नई दिल्ली : बिहार सरकार के उपमुख्यमंत्री सह कृषि मंत्री विजय कुमार सिन्हा ने आज नई दिल्ली में आयोजित कृषि सम्मेलन खरीफ अभियान-2025 में भाग लिया। उन्होंने संबोधन में कहा कि मैं बिहार के चौतरफा विकास के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का आभारी हूं, जिन्होंने राज्य में मखाना विकास बोर्ड की स्थापना की घोषणा की है। यह कदम मखाना से जुड़े बिहार के लाखों किसानों के लिए बेहद फायदेमंद साबित होगा तथा मखाना के उत्पादन, प्रसंस्करण, क्षमतासंवर्द्धन तथा विपणन में मद्दगार साबित होगा। साथ ही, प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना के तहत् कोसी-मेची इंट्रा स्टेट लिंक प्रोजेक्ट की मंजूरी दी गई है। इससे जहां एक बड़े क्षेत्र में सिंचाई के लिए पानी मिलेगा। वहीं किसान भाई-बहनों की आय भी बढ़ेगी। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री ने बिहार के भागलपुर में जर्दालु आम, मुंगेर और बक्सर में टमाटर, प्याज एवं आलू के लिए तीन सेन्टर ऑफ एक्सिलेन्स स्थापित करने की घोषणा की गई है। भारत सरकार के सहयोग से इन केंद्रों की स्थापना से राज्य के किसानों को लाभ होगा।
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किसानों को फार्मर ID बनाया जा रहा है – डिप्टी सीएम विजय कुमार सिन्हा
उन्होंने केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण और ग्रामीण विकास मंत्री शिवराज सिंह चौहान का आभार व्यक्त करते हुए कहा कि गत वित्तीय वर्ष में प्रधानमंत्री राष्ट्रीय कृषि विकास योजना के अंतर्गत पांच किस्तों के माध्यम से केंद्रांश की राशि 237.63 करोड़ रुपए विमुक्त किए है। इस वित्तीय वर्ष में राज्य को 270.80 करोड़ केंद्रांश के उद्व्यय के अनुसार 235.41 करोड़ रुपए की राशि विमुक्त की गई है। इसी प्रकार कृषोन्नति योजना के अंतर्गत गत वर्ष 144.60 करोड़ रुपए की राशि विमुक्त की गई। कृषि विभाग द्वारा केंद्र सरकार की महत्वकांक्षी परियोजना एग्री स्टेक परियोजना अंतर्गत रबी मौसम में राज्य के 28 जिलों में डिजिटल क्रॉप सर्वे का कार्य किया गया। वर्तमान खरीफ मौसम में राज्य के सभी 38 जिलों में डिजिटल क्रॉप सर्वे का कार्य किया जाएगा। इसी प्रकार राज्य सरकार द्वारा फार्मर रजिस्ट्री का कार्य राज्य के सभी जिलों में शुरू कर दिया गया है तथा किसानों को फार्मर आईडी बनाया जा रहा है।
कोशी क्षेत्र में जूट फसल विकास के लिए विशेष कार्यक्रम चलाए जाएंगे
उपमुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य के सभी जिलों में नवयुवकों को कृषि कार्य हेतु प्रोत्साहित करने के लिए किसान कल्याण संवाद एवं युवा किसान सम्मान समारोह का आयोजन चरणबद्ध तरीके से किया जा रहा है। इस कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य किसानों का योजनाओं के विषय में फिडबैक प्राप्त करना, योजनाओं के क्रियान्वयन में सुधार तथा युवा किसानों को व्यवसायिक कृषि अपनाने के लिए प्रोत्साहित करना है। उन्होंने कहा कि कृषि विभाग के द्वारा प्राथमिकता के क्षेत्र चिन्ह्ति किए गए हैं, जिसपर वर्ष 2025-26 से कार्य शुरू किया जाएगा। राज्य में फसल विविधिकरण को बढ़ावा देने के लिए गैर परम्परागत क्षेत्रों में मक्का का क्षेत्र विस्तार किया जाएगा। इक्रीसेट एवं कृषि विश्वविद्यालयों के सहयोग से पोषक/मोटे अनाज के क्षेत्र विस्तार के साथ-साथ बाजरा एवं अन्य छोटे मिलेट्स के जर्मप्लाज्म को इकट्ठा करना, उसको संरक्षित किया जाएगा। दलहन, तेलहन, फल, सब्जी, औषधीय पौधे और फूल की खेती को बढ़ाया जाएगा। वर्षा आश्रित क्षेत्रों में शुष्क बागवानी और पोषक अनाज, बाजरा और मरुआ आदि की खेती को बढ़ावा दिया जाएगा। कोशी क्षेत्र में जूट फसल विकास के लिए विशेष कार्यक्रम चलाए जाएंगे।
राज्य में अकृष्य एवं बंजर भूमि में लेमन ग्रास एवं अन्य फसलों की खेती को बढ़ावा दिया जाएगा
राज्य में अकृष्य एवं बंजर भूमि में लेमन ग्रास एवं अन्य फसलों की खेती को बढ़ावा दिया जाएगा, जिससे किसानों की आमदनी के नए स्त्रोत खुलेंगे। बागवानी में आम, लीची और केला के क्षेत्र विस्तार के साथ-साथ शुष्क बागवानी फसलों यथा नींबू, आंवला, बेल और बेर आदि फसलों के क्षेत्र विस्तार किया जाएगा। साथ ही, राज्य के चौड़ क्षेत्रों में मखाना-मछली-पानी फल सिंघाड़ा के फसल चक्र के लिए विशेष कार्यक्रम क्रियान्वित किए जाएंगे। राज्य के चयनित जिलों में बेबी कॉर्न एवं स्वीट कॉर्न की योजना क्रियान्वित की जाएगी। सूक्ष्म सिंचाई को बढ़ावा दिया जाएगा। जैविक एवं प्राकृतिक खेती को बढ़ावा दिया जाएगा, इसके लिए किसान तथा किसान समूहों को बड़े पैमाने पर प्रशिक्षण की व्यवस्था की जाएगी। साथ ही प्राकृतिक खेती की सफल क्रियान्वयन हेतु कृषि से संबद्ध विभागों तथा संस्थान के साथ समन्वय स्थापित किया जाएगा। राज्य में गत वर्ष सकर मक्का बीज उत्पादन तथा गेहूं के आधार बीज उत्पादन का कार्यक्रम क्रियान्वित किया गया है, ताकि राज्य के अंदर ही गुणवत्तायुक्त बीज का उत्पादन किया जाए। इस वर्ष कई और फसलों के आधार बीज उत्पादन का कार्य किया जाएगा।
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दलहनी फसलों के लिए भी बीजों पर सब्सिडी की सीमा 50 रुपए किलोग्राम को संशोधित किया जाना चाहिए – विजय सिन्हा
सिन्हा ने कृषि एवं किसान कल्याण विभाग कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय भारत सरकार से राज्य के लंबित मुद्दे पर अनुरोध किया कि धान और मक्का के लिए संकर बीजों पर भारत सरकार द्वारा दी जाने वाली सहायता 100 रुपए प्रति किलोग्राम को संशोधित किया जाना चाहिए क्योंकि संकर बीजों की लागत बहुत अधिक है। इसी प्रकार दलहनी फसलों के लिए भी बीजों पर सब्सिडी की सीमा 50 रुपए किलोग्राम को संशोधित किया जाना चाहिए क्योंकि बीजों की लागत बहुत अधिक है। मक्का और दलहन के लिए प्रत्यक्षण दरें बढ़ाई जानी चाहिए। पिछले पांच वर्षों में नैफेड और एनसीसीएफ जैसी सरकारी एजेंसियों द्वारा राज्य में तिलहन और दलहन की कोई खरीद नहीं की गई है। इन एजेंसियों को राज्य में दलहन और तिलहन की न्यूनतम समर्थन मूल्य पर खरीद के लिए निर्देशित किया जा सकता है। इससे किसानों को फसलों की अच्छी कीमत मिलने में मदद मिलेगी और वे दलहन और तिलहन की खेती के लिए प्रेरित होंगे।
पटना में एपीडा कार्यालय यथाशीघ्र खोलने का किया अनुरोध – विजय सिन्हा
उन्होंने राष्ट्रीय मखाना अनुसंधान केंद्र दरभंगा में पूर्णकालिक निदेशक और अनुसंधान क्षमता में सुधार के लिए अनुरोध किया। पटना में एपीडा कार्यालय यथाशीघ्र खोलने का अनुरोध किया। मधुमक्खी पालन एवं शहद उत्पादन पर अनुसंधान करने तथा राष्ट्रीय लीची अनुसंधान केंद्र मुजफ्फरपुर में शहद प्रयोगशाला स्थापित करने के लिए अनुरोध किया। किसानों के लिए अपनी उपज का बेहतर मूल्य प्राप्त करने तथा मजबूरी में बिक्री से बचने के लिए बाजार एक महत्वपूर्ण आवश्यकता है। राज्य सरकार शेष 32 मंडियों को विकसित करने की योजना बना रही है। इस संबंध में 32 मंडियों के विकास तथा आधुनिकीकरण के लिए 1168 करोड़ रुपए की धनराशि का अनुरोध किया गया है। दक्षिण बिहार में अर्ध-शुष्क और शुष्क जलवायु के कारण वर्षा की कमी होती है। ऐसे जिलों में मुख्य रूप से बेर, जामुन, आंवला, बेल और फालसा जैसे फलों की खेती की जा सकती है। इसलिए दक्षिण बिहार में अर्ध-शुष्क फसलों के लिए एक समर्पित बागवानी संस्थान की मांग की गई है।
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विवेक रंजन की रिपोर्ट