Hathras Stampede : बाबा के ब्लैक कमांडो के धक्के से मची थी भगदड़, नए कानूनों में एफआईआर दर्ज, घायलों से मिले सीएम योगी और बोले – नहीं बचेंगे दोषी

बाबा के सेवादारों ने हादसे के सबूतों को छिपाने के लिए साजिश रची। हाथरस मामले में गंभीर धाराओं में दर्ज हुई एफआईआर में हैरान कर देने वाली इन तथ्यों का उल्लेख किया गया है।

डिजीटल डेस्क : Hathras Stampede बाबा के ब्लैक कमांडो के धक्के से मची थी भगदड़, नए कानूनों के पांच धाराओं में एफआईआर दर्ज, घायलों से मिले सीएम योगी। उत्तर प्रदेश के हाथरस के फुलरई गांव में मंगलवार को सत्संग के दौरान मची भगदड़ में 124 श्रद्धालुओं की मौत के मामले में एसडीएम की ओर से हादसे की प्राथमिक जांच रिपोर्ट डीएम को सौंपी गई है। इस रिपोर्ट में साफ लिखा है कि मंगलवार दोपहर करीब पौने दो बजेल सत्संग के समापन के बाद श्रद्धालु भोले बाबा के पास पहुंचने की कोशिश कर रहे थे, लेकिन उनके सेवादार और निजी गार्ड्स (ब्लैक कमांडो) ने खुद ही धक्का-मुक्की करनी शुरू कर दी। इसके बाद कार्यक्रम स्थल पर भगदड़ मच गई और चीख-पुकार गूंजने लगा। घटना के संबंध में देश में लागू नए कानूनों की पांच धाराओं में एफआईआर दर्ज करते हुए मुख्य सेवादार और अज्ञात को नामित किया गया है। हादसे के बाद से ही भूमिगत भोला बाबा की तलाश में पुलिस जुटी हुई है। इस बीच सीएम योगी आदित्यनाथ बुधवार को हाथरस पहुंचे और उपचाराधीन घायलों से मिले। उन्होंने घटना की सख्त जांच के निर्देश दिए हैं। मौके पर डॉग स्क्वायड के साथ फॉरेंसिक टीम जांच में जुटी हुई है।

हादसे वाली जगह पहुंचे सीएम योगी, बोले- हादसे के जिम्मेदारों पर सख्त कार्रवाई होगी

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ बुधवार को हाथरस पहुंचे। पहले उन्होंने अस्पताल जाकर घायलों का हाल जाना। उन्होंने घायलों के उपचार में हरसंभव मदद का भरोसा देते हुए चिकित्साधिकारियों को जरूरी निर्देश दिए। इसके बाद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ सीधे हादसे वाली जगह पहुंचे और वहां का दौरा किया। लोगों से, जांच में जुटे अधिकारियों से एवं फॉरेंसिक वालों से भी जमीनी जानकारी जुटाई कि हादसे की क्या पुष्ट वजहें सामने आ रही हैं। उन्होंने दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई का संकेत दिया। इस संबंध में उन्होंने हादसे के कारणों की जांच की अगुवाई कर रहे एडीजी आगरा और कमिश्नर अलीगढ़ से भी ब्योरा लिया। सीएम योगी ने कहा कि यह हादसा है या साजिश, सरकार इस पूरे घटनाक्रम की तह में जाकर पता लगाएगी। इस हादसे के लिए जिम्मेदार लोगों के खिलाफ सख्त कार्रवाई होगी, चाहे वह कोई भी हो।

हादसे के शिकार लोगों के सरकार ने घोषित की आर्थिक मदद, सभी शवों का होगा पोस्टमार्टम

यूपी सरकार ने हाथरस हादसे में मृतकों के परिजनों को 2-2 लाख रुपये तथा घायलों को 50-50 हजार रुपये की आर्थिक सहायता देने के निर्देश दिए हैं। इसी क्रम में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हाथरस की दुर्घटना में जान गंवाने वाले प्रत्येक मृतक के परिजनों के लिए पीएमएनआरएफ से 2 लाख रुपये और घायलों के लिए 50,000 रुपये की अनुग्रह राशि का ऐलान किया है। केंद्रीय मंत्री जीतनराम मांझी लगातार केंद्र सरकार की ओर से इस मामले में यूपी सरकार के संपर्क में हैं। सीएम योगी ने हादसे पर गहरा दुख जताया है। हादसे की जांच के लिए उच्च अधिकारियों की एक टीम का गठन किया है। इस टीम में डीआईजी रैंक के अधिकारी शामिल किया गया है। पुलिस ने स्पष्ट किया है कि सभी शवों का पोस्टमार्टम कराया जाएगा।

हाथरस हादसे पर प्राथमिक जांच रिपोर्ट में सामने आए चौंकाने वाले तथ्य

उत्तर प्रदेश के हाथरस के फुलरई गांव में मंगलवार श्रद्धालुओं के लिए अमंगल साबित हुआ। यहां भोले बाबा के सत्संग के दौरान भगदड़ मच गई। डीएम को सौंपी गई प्राथमिक जांच रिपोर्ट में एसडीएम ने साफ लिखा है कि  यहां हुए सत्संग में दो लाख से अधिक श्रद्धालु मौजूद थे। भोले बाबा लगभग दोपहर 12.30 बजे पंडाल में पहुंचे और उनका कार्यक्रम 1 घंटे तक चला। दोपहर करीब 1.40 बजे भोले बाबा पंडाल से निकले, तभी श्रद्धालु उनके चरण की धूल छूने के लिए आगे बढ़े। लोग डिवाइडर से कूद-कूद कर बाबा के वाहन की और दौड़ने लगे लेकिन बाबा के निजी गार्ड्स और सेवादारों ने खुद ही धक्का-मुक्की करनी शुरू कर दी। उसके बाद कुछ लोग नीचे गिर गए। फिर लोग एक-दूसरे को कुचलने लगे। एसडीएम ने लिखा है कि कई श्रद्धालु कार्यक्रम स्थल के सामने खेत की ओर भागे लेकिन खेत बलुई थी। उस वजह से कई श्रद्धालु फिसलकर गिर गए तो फिर लोग एक-दूसरे के ऊपर पैर रखते हुए भागे। जो नीचे गिरा, वह उठ नहीं पाया। इसके बाद कई श्रद्धालु गंभीर रूप से घायल हो गए। मौके पर मौजूद पुलिस कर्मियों ने घायलों को एम्बुलेंस से अस्पतालों में भर्ती करवाया। उनमें से कुछ को सामुदायिक स्वास्थ्य केंन्द्र में भर्ती करावाया गया जबकि कुछ को एटा और अलीगढ़ के सरकारी अस्पताल में इलाज के लिए भेजा गया।

एफआईआर के मुताबिक आयोजन में ढाई लाख लोग आए थे जबकि आयोजकों ने 80 हजार लोगों के कार्यक्रम की अनुमति ली थी।
हाथरस में सत्संग स्थल पर हुए हादसे के बाद मौके पर पहुंचे परिवारवालों की भीड़।

सेवादारों ने हादसे के सबूतों को छिपाने की रची साजिश, चरण रज लेने के कार्यक्रम की नहीं दी जानकारी

बाबा के सेवादारों ने हादसे के सबूतों को छिपाने के लिए साजिश रची। हाथरस मामले में गंभीर धाराओं में दर्ज हुई एफआईआर में हैरान कर देने वाली इन तथ्यों का उल्लेख किया गया है। एफआईआर में कहा गया है कि आयोजकों ने साक्ष्य छिपाए और शर्तों का उल्लंघन किया। एफआईआर में कहा गया है कि भीड़ के दबाव के बावजूद पुलिस और प्रशासन के अधिकारियों ने हर संभव प्रयास किया और उपलब्ध संसाधनों से घायलों को अस्पतालों में भेजा और कहा कि आयोजकों और सेवादारों ने सहयोग नहीं किया। आयोजकों ने सबूत छिपाकर और श्रद्धालुओं की चप्पलें और अन्य सामान पास के खेतों में फसलों में फेंककर कार्यक्रम में आने वाले लोगों की वास्तविक संख्या को छिपाने की कोशिश की। सेवादारों की इसी साजिश का सबूत जुटाने में डॉग स्क्वायड और फॉरेंसिक टीम के सदस्यों को कार्यक्रम स्थल के पास खेतों से कई सुराग हाथ लगे हैं। रतिभानपुर में मंगलवार दोपहर को भोले बाबा के सत्संग का समापन कार्यक्रम था। हादसा तब हुआ जब श्रद्धालु भोले बाबा की चरण रज लेने के लिए उनके काफिले के पीछे दौड़ पड़े। सेवादारों ने उन्हें रोकने की कोशिश की और  उसी दौरान भगदड़ मच गई। लोग एक दूसरे के ऊपर गिरते-पड़ते भीड़ से बाहर निकलने की कोशिश करने लगे। मृतकों में अधिकतर महिलाएं और बच्चे शामिल हैं। चरण रज लेने के कार्यक्रम के बारे में पहले से कोई जानकारी आयोजकों की ओर से पुलिस-प्रशासन को नहीं दी गई थी।

नए कानून की धाराओँ में हुई एफआईआर, अनुमति 80 हजार की लेकर जुटाए ढाई लाख भक्त

हाथरस मामले में गंभीर धाराओं में एफआईआर दर्ज हुई है। सत्संग कार्यक्रम के मुख्य सेवादार देवप्रकाश मधुकर और अन्य आयोजकों के खिलाफ देश में लागू हुए नए कानूनों की धाराओं में एफआईआर दर्ज की गई है। भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस), 2023 की धारा 105, 110, 126(2), 223 और 238 के तहत एफआईआर दर्ज की गई है। इस एफआईआर में जगत गुरु साकार विश्वहरि भोले बाबा का नाम नहीं है। अधिकारियों के मुताबिक, सत्संग के लिए अनुमति ली गई थी लेकिन 80000 श्रद्धालुओं के शामिल होने को लेकर ही। अनुमति मांगी थी, पर दो लाख से अधिक श्रद्धालु सत्संग में शामिल होने आए थे। प्राथमिकी में आरोप लगाया गया कि आयोजकों ने अनुमति मांगते समय सत्संग में आने वाले भक्तों की वास्तविक संख्या छिपाई। एफआईआर के मुताबिक आयोजन में ढाई लाख लोग आए थे जबकि आयोजकों ने 80 हजार लोगों के कार्यक्रम की अनुमति ली थी। इसके साथ ही आयोजकों की ओर से ट्रैफिक मैनेजमेंट का कोई इंतजाम नहीं था। 80 हजार की इकट्ठा होने की मांगी गई अनुमति के अनुसार ही पुलिस और प्रशासन की ओर से भीड़ की सुरक्षा, शान्ति व्यवस्था एवं यातायात प्रबंधन किया गया था। लेकिन कार्यक्रम में लगभग ढाई लाख से अधिक श्रद्धालुओं के पहुंचने से स्थिति आउटआफ कंट्रोल हो गई। जीटी रोड पर जाम लग गया, यातायात अवरुद्ध हो गया।

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