सुल्तानगंज : एक ओर देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और सूबे के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार किसानों को हर सभंव सहायता और सुविधा प्रदान करने की दावे करते हैं। उन दावों की पोल नगर परिषद के वार्ड-20 और 21 खोल रही है। करीब दो किलोमीटर के दायरे में करीब 25-30 बीघे खेत अपने बेबसी का रोना रो रही है। इसका सीधा असर किसानों के मेहनत पर पड़ रही है। आलम यह है कि दिनों भर तपती धूप में कड़ी मेहनत कर फसल लगाते हैं ताकि अनाज पैदावार कर अपने परिवार का भरण पोषण कर सके। अन्य कई इलाकों में शहर के नाली का पानी खेतों में जा रहा है। जिससे ऊपजाऊ खेत बजंर होने के कगार पर है।
स्थानीय किसान बताते हैं कि वर्षो पूर्व इसी खेत से धान, हरा सब्जी, गेहूं, आलू, हरी मिर्च एवं दलहन अनाज का भी पैदावार कर लेते थे। अब आलम यह है कि सिर्फ एक फसली धान उपजा रहे हैं वो भी उच्च क्वालिटी का धान नहीं उपज कर पाते। फिलहाल अभी धान पक कर तैयार हो गया है। ऐसे में रविवार को एक महिला किसान ममता देवी खेतों में जमा घुटने भर पानी में घुसकर धान काटने को मजबूर दिखी। महिला ने बताया कि खेत में गरमा धान लगाए थे। पानी जमा होने के कारण धान की उपज बहुत कम हुआ है जबकि मेहनत उतना ही लगता है।
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श्वेतांबर कुमार झा की रिपोर्ट