cropped-logo-1.jpg

कटकमदाग के किसान स्ट्रॉबेरी की खेती से बन रहे आत्मनिर्भर

HAZARIBAGH: कटकमदाग के दर्जनों किसान स्ट्रॉबेरी की खेती कर आत्मनिर्भर बन रहे हैं. धान और सब्जी की बजाय स्ट्रॉबेरी की खेती को अपनाकर किसान अच्छा मुनाफा भी कमा रहे हैं.

कटकमदाग


कटकमदाग के किसान परिवर्तन कार्यक्रम के तहत बदल रहे खेती का तरीका

कटकमदाग


हजारीबाग के कटकमदाग प्रखंड के सुदूरवर्ती क्षेत्र अडरा पंचायत के गांव में परिवर्तन कार्यक्रम के तहत प्रशिक्षित किसानों, स्वयं सहायता समूह और नवयुवती समूहों के सदस्यों द्वारा स्ट्रॉबेरी का उत्पादन कर रहे हैं. साथ ही ग्रामीण बाजार में इसकी आपूर्ति कर आय वृद्धि कर रहे हैं. किसानों का उत्पादन हजारीबाग ही नहीं बल्कि अन्य जिलों में भेजा जा रहा है. इससे यहां के किसानों की पहचान पूरे झारखंड में होने लगी है.

प्रति एकड़ तकरीबन दो लाख रुपये तक होती है आमदनी

अडरा के कृषकों ने बताया कि स्ट्रॉबेरी की खेती करने से उन्हें प्रति एकड़ तकरीबन दो लाख रुपए तक की आमदनी हो जाती है, जो सब्जी उत्पादन की तुलना में काफी अधिक है. इस वर्ष किसान समग्र ग्रामीण विकास परियोजना के तहत चयनित गांवों में करीब 8 एकड़ में स्ट्रॉबेरी की खेती कर रहे हैं. स्ट्रॉबेरी की खेती से आमदनी को देखते हुए और अधिक क्षेत्र में स्ट्रॉबेरी की खेती की संभावना जताई गई है. यहां के दर्जनों किसान आज स्ट्रॉबेरी की खेती कर आत्मनिर्भर बन रहे हैं.

प्रतिकूल माहौल होने के बाद भी करते हैं स्ट्रॉबेरी की खेती

इस क्षेत्र की मिट्टी स्ट्रॉबेरी फसल के लिए प्रतिकूल मानी जाती है, बावजूद इसके यहां के दर्जनों किसानों ने जोखिम उठाकर इस खेती की शुरुआत की और आज नकदी फसल के रूप में स्ट्रॉबेरी की खेती जाना जा रहा है. क्षेत्र के किसान लगभग 7 से 8 एकड़ में इस खेती को कर रहे हैं. किसानों से प्रेरणा लेकर अन्य गांव के भी किसान इस खेती को करने के लिए प्रेरित हुए हैं.

पौधा मरने का डर भी नहीं रहता

किसान संजीत ने बताया कि अन्य खेती में पौधा मरने का डर रहता है,

लेकिन इसमें डर ना के बराबर रहता है. इसमें दवा भी काफी कम लगता है.

उन्होंने कहा है कि अगर इस बार मुनाफा हुआ तो अगली बार

वृहद पैमाने पर इसकी खेती करेंगे और लोगों को प्रेरित भी करेंगे.

हजारीबाग में स्ट्रॉबेरी की खेती पहले नहीं की जाती थी.

लोग यहां परंपरागत खेती ही करते थे. ऐसे में किसानों को कम मेहनत में ज्यादा मुनाफा हो इस बात को ध्यान में रखते हुए फिलहाल दो गांव में पायलट प्रोजेक्ट के तहत स्ट्रॉबेरी की खेती के लिए प्रेरित किया गया है.

रिपोर्ट: शशांक शेखर

Related Articles

Stay Connected

87,000FansLike
947FollowersFollow
260FollowersFollow
125,500SubscribersSubscribe
- Advertisement -

Latest Articles