डीआइजी संध्या रानी मेहता की रिपोर्ट में गोंदा थाना केस की जांच में लापरवाही उजागर, आरोपी काशीनाथ नायक पर 18 आपराधिक केस दर्ज पाए गए।
डीआइजी की रिपोर्ट में खुलासा: गोंदा थाना केस की जांच में लापरवाही, आरोपी को मिला फायदा
रांची: पुलिस मुख्यालय में डीआइजी (बजट) संध्या रानी मेहता द्वारा गोंदा थाना में दर्ज काशीनाथ नायक केस की विस्तृत समीक्षा रिपोर्ट तैयार की गई है। यह मामला 28 मई 2025 को एक महिला की शिकायत पर दर्ज किया गया था, जिसमें आरोपी पर अश्लील वीडियो बनाकर ब्लैकमेल करने, दूसरी शादी करने और वीडियो वायरल करने का गंभीर आरोप लगा था।
DIG Report on Kashi Nath Nayak Case
डीआइजी की रिपोर्ट में बताया गया है कि इस केस के अनुसंधानक गोंदा थाना प्रभारी सह इंस्पेक्टर अभय कुमार सिन्हा थे। आरोपी काशीनाथ नायक को 29 मई 2025 को गिरफ्तार कर जेल भेजा गया था, लेकिन फिलहाल वह जमानत पर बाहर है।
Key Highlights:
डीआइजी संध्या रानी मेहता ने गोंदा थाना केस की समीक्षा कर रिपोर्ट सौंपी
आरोपी काशीनाथ नायक पर महिला को ब्लैकमेल करने और अश्लील वीडियो वायरल करने का आरोप
आरोपी पर पहले से 18 आपराधिक मामले दर्ज, जिनमें हत्या, लूट और डकैती शामिल
जांच अधिकारी पर केस डायरी में आपराधिक रिकॉर्ड छुपाने का आरोप
अनुसंधानक पर अनुशासनिक कार्रवाई की सिफारिश, पुनः ठोस साक्ष्य जुटाने का निर्देश
रिपोर्ट के अनुसार, सुपरविजन के दौरान आरोपी पर लगाए गए आरोप सही पाए गए थे। बावजूद इसके, जब आरोपी ने अदालत में जमानत याचिका दायर की, तो पुलिस द्वारा न्यायालय में समर्पित की गई केस डायरी में आरोपी के आपराधिक रिकॉर्ड का उल्लेख नहीं किया गया।
DIG Report on Kashi Nath Nayak Case
डीआइजी की जांच में सामने आया कि काशीनाथ नायक के खिलाफ चुटिया, सोनाहातू, नामकुम और धुर्वा थानों में हत्या, लूट, डकैती और एससी-एसटी अधिनियम के तहत कुल 18 आपराधिक मामले दर्ज हैं। इनमें से 16 मामलों का विस्तृत उल्लेख रिपोर्ट में किया गया है।
DIG Report on Kashi Nath Nayak Case
रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि जांच अधिकारी ने आरोपी को लाभ पहुंचाने के उद्देश्य से केस डायरी में उसके आपराधिक इतिहास को छुपाया और ठोस साक्ष्य जुटाने में लापरवाही बरती। इससे आरोपी को न्यायालय से राहत मिल गई।
डीआइजी संध्या रानी मेहता ने अपनी रिपोर्ट में अनुसंधानक के विरुद्ध अनुशासनिक कार्रवाई की अनुशंसा की है। साथ ही, केस से संबंधित कई बिंदुओं पर पुनः ठोस साक्ष्य एकत्रित करने के निर्देश भी दिए गए हैं ताकि पीड़िता को न्याय मिल सके और केस की जांच निष्पक्ष रूप से पूरी की जा सके।
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