंसल उर्फ पप्पू बंसल से जुड़े स्थानों की भी तलाशी ली थी। उन्हें चैतन्य बघेल का करीबी सहयोगी बताया गया है।
तब ED ने बताया था कि वर्ष 2018 में भूपेश बघेल छत्तीसगढ़ की सत्ता में आए और अगले ही वर्ष यानि 2018 में कथित शराब घोटाले का खेल शुरू हुआ। ED के मुताबिक, घोटाले में कथित तौर पर संलिप्त लोगों ने नकली होलोग्राम को बनाने के लिए उत्तर प्रदेश के नोएडा में होलोग्राफी का काम करने वाली प्रिज्म होलोग्राफी सिक्योरिटी फिल्म्स प्राइवेट लिमिटेड कंपनी को टेंडर दिया था।
यह कंपनी होलोग्राम बनाने के लिए पात्र नहीं थी, फिर भी नियमों में संशोधन करके यह टेंडर कंपनी को दे दिया गया था। एक और खुलासा यह हुआ कि यह कंपनी छत्तीसगढ़ के ही एक नौकरशाह से जुड़ी थी। ED ने मामले में जब जांच शुरू की तो सामने आया कि छत्तीसगढ़ में शराब की बोतलों पर लगने वाले होलोग्राम का टेंडर कारोबारी विधु गुप्ता की कंपनी ने जीता।
हालांकि, यह टेंडर उन्हें अवैध कमीशन से मिला। जब ED (प्रवर्तन निदेशालय) ने विधु को गिरफ्तार किया तो उन्होंने मामले में बघेल सरकार की तरफ से सीएसएमसीएल के एमडी बनाए गए अरुणपति त्रिपाठी, रायपुर महापौर के बड़े भाई शराब कारोबारी अनवर ढेबर और अनिल टुटेजा का नाम लिया। जब ED ने इन तीनों आरोपियों को गिरफ्तार किया, तो मामले में और भी खुलासे हुए।
साल 2017 में छत्तीसगढ़ में मुख्यमंत्री रमन सिंह की सरकार ने एक नई आबकारी नीति का एलान किया था। इसके तहत छत्तीसगढ़ स्टेट मार्केटिंग कॉरपोरेशन लिमिटेड (सीएसएमसीएल) की स्थापना की गई। इस संस्थान को शराब उत्पादकों से शराब खरीदने और अपने स्टोर्स के जरिए बेचने का काम दिया गया।
छत्तीसगढ़ सरकार इस योजना के जरिए शराब बिक्री का पूरा रिकॉर्ड केंद्रीकृत करना चाहती थी। ED का कहना है कि रमन सिंह सरकार की योजना साफ थी। लेकिन जब 2018 में छत्तीसगढ़ में सरकार बदली तो सीएसएमसीएल का प्रबंधन भी बदल दिया गया।
इस तरह शराब सिंडिकेट ने इस पर कब्जा जमा लिया और एक समानांतर आबकारी विभाग शुरू कर दिया। इस सिंडिकेट में राज्य के वरिष्ठ नौकरशाहों से लेकर नेता और आबकारी विभाग के अधिकारी शामिल हो गए।
फरवरी 2019 में भारतीय दूरसंचार सेवा (आईटीएस) के अफसर अरुण पति त्रिपाठी को सीएसएमसीएल का प्रमुख बनाया गया। मई 2019 में उन्होंने निगम में प्रबंध निदेशक की जिम्मेदारी संभाली। ED के मुताबिक, इसके बाद से सरकारी वेंड्स से शराब की अवैध बिक्री शुरू हुई।

अवैध बिक्री में मदद के लिए अफसरों ने उस कंपनी को ही बदल दिया, जो शराब की बोतलों में लगने वाले होलोग्राम, यानी इसके असली होने का प्रमाण बनाती थी। इसकी जगह एक दूसरी कंपनी को होलोग्राम बनाने का ठेका दे दिया गया। इस कंपनी को असली होलोग्राम बनाने के साथ कुछ नकली होलोग्राम बनाने के लिए भी कहा गया।
नकली होलोग्राम को कथित तौर पर सीधे त्रिपाठी को भेज दिया जाता था, जो कि इसे देशी शराब के उत्पादकों को भेजते थे। यह उत्पादक कुछ बोतलों में असली और कुछ में नकली होलोग्राम लगाते थे। इन डुप्लिकेट होलोग्राम के साथ-साथ डुप्लिकेट बोतलें भी हासिल की गईं। इनमें शराब भरकर राज्य के वेयरहाउस की जगह सीधे ठेकों में पहुंचाया जाने लगा।
ED ने इस मामले में कोर्ट को बताया है कि इन कारगुजारियों के चलते छत्तीसगढ़ में अगले तीन साल तक बड़ी मात्रा में शराब को अवैध तरह से सप्लाई किया गया। करीब 40 लाख लीटर शराब सरकारी रिकॉर्ड में नहीं आ पाई। इनकी खरीद-बिक्री का कोई ब्योरा नहीं रखा गया।
बल्कि इस घोटाले में डिस्टिलर से लेकर ट्रंसपोर्टर (लाने-ले जाने वाले), होलोग्राम बनाने वाले, बोतल बनाने वाले, आबकारी अधिकारी और नेताओं का हिस्सा तय था।
चौंकाने वाली बात यह है कि घोटाले में शामिल लोगों की कमाई का जरिया सिर्फ शराब की अवैध तरह से बिक्री से ही नहीं बना, बल्कि आबकारी अधिकारी उत्पादकों से वैध बिक्री पर भी अवैध कमीशन ले रहे थे। एसीबी और ईओडब्ल्यू ने ED के पत्र के आधार पर जनवरी 2024 में एफआईआर दर्ज की।
ईओडब्ल्यू के दर्ज FIR में आईएएस अनिल टुटेजा (कथित घोटाले के दौरान वाणिज्य-उद्योग विभाग के संयुक्त सचिव), अरुणपति त्रिपाठी, कांग्रेस के नेता और रायपुर के मेयर एजाज ढेबर के बड़े भाई, शराब कारोबारी अनवर ढेबर को घोटाले का मास्टरमाइंड बताया गया है।