Saturday, July 12, 2025

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रोजगार, पर्ल खेती, कार्यालय संस्कृति और केंद्र के रवैये पर बोलीं कृषि मंत्री शिल्पी नेहा तिर्की, कहा– कोर्ट जाने वाले लोग विकास में बाधक

रांची: झारखंड की कृषि मंत्री शिल्पी नेहा तिर्की ने हाल ही में एक विशेष साक्षात्कार में कई अहम मुद्दों पर खुलकर बात की। रोजगार, पर्ल की खेती, कार्यालय संस्कृति में सुधार, केंद्र सरकार से सहयोग की कमी और भूमि अधिग्रहण जैसी जटिल समस्याओं को लेकर उन्होंने केंद्र और विपक्ष पर निशाना साधा।

शिल्पी नेहा तिर्की ने कहा कि राज्य सरकार रोजगार के अवसर बढ़ाने के लिए लगातार प्रयासरत है, लेकिन हर सकारात्मक पहल के बाद कुछ लोग कोर्ट चले जाते हैं, जिससे विकास बाधित होता है। उन्होंने यह भी सवाल उठाया कि आखिर ये लोग कौन हैं जो बार-बार न्यायालय का रुख करते हैं, इस पर भाजपा को भी जवाब देना चाहिए।

ऑफिस कल्चर सुधारने की कोशिश
हाल ही में मंत्री तिर्की ने कृषि विभाग में औचक निरीक्षण किया था। उन्होंने बताया कि विभाग में ईमानदारी और समय की पाबंदी आवश्यक है। कई कर्मियों के देर से आने की शिकायत पर उन्होंने बायोमेट्रिक उपस्थिति की सूची मंगाई है और शोकॉज नोटिस भी जारी किए जाएंगे। उन्होंने कहा कि उच्च अधिकारी भी कई बार अन्य विभागीय बैठकों में व्यस्त रहते हैं, पर इसका बहाना बनाकर निचले कर्मचारी लापरवाही नहीं कर सकते।

पर्ल (मोती) की खेती में संभावनाएं, लेकिन चुनौतियां भी
हजारीबाग जिले में पर्ल की खेती को लेकर खासा उत्साह है। मंत्री ने बताया कि लोग व्यक्तिगत स्तर पर भी प्रशिक्षण लेकर इस दिशा में आगे बढ़ रहे हैं। हालांकि, मसल्स (शंख) की उपलब्धता एक बड़ी चुनौती है, जिसे फिलहाल बंगाल से लाना पड़ता है। उन्होंने एनएफडीबी और सीफा से राज्य में रिसर्च सेंटर खोलने की मांग की है ताकि मसल्स स्थानीय स्तर पर उपलब्ध कराए जा सकें।

केंद्र सरकार का रवैया झारखंड जैसे राज्यों के लिए उपेक्षापूर्ण
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के साथ हुई हालिया बैठक का जिक्र करते हुए मंत्री तिर्की ने कहा कि झारखंड को सहकारिता के क्षेत्र में ‘कैटेगरी सी’ में रखा गया है, जो चिंताजनक है। उन्होंने कहा कि झारखंड जैसे कमजोर राज्यों को विशेष सहायता की जरूरत है, लेकिन केंद्र सिर्फ कॉर्पोरेट स्टाइल में काम कर रहा है – लोन दो और खुद व्यवस्था करो। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार ने वर्किंग कैपिटल के तौर पर 28 करोड़ रुपए का निवेश किया है, पर केंद्र से पर्याप्त सहयोग नहीं मिला।

भूमि अधिग्रहण पर फिर उठा सवाल
एनएच-76 प्रोजेक्ट के टेंडर रद्द करने को लेकर केंद्रीय मंत्री की टिप्पणी पर मंत्री तिर्की ने कहा कि झारखंड में सीएनटी-एसपीटी जैसे कानूनों के चलते जमीन अधिग्रहण में हमेशा कठिनाई रहती है। उन्होंने केंद्र से अपील की कि वह झारखंड जैसे ट्राइबल राज्यों के लिए अलग रणनीति अपनाएं।

गुरुजी की तबीयत को लेकर भी दी जानकारी
दिल्ली में झारखंड के वरिष्ठ नेता और गुरुजी (शिबू सोरेन) से मुलाकात की जानकारी देते हुए उन्होंने कहा कि उनकी तबीयत फिलहाल अस्थिर है लेकिन वह जल्दी स्वस्थ होकर लौटेंगे, यही प्रार्थना है।

कृषि विभाग की योजनाओं की जानकारी के लिए पत्रिका
मंत्री ने कहा कि विभाग की योजनाओं की जानकारी आम जनता तक नहीं पहुंच पाती, इसलिए उन्होंने चार पेज की जानकारी-पत्रिका प्रकाशित कराई है, जिसे गांव-गांव में वितरित किया जा रहा है ताकि लाभुकों को सीधे फायदा मिल सके।

करिश्मा सिन्हा की रिपोर्ट