नई दिल्ली : भारत में अगली जनगणना 2027 में होने वाली है। जिसमें पहली बार जाति आधारित गणना भी की जाएगी। रविवार यानी 15 जून को केंद्रीय गृह व सहकारिता मंत्री अमित शाह ने इस एतिहासिक जनगणना को लेकर तैयारियों की समीक्षा की। इस बैठक में केंद्रीय गृह सचिव गोविंद मोहन, भारत के रजिस्ट्रार जनरल और जनगणना आयुक्त मृत्युंजय कुमार नारायण सहित कई वरिष्ठ अधिकारी मौजूद थे।
जनगणना को लेकर अधिसूचना 16 जून को राजपत्र में प्रकाशित की जाएगी
केंद्र सरकार की ओर से जारी आधिकारिक बयान में कहा गया है कि जनगणना को लेकर अधिसूचना सोमवार को राजपत्र में प्रकाशित की जाएगी। यह 16वीं जनगणना होगी और स्वतंत्रता के बाद 8वीं बार जनगणना कराई जा रही है। इस बार जनगणना में डिजिटल तकनीक का भी इस्तेमाल होगा और लोगों को मोबाइल एप के जरिए स्वयं जानकारी भरने का विकल्प भी मिलेगा। इसके साथ ही डेटा की सुरक्षा को लेकर सख्त उपाय किए जाएंगे। गौरतलब है कि भारत में पिछली जनगणना साल 2011 में हुई थी। कोरोना महामारी के चलते 2021 की जनगणना स्थगित कर दी गई थी, इस कारण अगली जनगणना 16 साल बाद हो रही है।
2 चरणों में की जाएगी जनगणना
पहला चरण – हाउस लिस्टिंग ऑपरेशन (HLO) होगा, जिसमें हर घर की स्थिति उसमें मौजूद सुविधाएं और संपत्ति से जुड़ी जानकारी इकट्ठी की जाएगी।
दूसरा चरण – जनसंख्या गणना (Population Enumeration) होगा, जिसमें हर व्यक्ति से जुड़ी जनसंख्यिकीय, सामाजिक, आर्थिक, सांस्कृतिक और अन्य जानकारी दर्ज की जाएगी।
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2027 का जनगणना क्यों है खास?
इस बार जाति आधारित आंकड़ों को भी शामिल किया जाएगा। इस जनगणना में लगभग 34 लाख गणनाकार और पर्यवेक्षक और करीब 1.3 लाख जनगणना अधिकारी तैनात किए जाएंगे। लद्दाख, जम्मू-कश्मीर के बर्फीले इलाकों, हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड जैसे क्षेत्रों के लिए जनगणना की तिथि एक अक्टूबर 2026 की मध्यरात्रि होगी। बाकी देश के लिए जनगणना की तिथि एक मार्च 2027 की मध्यरात्रि रखी गई है। इस बार जनगणना में आधुनिक तकनीक का प्रयोग किया जाएगा। इसके तहत डेटा संग्रहण के लिए मोबाइल एप्लिकेशन का इस्तेमाल किया जाएगा। लोग खुद भी अपनी जानकारी ऑनलाइन भर सकेंगे जिसे सेल्फ-एनेमरेशन कहा जाएगा।
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