जामताड़ा: साइबर क्राइम के लिए कुख्यात है, अब एक राजनीतिक हॉट सीट बन गया है। झामुमो के दिशोम गुरु शिबू सोरेन का प्रभाव क्षेत्र, जो रांची से दुमका जाते समय जामताड़ा से गुजरता है, ने यहां की राजनीति को सलीके से सींचा है। पहले कांग्रेस नेता फुरकान अंसारी और अब उनके बेटे इरफान अंसारी के नाम से जामताड़ा विधानसभा क्षेत्र जाना जाता है।
2005 में भाजपा के टिकट पर विष्णु भैया ने चुनाव जीता, लेकिन 2009 में वे झामुमो में शामिल हो गए और दोबारा जीत हासिल की। अब 2024 के चुनाव में भाजपा की तरफ से गुरुजी की बड़ी बहू सीता सोरेन मैदान में हैं, जिससे जामताड़ा की राजनीतिक परिस्थितियाँ बदल गई हैं। सीता सोरेन इस बार जामताड़ा की सामान्य सीट से चुनाव लड़ रही हैं, जबकि वह पहले एसटी के लिए सुरक्षित जामा विधानसभा क्षेत्र से चुनाव लड़ती रही हैं और तीन बार जीत चुकी हैं।
सीता का सीट बदलना निश्चित रूप से चुनाव पर असर डालेगा। इरफान अंसारी, जो अल्पसंख्यकों के बीच लोकप्रिय हैं, ने जामताड़ा की राजनीतिक जमीन को मजबूत किया है। वे हमेशा दूसरे समुदायों के सुख-दुख में भागीदार बने रहे हैं। यदि इस बार उन्हें संथाल मतदाताओं का समर्थन मिला, तो सीता सोरेन को कड़ी चुनौती का सामना करना पड़ेगा।
जामताड़ा का यह चुनावी मुकाबला न केवल क्षेत्र की राजनीति को प्रभावित करेगा, बल्कि यह दिखाएगा कि किसका प्रभाव ज्यादा है—भाजपा का या झामुमो का।