18 सितंबर को चंद्रग्रहण : भूलकर भी पितरों को न दें जल, होगा भारी नुकसान

तर्पण का दृश्य

डिजीटल डेस्क : 18 सितंबर को चंद्रग्रहण – भूलकर भी पितरों को न दें जल, होगा भारी नुकसान। 17 अक्तूबर को पूर्णिमा से शुरू हुए पितृपक्ष के दौरान पितरों की शांति और उनकी प्रसन्नता के लिए पितरों को जल अर्पित कर उनका तर्पण किया जाता है। लेकिन कुछ मान्यताएं कहती हैं कि चंद्रग्रहण के दिन भूलकर भी पितरों को जल अर्पित नहीं करना चाहिए।

इसी क्रम में 2024 का दूसरा और आखिरी चंद्र ग्रहण 18 सितंबर को लगने वाला है यानी यह चंद्र ग्रहण पितृ पक्ष के प्रतिपदा श्राद्ध के दिन लग रहा है। इसलिए इस दौरान बुधवार को पितरों को जल न देने से परहेज के लिए कहा गया है क्योंकि शास्त्रीय मान्यताओं के अनुसार इस परहेज को न मानने वाले का नुकसान हो सकता है।

चंद्रग्रहण पर पितरों को जल देने से पितृ होते हैं नाराज

चंद्र ग्रहण के समय पितरों को जल अर्पित करने के बारे में विभिन्न धार्मिक और सांस्कृतिक मान्यताएं हैं। भारतीय परंपराओं में ग्रहण के समय विशेष प्रकार के नियम और सावधानियां बताई गई हैं जिनका पालन करने से धार्मिक अनुष्ठानों और परंपराओं का सम्मान बना रहता है।

कुछ मान्यताएं ये भी हैं कि ग्रहण के समय पितरों को जल अर्पित नहीं करना चाहिए क्योंकि ग्रहण के दौरान पृथ्वी पर नकारात्मक ऊर्जा का प्रभाव बढ़ जाता है। इससे पितरों को अर्पित किया गया जल प्रभावी नहीं होता है।

उत्तर प्रदेश के देवरिया निवासी ज्योतिषाचार्य विवेक उपाध्याय के अनुसार, ऐसा माना जाता है कि ग्रहण के समय देवता कष्ट में होते हैं। इसलिए इस समय कोई भी शुभ कार्य, पूजा पाठ या पितरों को जल अर्पित नहीं करना चाहिए। इस वक्त जल चढ़ाने से पितृ नाराज हो सकते हैं जिससे लाभ के बजाय हानि हो सकती है।

18 सितंबर को है 4.06 घंटे का चंद्रग्रहण, भारत में नहीं दिखेगा

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, साल का दूसरा और अंतिम चंद्र ग्रहण 18 सितंबर की सुबह 6 बजकर 11 मिनट से लगेगा। यह सुबह के 10 बजकर 17 मिनट पर खत्म होगा। इस बार चंद्र ग्रहण की अवधि 4 घंटे 6 मिनट की होगी।

ज्योतिष शास्त्र में उपछाया चंद्र ग्रहण की मान्यता नहीं मानी जाती है जिस कारण से इसका सूतक काल मान्य नहीं होगा। बताया जा रहा है कि यह ग्रहण भारत में नहीं दिखाई देगा। इस कारण से इसका सूतक काल भी प्रभावी नहीं रहेगा।

तर्पण का दृश्य
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2 अक्टूबर तक है पितृ पक्ष, दिन में साढ़े 11 से साढ़े 12 के बीच करें तर्पण

हिंदू कैलेंडर के अनुसार, पितृ पक्ष भाद्रपद पूर्णिमा से लेकर आश्विन माह की अमावस्या तिथि तक चलते हैं। यानी इस बार पितृ पक्ष 17 सितंबर 2024 से शुरू हो चुके हैं। यह 2 अक्टूबर तक चलेंगे।

इस दौरान लोग अपने पूर्वजों को तर्पण और श्राद्ध कर्म आदि करते हैं। पितृ पक्ष को श्राद्ध और महालया के नाम से भी जाना जाता है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, पितरों को जल अर्पित करने का सबसे अच्छा समय दोपहर 11.30 से 12.30 बजे के बीच का होता है।

ऐसा माना जाता है कि इस समय जल अर्पित करने से पितृ प्रसन्न होते हैं। पितरों को जल देना हिंदू धर्म में एक महत्वपूर्ण अनुष्ठान है, जिसे तर्पण कहा जाता है। यह एक ऐसी प्रक्रिया है जिसमें मृत पूर्वजों को जल अर्पित किया जाता है। यह माना जाता है कि इस अनुष्ठान से पितरों की आत्मा को शांति मिलती है और उन्हें मोक्ष प्राप्त करने में मदद मिलती है।

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