पटना : पटना के जिलाधिकारी डॉ. चंद्रशेखर सिंह ने आज यानी संप हाउस एवं नालों का निरीक्षण किया। उन्होंने कहा है कि शहर में जल-निकासी की सुगम, सुचारू एवं सुदृढ़ व्यवस्था है। अतिवृष्टि की स्थिति में आम जनता को कोई समस्या नहीं होने दी जाएगी। सरकार द्वारा निर्धारित मानक संचालन प्रक्रिया (एसओपी) के अनुसार सभी व्यवस्था की गई है। वे आज शहर के विभिन्न सम्प हाउसों, नालों एवं पटना सुरक्षा बांध का निरीक्षण कर रहे थे।
निरीक्षण के समय बुडको के प्रबंध निदेशक योगेश कुमार सागर, अनुमंडल पदाधिकारी, पटना सदर/दानापुर, अपर समाहर्ता आपदा प्रबंधन, जल संसाधन विभाग के अधीक्षण अभियंता, नगर कार्यपालक पदाधिकारी, पाटलिपुत्र अंचल एवं अन्य भी उपस्थित थे। डीएम डॉ. सिंह ने कहा कि जल संसाधन विभाग के आंकड़ों के अनुसार, गंगा नदी का वर्तमान जल-स्तर उच्चतम जल-स्तर से काफी कम है। डेंजर लेवल से यह लगभग छह मीटर कम है। दीघा घाट में आज सबेरे छह बजे नदी का जल-स्तर 43.67 मीटर था जबकि उच्चतम जल-स्तर 52.52 मीटर और खतरनाक जल-स्तर (डेंजर लेवल) 50.45 मीटर है। मौसम विभाग द्वारा दी गई सूचना के अनुसार काफी अच्छी बारिश की संभावना है और अतिवृष्टि भी हो सकती है। किसी भी स्थिति से निपटने के लिए सम्पूर्ण प्रशासनिक तंत्र सजग, सक्रिय एवं तत्पर है।
डीएम द्वारा आज मॉनसून-पूर्व तैयारियों के क्रम में सबसे पहले दीघा लॉक का भ्रमण किया गया। उन्होंने वहां गंगा का जल-स्तर, स्लूईस गेट की क्रियाशीलता, डीपीएस संचालन आदि का जायजा लिया। जिलाधिकारी द्वारा पटना शहर सुरक्षा दीवाल का निरीक्षण किया गया। उन्होंने एलसीटी घाट स्लूईस गेट, राजापुर पुल नाला एवं ड्रेनेज पम्पिंग प्लांट, आनंदपुरी नाला, मंदिरी नाला एवं ड्रेनेज पम्पिंग स्टेशन का निरीक्षण किया। डीएम डॉ. सिंह द्वारा नाला के उड़ाही कार्य का जायजा लिया गया। नाला में कितनी गहराई तक सिल्ट निकाला गया है, इसकी जाँच की गई। उन्होंने नाला में जल प्रवाह का निरीक्षण किया।
डॉ. सिंह ने कहा कि जलजमाव के मुख्य कारणों में से एक कम समय में अधिक वर्षा होना है। इसे रोकने के लिए सभी ड्रेनेज पम्पिंग स्टेशन (डीपीएस) पर पम्प कार्यरत रहेगा। डीपीएस में कोई भी यांत्रिक या विद्युत त्रुटि नहीं रहे यह सुनिश्चित करने का निदेश दिया गया है। बिजली आपूर्ति में कोई बाधा नहीं रहेगी। पम्प का ससमय संचालन करने की व्यवस्था की गई है। डीपीएस की जल निकासी क्षमता आवश्यकता के अनुरूप है। नाला जाम न हो एवं नालों का ओवरफ्लो न हो, इसके साथ-साथ नालों को अतिक्रमणमुक्त रखने तथा क्षतिग्रस्त नालों की मरम्मति भी आवश्यकतानुसार करने का निदेश दिया गया है।
उन्होंने कहा कि निर्धारित मानकों के अनुसार प्रशासन द्वारा सारी तैयारी कर ली गई है। बड़े नालों एवं आनुषंगिक नालों की साफ-सफाई का कार्य पूर्ण हो चुका है। पूरे पटना जिला में सभी सम्प हाउस में पर्याप्त संख्या में डीजल एवं बिजली संचालित पम्प, डीजी सेट इत्यादि की व्यवस्था है। डीएम डॉ. सिंह ने कहा कि वर्ष 2019 की तुलना में सम्प हाउस पर पानी को पम्प आउट करने की क्षमता लगभग दोगुनी कर ली गई है। विशेष परिस्थिति से निपटने हेतु प्रशासन द्वारा वैकल्पिक व्यवस्था भी की गई है। कार्यकारी एजेंसियों को तत्पर एवं सक्रिय रहने का निदेश दिया गया है। नगर निगम के सभी अंचलों द्वारा नालों के संबंध में नवीनतम सर्वे करते हुए कार्य-योजना के अनुसार आवश्यक काम किया जा रहा है। सभी अंचलों में बड़े-छोटे नालों की सफाई सहित सभी मेनहॉल तथा कैचपिट की उड़ाही का कार्य पूर्ण कर लिया गया है। मुख्यालय स्तर पर स्थापित 24×7 नियंत्रण कक्ष (155304) से आम नागरिकों से प्राप्त होने वाले शिकायतों का ससमय निवारण किया जाता है। पटना नगर निगम द्वारा शहर के डीपीएस की रियल टाईम मॉनिटरिंग की जा रही है। वाटर लेवल, पानी का फ्लो सहित अन्य प्रकार की मॉनिटरिंग की जा रही है।
मॉनसून के दौरान विशेष निगरानी रखी जाएगी। मॉनिटरिंग के लिए पटना स्मार्ट सिटी की आईसीसीसी (इंटिग्रेटेड कंट्रोल एण्ड कमांड सेन्टर) से यह कनेक्ट रहेगा। सभी स्थायी/अस्थायी सम्प हाउस, बड़े नालों को वार्डवार मैट्रिक्स अनुरूप छोटे-छोटे अंशों में विभक्त कर अभियंताओं/कर्मियों को उत्तरदायी बनाते हुए वाकी-टॉकी से सम्बद्ध कर प्रतिनियुक्त किया गया है। नगर निगम के 75 वार्डों को 19 जोन में बांटकर मॉनसून के दौरान जल-जमाव की समस्या को रोकने, आवश्यकतानुसार त्वरित कार्रवाई एवं गहन पर्यवेक्षण हेतु अंचल स्तर पर क्यूआरटी की प्रतिनियुक्ति की गई है। हर एक वार्ड का एक नोडल ऑफिसर बनाया गया है। उच्च क्षमता वाले डिवाटरिंग पम्प तथा विविध क्षमता वाले पम्प के अधिष्ठापन हेतु स्थल को चिन्हित कर लिया गया है। जिलाधिकारी ने कहा कि जल निकासी से संबंधित समस्या को रोकने के लिए अंतर्विभागीय समन्वय सुनिश्चित करने का निदेश दिया गया है। विद्युत, पथ, मेट्रो, पुल निर्माण, एनएचएआई, बुडको, नगर निगम तथा जिला प्रशासन के बीच में बेहतर समन्वय रहना चाहिए ताकि जल निकासी की समस्या को रोका जाए।
चंद्रशेखर सिंह ने कहा कि कार्य प्रमंडल, बुडको द्वारा संचालित ड्रेनेज पंपिंग स्टेशनों की अद्यतन स्थिति की समीक्षा की गई है। बुडको द्वारा कुल 66 स्थायी ड्रेनेज पंपिंग स्टेशन संचालित है। 19 अस्थायी ड्रेनेज पंपिंग स्टेशन का संचालन मॉनसून अवधि में पटना शहर के विभिन्न क्षेत्रों में किया जाता है। डीपीएस के कुल पंपों की संख्या 327 है जिसमें 300 स्थायी डीपीएस तथा 27 अस्थायी डीपीएस के पम्पों की संख्या है। विद्युत चालित पम्प 259 तथा डीजल चालित पम्प 68 है। ट्रॉली माउंटेड पम्प सेट की संख्या 108 है जिसका आवश्यकतानुसार संचालन किया जाता है। विभिन्न डीपीएस पर अलग-अलग क्षमता का 39 डीजी सेट अधिष्ठापन किया गया है। विभिन्न पम्पिंग प्लांट पर ई-सर्विलांस(सीसीटीवी कैमरा) के अधीन तीन पालियों में पर्याप्त संख्या में पम्प ऑपरेटर तथा सफाई कर्मी 24×7 कार्यरत हैं। बुडको हेडक्वार्टर पर कंट्रोल रूम से 24×7 अनुश्रवण किया जा रहा है। सभी 66 डीपीएस पर सीसीटीवी कैमरा का अधिष्ठापन किया गया है एवं बुडको हेडक्वार्टर स्थित कंट्रोल रूम से इसकी सतत निरानी की जाती है। सभी 66 डीपीएस पर मॉनसून अवधि के लिए सहायक अभियंताओं एवं कनीय अभियंताओें को तैनात किया गया है। मुख्य अभियंताओं, अधीक्षण अभियंताओं एवं कार्यपालक अभियंताओं को मॉनसून अवधि के लिए अनुश्रवण हेतु जोनल, सब जोनल तथा सुपर जोनल स्तर पर प्रतिनियुक्त किया गया है।
सभी डीपीएस पर तीनों पाली में 24×7 संवेदक एवं बुडको के पम्प ऑपरेटर तथा सफाई कर्मी कार्यरत हैं। पम्पों की मरम्मति एवं संपोषण कार्य किया गया है। बुडको के पम्प संचालकों, सफाई कर्मियों, इलेक्ट्रिशियन, फिटर तथा संवेदकों के लिए बायोेमेट्रिक अटेंडेंस अनिवार्य है। जल निकासी के दीर्घकालीन उपायों के तहत पटना शहर के विभिन्न क्षेत्रों में 22 नये डीपीएस के लिए निर्माण कार्य प्रक्रियाधीन है। सभी बड़े नालों का पक्कीकरण कार्य जारी है। सभी सम्प हाउसों की सफाई की गई। डीपीएस से सभी आउटफॉल ड्रेन के समानान्तर सर्विस ड्रेन का भी प्रबंध रहेगा ताकि नजदीक के कॉलोनी से पानी का डिस्चार्ज किया जा सके। ड्रेनेज पंपिंग स्टेशन के मशीनों की मरम्मति, संपोषण एवं संधारण कार्य तत्परता से किया गया है। सभी ड्रेनेज पंपिंग स्टेशन का समुचित संचालन सुनिश्चित करने का निदेश दिया गया है।
डीएम डॉ. चंद्रशेखर सिंह ने निदेश दिया कि सभी कर्मी अपने-अपने पालियों में मुस्तैद रहें, पम्प मोटर संचालन करने के पहले जल स्तर का विशेष ध्यान रखा जाए, सम्प वाटर लेवल को निर्धारित स्तर पर हमेशा बनाए रखें। यदि लेवल बढ़ने लगे तो आवश्यकतानुसार और मोटर पम्पों का संचालन करें, जिससे कि वाटर लेवल निर्धारित स्तर पर सतत बना रहे, आवश्यकतानुसार डीजल ईंजन का प्रयोग करें, ग्रेटिंग का जरूरत पर सफाई कार्य अवरूद्ध न हो, कभी भी ग्रेटिंग के पहले वाटर लेवल सम्प के वाटर लेवल से अधिक न हो। डीएम डॉ. सिंह ने कहा कि प्लास्टिक बैग, जूट बैग, टायर, ट्यूब एवं अन्य ऐसी सामग्री है जो पम्प के प्रवाह को तुरत अवरूद्ध करता है, अतः उसे ग्रेटिंग पर रोकना सुनिश्चित करें। यात्रिक मेन्टेनेंस, विद्युत मेन्टेनेंस एवं अन्य प्रकार के मेन्टेनेंस पर निर्धारित दिश-निर्देशों का अनुपालन करें।
डीएम ने कहा कि सभी ड्रेनेज पम्पिंग स्टेशन पर 24×7 संचालक उपस्थित रहें। कोई संवादहीनता की स्थिति नहीं होनी चाहिए। सभी स्थायी/अस्थायी सम्प हाउस को मॉनसून के दौरान 24×7 निर्बाध विद्युत आपूर्ति सुनिश्चित करने हेतु संबंधित डेडिकेटेड फीडर एवं वैकल्पिक फीडर का रख-रखाव सुनिश्चित करें। डीएम ने जलजमाव के दृष्टिकोण से संवेदनशील स्थानों पर विशेष नजर रखने का निदेश दिया। सिंह ने कहा कि जल-निकासी की सुगम एवं सुदृढ़ व्यवस्था सुनिश्चित करना प्रशासन की सर्वाेच्च प्राथमिकता है। इसके लिए सभी स्टेकहोल्डर्स के बीच सार्थक समन्वय एवं सुदृढ़ संवाद स्थापित रखें। चंद्रशेखर सिंह ने कहा कि आम जनता को परेशान होने की कोई आवश्यकता नहीं है। सभी क्षेत्रीय पदाधिकारी लगातार भ्रमणशील हैं एवं तैयारियों पर नजर रख रहे हैं। वे भी नियमित तौर पर क्षेत्र भ्रमण करते है तथा जलजमाव को रोकने हेतु तैयारियों का अनुश्रवण करते हैं।
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चंदन कुमार तिवारी की रिपोर्ट