रांची/हजारीबाग: झारखंड की पूर्व कांग्रेस विधायक अंबा प्रसाद, उनके परिजनों और करीबी सहयोगियों से जुड़ी 16 कंपनियों की जांच अब ईडी ने तेज कर दी है। यह जांच मनी लॉन्ड्रिंग अधिनियम (PMLA) के तहत की जा रही है और इसका संबंध जमीन कब्जा, रंगदारी वसूली और बालू तस्करी जैसे गंभीर आरोपों से है।
4 जुलाई को ईडी की छापेमारी
ईडी ने 4 जुलाई को रांची और हजारीबाग के कुल 8 ठिकानों पर छापेमारी की थी। इस दौरान अंबा प्रसाद के भाई अंकित राज के चार्टर्ड अकाउंटेंट बादल गोयल के ठिकाने से 15 लाख रुपये नकद, कई महत्वपूर्ण दस्तावेज और डिजिटल डिवाइस जब्त किए गए थे। ये दस्तावेज और डिवाइस अब जांच एजेंसी द्वारा खंगाले जा रहे हैं।
जांच के दायरे में 16 कंपनियां
जिन कंपनियों की जांच हो रही है, वे विभिन्न क्षेत्रों—खनन, निर्माण और परिवहन—से जुड़ी हैं। इनमें शामिल हैं:
मां अष्टभुजा सिरामिक्स एंड मिनरल
अंकित राज सैंड स्टॉकयार्ड
एसकेएस इंटरप्राइजेज
अष्टभुजी माइनिंग प्राइवेट लिमिटेड
जय मां अष्टभुजी कंस्ट्रक्शन
मिलियन ड्रीम्स फाउंडेशन
हिबकॉन प्रोजेक्ट प्राइवेट लिमिटेड
कश्यप देव ट्रांसपोर्टर प्राइवेट लिमिटेड
वी कनेक्ट इंडिया
मेसर्स धीरेंद्र कुमार
अनन्या इंटरप्राइजेज
अंबा प्रसाद वेलफेयर फाउंडेशन
मां कामाख्या कंक्रीट्स
मेसर्स अंकित राज
मेसर्स योगेंद्र साव
कंडाबर फायर क्ले माइंस
इन सभी कंपनियों में से अधिकांश के निदेशक या मालिक अंबा प्रसाद, उनके पिता योगेंद्र साव, भाई अंकित राज या अन्य परिजन बताए जा रहे हैं। ईडी को संदेह है कि इन कंपनियों में वैध और अवैध स्रोतों से पूंजी लगाई गई हो सकती है।
सामाजिक संस्थाओं की भी जांच
ईडी को यह भी जानकारी मिली है कि अंबा प्रसाद और उनकी बहन अनुप्रिया के नाम पर कुछ सामाजिक संस्थाएं भी संचालित हैं। इन संस्थाओं के माध्यम से कल्याणकारी गतिविधियों का दावा किया गया है। एजेंसी अब इन एनजीओ और ट्रस्ट्स के आर्थिक लेन-देन और पारदर्शिता की जांच कर रही है।
माइनिंग कंपनियों से अवैध वसूली का आरोप
जांच में यह भी संकेत मिले हैं कि योगेंद्र साव और उनके परिजनों पर जिले की खनन कंपनियों को धमकाकर वसूली करने के आरोप हैं। इन पर आरोप है कि वे जानबूझकर खनन कार्य में बाधा डालकर भय का माहौल बनाते थे, ताकि अवैध वसूली की जा सके। हालांकि इस बिंदु पर ईडी ने अभी कोई आधिकारिक पुष्टि नहीं की है और तथ्यों को एकत्र किया जा रहा है।
ईडी की यह जांच आने वाले दिनों में और भी राजनीतिक और कानूनी हलचल पैदा कर सकती है, क्योंकि मामला पूर्व विधायक और उनके पूरे नेटवर्क से जुड़ा हुआ है।
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