CM Yogi : भारत आज सही दिशा में बढ़ रहा, बांटने वाली ताकतों से बचना जरूरी

गोरक्षपीठ आश्रम में शनिवार को सीएम योगी आदित्यनाथ

गोरखपुर : CM Yogiभारत आज सही दिशा में बढ़ रहा, बांटने वाली ताकतों से बचना जरूरी। गोरक्षपीठ के ब्रह्मलीन महंत दिग्विजयनाथ की 55वीं और ब्रह्मलीन महंत अवैद्यनाथ की 10वीं पुण्यतिथि के उपलक्ष्य में आयोजित साप्ताहिक श्रद्धांजलि समारोह के अंतिम दिन शनिवार (आश्विन कृष्ण चतुर्थी) को महंत अवैद्यनाथ की पुण्यतिथि पर सीएम योगी ने श्रद्धासुमन अर्पित किया।

सीएम योगी ने कहा – ‘आज भारत सही दिशा में बढ़ रहा है। गत 10 वर्षों में भारत की प्रगति, सर्वांगीण विकास की रूपरेखा उत्साहित करने वाली है। इस परिस्थिति में हम सबका दायित्व है कि हम बांटने वाली ताकतों के षड्यंत्र से बचें।

सतर्क इसलिए भी रहना होगा कि आपस में लड़ाने के लिए पैसा किसी और का होगा लेकिन माध्यम यहीं के लोग। इससे बचने के लिए संत परंपरा के संदेशों को जानने की आवश्यकता है’।

सीएम योगी बोले – कोरे भाषण से नहीं, आचरण परिवर्तन से आता है बदलाव

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अपने दादागुरु ब्रह्मलीन महंत दिग्विजयनाथ और गुरुदेव ब्रह्मलीन महंत अवेद्यनाथ का स्मरण करते हुए कहा कि -‘महंतद्वय ने जो कहा वह करके भी दिखाया। जो बोला वह किया और जो किया वही बोला। दोनों गुरुजनों ने सामाजिक एकता के लिए समरसता के अभियान को नई ऊंचाई दी।

शिक्षा, चिकित्सा और सेवा के अनेक प्रकल्पों को आगे बढ़ाया। गोसेवा और गोरक्षा के संकल्प को पूर्णता की राह दिखाई। महंतद्वय के लिए कोई कार्य सिर्फ उपदेश नहीं था बल्कि वह उसे करके दिखाते थे।

वास्तव में किसी बात का वजन तभी होगा जब हम उसे खुद आचरण में उतारेंगे। केवल कोरे भाषण से नहीं, बल्कि आचरण परिवर्तन से बदलाव आता है।

जातीय विभेद, छुआछूत, अस्पृश्यता के चलते जबतक  सामाजिक एकजुटता का अभाव रहेगा, तबतक राष्ट्रीय एकता को चुनौती मिलती रहेगी। यही कारण है कि भारत की मार्गदर्शक संत परंपरा ने समाज को जोड़ने का संदेश दिया है। हमें बांटने वाली ताकतों के षड्यंत्र से सतर्क होकर और एकजुट होकर देश और समाज हित के लिए काम करना होगा।

संतों की पुण्यतिथि पर आयोजन से, उनके व्यक्तित्व और कृतित्व के स्मरण से नई प्रेरणा मिलती है। पूज्य गुरुदेव ब्रह्मलीन महंत अवैद्यनाथ के साथ सेवा के अनेक प्रकल्पों से जुड़कर काम करने का सौभाग्य मुझे मिला।

वे मूलतः धर्माचार्य थे। उनमें वात्सल्य भाव था। वह मार्गदर्शक और सच्चे समाज सुधारक थे। सहज और सरल लोगों के लिए वह वात्सल्य स्वरूप थे तो धर्म विरोधी आचरण करने वालों की प्रति वज्र जैसे कठोर। महंत द्वय बिना रुके, बिना थके, बिना डिगे आजीवन देश और धर्म के लिए समर्पित रहे।

दोनों ने सदैव देश और धर्म को प्राथमिकता दी। इसके इतर उनके लिए कुछ भी नहीं था। उनके मूल्यों और आदर्शों के अनुरूप चलते हुए गोरक्षपीठ धर्म और देश की रक्षा को प्रतिबद्ध है‘।

आजादी के बाद भी गुलामी की मानसिकता से संतों में था आक्रोश

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि समाज और जीवन का ऐसा कोई पक्ष नहीं जिसे गोरक्षपीठ ने आगे न बढ़ाया हो। पीठ की परंपरा जोड़ने की रही है। पीठ ने इतिहास के अलग-अलग कालखंडों में उन कारणों को समझने के लिए प्रेरित किया, जिनकी वजह से देश को गुलाम होना पड़ा। यह पीठ इसलिए भी समाज की एकजुटता की बात करती है कि जब भी समाज में जाति की खाई को चौड़ा करने का प्रयास किया गया, तब-तब इसका दुष्परिणाम देश को लंबे समय तक गुलामी के रूप में भुगतना पड़ा। सीएम योगी ने कहा कि स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद भी गुलामी की मानसिकता इतनी हावी रही कि तत्कालीन नेतृत्व देश की सही दिशा नहीं तय कर पाया। अनेक बलिदानियों के सर्वस्व बलिदान से हासिल स्वतंत्रता के बाद भी देश को सही दिशा न मिलने से संतों में आक्रोश था। सीएम योगी ने कहा कि संत परंपरा सामाजिक एकजुटता की पोषक है। गुरु गोरखनाथ से लेकर आदि शंकर, स्वामी रामानंद, स्वामी रामानुजाचार्य सबके संदेश का प्राथमिक भाव यही है, “जाति-पांति पूछै नहीं कोई, हरि को भजै सो हरि का होई”।

गोरक्षपीठ आश्रम में शनिवार को संत समाज के साथ कार्यक्रम स्थल को जाते सीएम योगी आदित्यनाथ।
गोरक्षपीठ आश्रम में शनिवार को संत समाज के साथ कार्यक्रम स्थल को जाते सीएम योगी आदित्यनाथ।

महंत बालकनाथ बोले – सीएम योगी में है दिग्विजयनाथ और अवैद्यनाथ की तप साधना

हरियाणा के रोहतक से कार्यक्रम में पधारे राजस्थान के विधायक महंत बालकनाथ ने महंत द्वय को श्रद्धांजलि देते हुए कहा कि दोनों ही महापुरुष आज भी अपने विचारों, आदर्शों और अपने कार्यों के रूप में हमारे बीच विद्यमान हैं। उन्होंने शिक्षा पर विशेष ध्यान दिया, जिससे हमारी पीढ़ियों के भविष्य उज्ज्वल है।

वर्तमान गोरक्षपीठाधीश्वर एवं मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ  में महंत दिग्विजयनाथ और महंत अवेद्यनाथ की तप साधना विराजमान है। उनके नेतृत्व कौशल की सराहना देश ही नहीं पूरी दुनिया में हो रही है। महंत बालकनाथ ने उन लोगों से सावधान रहने की आवश्यकता जताई जो राजनीतिक स्वार्थ के लिए समाज को बांटने में जुटे हैं।

अयोध्या धाम से आए जगद्गुरु रामानुजाचार्य स्वामी वासुदेवाचार्य विद्याभाष्कर ने कहा कि मैकाले को लार्ड कहना गलत है, वह लार्ड नहीं बल्कि धूर्त था। गोरक्षपीठ ने मैकाले की शिक्षा प्रणाली की बजाय भारतीयता को प्रमुखता देने वाली शिक्षा का वरण पीढ़ियों को कराया।

यही नहीं इस पीठ के ब्रह्मलीन महंत दिग्विजयनाथ और महंत अवेद्यनाथ ने समाज को छुआछूत से निकालकर एकता के सूत्र में पिरोया।

डॉ. वेदांती बोले – राजनीति को अपने रंग में रंग देता है संत, गोरक्षपीठ इसकी मिसाल

काशी से पधारे कथाव्यास श्रीमदजगदगुरु अनंतानंद द्वाराचार्य काशीपीठाधीश्वर स्वामी डॉ. रामकमल दास वेदांती ने कहा कि संत के लिए राजनीति भी लोक कल्याण का मार्ग है।

संत राजनीति के रंग में खुद नहीं रंगता बल्कि राजनीति को ही अपने रंग में रंग देता है। इसका सबसे बड़ा प्रमाण गोरक्षपीठ है जहां के पीठाधीश्वरों ने राजनीति को नई दिशा देकर उसे लोक कल्याण का माध्यम बनाया।

अयोध्याधाम से पधारे स्वामी रामदिनेशाचार्य ने कहा कि शैक्षिक पुनर्जागरण और अश्पृश्यता दूर करने के लिए ब्रह्मलीन महंत दिग्विजयनाथ और ब्रह्मलीन महंत अवेद्यनाथ  द्वारा दिए गए योगदान को युगों-युगों तक याद किया जाएगा। इन दोनों संतों की परंपरा में दीक्षित योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व से आज प्रदेश में रामराज्य की परिकल्पना साकार हो रही है।

उन्होंने कहा कि अब तो यही कामना है कि रामराज्य की जिस झांकी को उत्तर प्रदेश के लोगों ने देखा है वह पूरे भारतवर्ष के लोगों के लिए भी साकार हो।

अयोध्याधाम से आए जगद्गुरु रामानुजाचार्य स्वामी राघवाचार्य जी महाराज ने कहा कि वर्तमान गोरक्षपीठाधीश्वर योगी आदित्यनाथ ब्रह्मलीन महंत दिग्विजयनाथ और महंत अवेद्यनाथ के वैचारिक ऊर्जा से ओतप्रोत हैं और इसी ऊर्जा का प्रभाव आज चहुंओर देखा जा रहा है।

दुग्धेश्वरनाथ मंदिर गाजियाबाद से पधारे स्वामी नारायण गिरी ने कहा कि गोरक्षपीठ के मूर्धन्य संतों की समृद्ध परंपरा नहीं होती तो पूर्वांचल की स्थिति भी केरल या कश्मीर जैसी हो जाती।

गोरक्षपीठ आश्रम में शनिवार को संबोधन देते सांसद रवि किशन
गोरक्षपीठ आश्रम में शनिवार को संबोधन देते सांसद रवि किशन

रवि किशन बोले – अयोध्या में राम मंदिर का निर्माण गोरक्षपीठ की देन

श्रद्धांजलि सभा में गोरखपुर के सांसद रविकिशन शुक्ल ने कहा कि महंत दिग्विजयनाथ और महंत अवेद्यनाथ जी दूरद्रष्टा संत थे। उन्होंने शिक्षा के साथ ही चिकित्सा स्वास्थ्य की मजबूती को लेकर जो प्रयास किए वह अनिर्वचनीय हैं। दोनों ही महंत जी संत के साथ योद्धा भी थे।

उन्होंने कहा कि अयोध्या में पांच सौ साल बाद राम मंदिर बन पाया है तो यह गोरक्षपीठ और इसके पीठाधीश्वरों की देन है।

केंद्रीय ग्रामीण विकास राज्यमंत्री कमलेश पासवान ने ब्रह्मलीन महंतद्वय को श्रद्धांजलि देते हुए कहा कि मेरे पिता ने राजनीति का ककहरा ब्रह्मलीन महंत अवेद्यनाथ से सीखा था। महाराज (अवेद्यनाथ) ने छुआछूत मिटाने के लिए जो अभियान चलाया वह एक मिसाल है। उनका व्यक्तित्व ऐसा था कि वे सबके प्रिय और आदरणीय थे।

आज उनके दिखाए मार्गों पर चलकर उनके शिष्य, गोरक्षपीठाधीश्वर एवं मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ पूरे प्रदेश का गौरव बढ़ा रहे हैं।

प्रदेश सरकार के कैबिनेट मंत्री स्वतंत्र देव सिंह ने कहा कि महंत अवैद्यनाथ की दिव्यता और उनके विचारों को वर्तमान गोरक्षपीठाधीश्वर एवं मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और उनकी कार्यशैली में मूर्तमान देखा जा सकता है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सुरक्षा का वह माहौल बनाया है कि आज बहन-बेटियां बेखौफ होकर स्कूल कॉलेज जा रही हैं।

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