Dhanbad : गुरुवार को स्वास्थ्य विभाग के निर्देश पर पाटलिपुत्र सुपर स्पेशिलिटी प्रबंधन पर लगे ईलाज में लापरवाही की आरोपों की जांच करने रांची RDD डॉ प्रभात कुमार धनबाद पहुंचे। अस्पताल पहुंचकर RDD ने मामले की जांच-पड़ताल की। इस दौरान उन्होंने कागजों को खंगाला इसके साथ हीं पीड़ित शिकायतकर्ता से मुलाकात कर उनका पक्ष भी जाना।
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बता दें कि गोधर के रहने वाले संजय कुमार वर्मा ने अपने 9 वर्षीय इकलौते पुत्र आदित्य कु वर्मा की मौत का जिम्मेदार जोड़ाफाटक रोड स्थित अस्पताल प्रबंधन व उस अस्पताल के चिकित्सकों पर बताते हुए इलाज में लापरवाही बरतने का आरोप लगाया था। आरोप यह था कि उनके पुत्र आदित्य कुमार वर्मा को पेट में दर्द होने पर उक्त निजी अस्पताल में भर्ती कराया गया था।
Dhanbad : पेट में दर्द होने पर किया गया था अस्पताल में भर्ती
जांच के बाद अस्पताल प्रबंधन ने अगले दिन बेटे को डिस्चार्ज कर दिया। अस्पताल के चिकित्सकों ने बताया कि बच्चे के पेट में कुरकुरे चिप्स आदि खाने की वजह से इंफेक्शन है, कुछ दिन के बाद बेटे को फिर से पेट में दर्द की शिकायत हुई। 5 जुलाई को बेटे को उक्त अस्पताल में पुनः भर्ती कराया गया। डॉ राकेश कुमार ने सीटी स्कैन कराया, बाद में डॉ राकेश ने बताया कि रिपोर्ट दो दिन के बाद आयेगी।
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8 जुलाईं को रिपोर्ट आयी, इसके बाद बेटे को रेफर कर दिया गया। वह अपने बेटे को लेकर एसएसकएम हॉस्पिटल, कोलकाता ले गये। एसएसकेएम अस्पताल के चिकित्सकों ने धनबाद के निजी अस्पताल की रिपोर्ट देखकर बताया कि बच्चे का केस खराब हो गया है। बच्चे के पेट में अपेंडिस था, जो दो दिन पहले ही फट गया है।
इलाज के दौरान बेटे की मौत
इलाज के दौरान ही 9 जुलाई को उनके बेटे की मौत हो गयी। जिसके बाद उन्होंने सीएस से मामले की जांच कर अस्पताल प्रबंधन व चिकित्सकों पर कानूनी कारवाई करने की मांग की थी। आज भी परिजन ने आरोप लगाया कि जांच के दौरान पीड़ित परिवार को जांच से दूर रखा गया ऐसे में कहीं मामले के लीपापोती ना हो जाए।
वहीं पूरे मामले की जांच करने धनबाद पहुंचे डॉक्टर प्रभात कुमार ने बताया कि दोनों पक्षों का बयान लिया गया है। बहुत सारे कागजात हैं जिस पर गहन जांच-पड़ताल की आवश्यकता है उसके अध्ययन के बाद ही बेहतर जांच रिपोर्ट बनाई जा सकती है। पीड़ित परिवार के साथ उनकी संवेदना है। पूरे मामले में जो भी जांच रिपोर्ट आएगा वह स्वास्थ्य विभाग को समर्पित कर दिया जाएगा।
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आदित्य को न्याय दिलाने के लिए परिजन पिछले 7 माह से लगातार स्वास्थ्य विभाग के साथ-साथ मुख्यमंत्री, प्रधानमंत्री एवं अन्य विभागों से गुहार लगा रहे हैं लेकिन जांच की रफ्तार कछुए की चाल से चल रही है। आज भी परिजनों को अस्पताल में जांच के दौरान जांच प्रक्रिया से दूर रखा गया और बाद में शाम को सिविल सर्जन कार्यालय में बुलाकर उनसे आवश्यक कागजात की मांग की गई। अब यह देखना लाजमी होगा कि पीड़ित परिवार को न्याय मिलता है या फिर पूरे मामले को पूर्व की अन्य मामलों की तरह जांच करके कागजों में समेट कर रख दिया जाता है।
धनबाद से राजकुमार जायसवाल की रिपोर्ट—