रांची: रांची सहित झारखंड राज्यभर में नदियों से बालू उत्खनन पर 16 अक्टूबर से रोक हटने जा रही है। जिन घाटों का टेंडर हो चुका है और जिन्हें पर्यावरण स्वीकृति मिल गई है, वहां से बालू का उठाव शुरू हो जाएगा। लेकिन रांची में केवल सुंडील घाट से ही बालू का उठाव किया जा सकेगा, क्योंकि यहीं पर पर्यावरण स्वीकृति प्राप्त हुई है।
रांची के अन्य 18 घाटों की पर्यावरण स्वीकृति अभी तक नहीं मिली है, साथ ही प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड से कंसेंट टू एस्टेब्लिशमेंट (सीटीई) और कंसेंट टू ऑपरेट (सीटीओ) का भी इंतजार है। पिछले महीने रांची में 10 बालू घाटों का टेंडर हुआ था, लेकिन इन घाटों को आवश्यक अनुमतियां लेने में तीन महीने से अधिक का समय लगने की संभावना है, जिसके चलते रांची में बालू की किल्लत बनी रहेगी।
रांची के आसपास के जिलों में भी बालू घाटों से उठाव बंद है क्योंकि उन्हें भी पर्यावरण स्वीकृति नहीं मिली है। इस बीच, अवैध तरीके से बालू का उठाव जारी है।
इस स्थिति का असर बालू की कीमतों पर भी पड़ा है। बालू कारोबारियों ने कीमतें घटा दी हैं, और बिहार से आने वाले बालू तथा जब्त किए गए बालू की बिक्री के बाद अब 100 सीएफटी बालू के लिए 5500 रुपए लिए जा रहे हैं, जबकि पहले यह दर 6500 से 7000 रुपए थी। हालांकि, खरीददारों को 100 सीएफटी बोलकर केवल 70 सीएफटी बालू ही दिया जा रहा है। इस पर कई लोगों ने खनन कार्यालय में शिकायत की है, लेकिन अभी तक कोई कार्रवाई नहीं हुई है।
इस प्रकार, बालू की किल्लत और अवैध उत्खनन की समस्या रांची और आसपास के क्षेत्रों में बनी हुई है।