झारखंड हाईकोर्ट में बांग्लादेशी घुसपैठ पर सुनवाई: राजनीतिक उथल-पुथल और जनसंख्या आंकड़े सामने आए

झारखंड हाईकोर्ट में बांग्लादेशी घुसपैठ पर सुनवाई: राजनीतिक उथल-पुथल और जनसंख्या आंकड़े सामने आए

रांची: झारखंड हाईकोर्ट में बांग्लादेशी घुसपैठ को लेकर चल रही सुनवाई ने एक नई राजनीतिक उथल-पुथल पैदा कर दी है। दायर जनहित याचिका के तहत, कोर्ट को 1951 और 2011 के जनसंख्या आंकड़े पेश किए गए हैं, जो संथाल प्रगणा में आदिवासी और हिंदू जनसंख्या में कमी, जबकि मुस्लिम जनसंख्या में वृद्धि को दर्शाते हैं। इस पर केंद्र सरकार ने भी हलफनामा दाखिल किया है, जिसमें संथाल प्रगणा में एनआरसी लागू करने की सिफारिश की गई है। इस बीच, आधार कार्ड को नागरिकता का प्रमाण पत्र मानने की गलती पर भी ध्यान दिलाया गया है।

राजनीतिक दृष्टिकोण से, बीजेपी और झारखंड मुक्ति मोर्चा (जेएमएम) के बीच तीखी बहस चल रही है। बीजेपी का आरोप है कि हेमंत सोरेन की सरकार बांग्लादेशी घुसपैठ पर कोई ठोस कार्रवाई नहीं कर रही है और इसे राजनीतिक लाभ के लिए भुना रही है। दूसरी ओर, जेएमएम का कहना है कि बीजेपी इस मुद्दे को केवल चुनावी लाभ के लिए उछाल रही है और मुसलमानों को बांग्लादेशी बताकर वोट बैंक को प्रभावित करने की कोशिश कर रही है।

अगली सुनवाई 17 सितंबर को निर्धारित है, जो इस विवाद की परतें खोलने और यह स्पष्ट करने में मदद करेगी कि बांग्लादेशी घुसपैठ वाकई एक गंभीर समस्या है या इसे राजनीतिक साजिश के रूप में प्रस्तुत किया जा रहा है। इस महत्वपुर्ण तथ्यों को अग्रलिखित बिन्दुओं के द्वारा भी समझा जा सकता है:-

  1. न्यायिक पहलू: झारखंड हाई कोर्ट में बांग्लादेशी घुसपैठ को लेकर गंभीर सुनवाई चल रही है। जनहित याचिका दायर करने वाले अधिवक्ता ने कोर्ट को 1951 और 2011 के जनसंख्या आंकड़े पेश किए, जो दर्शाते हैं कि संथाल प्रगणा में आदिवासी और हिंदू जनसंख्या में कमी आई है जबकि मुस्लिम जनसंख्या में वृद्धि हुई है। केंद्र सरकार ने भी हलफनामा दाखिल किया है जिसमें कहा गया कि संथाल प्रगणा में एनआरसी लागू किया जाना चाहिए क्योंकि वहाँ की जनसंख्या का बदलाव असामान्य प्रतीत होता है। आधार कार्ड के विषय में भी कोर्ट को बताया गया कि यह नागरिकता का प्रमाण पत्र नहीं है, बल्कि केवल एक यूनिक आइडेंटिफिकेशन नंबर है।
  2. राजनीतिक पहलू: बीजेपी और झारखंड मुक्ति मोर्चा (जेएमएम) के बीच बांग्लादेशी घुसपैठ के मुद्दे को लेकर तीखी राजनीतिक बहस चल रही है। बीजेपी का आरोप है कि हेमंत सोरेन की सरकार बांग्लादेशी घुसपैठ पर कार्रवाई नहीं कर रही है और इस मुद्दे को राजनीतिक रूप से निपटाना चाहती है। बीजेपी का कहना है कि यह केवल झारखंड की समस्या नहीं है, बल्कि पूरे देश की सुरक्षा से जुड़ा मुद्दा है। दूसरी ओर, जेएमएम और हेमंत सोरेन का कहना है कि बीजेपी इस मुद्दे को केवल चुनावी लाभ के लिए भुना रही है और मुसलमानों को बांग्लादेशी बताकर वोट बैंक को प्रभावित करना चाहती है।
  3. सियासी समीकरण: बीजेपी का कहना है कि बांग्लादेशी घुसपैठ एक गंभीर मुद्दा है, जिसे चुनावी मुद्दा बना दिया गया है। बीजेपी का मानना है कि इस मुद्दे के माध्यम से वे आदिवासी और हिंदू वोटरों को एकजुट कर सकते हैं। वहीं, हेमंत सोरेन और उनकी पार्टी इस मुद्दे को राजनीतिक साजिश मानते हैं और इसे नकारने की कोशिश कर रहे हैं।
  4. जनसंख्या डेटा: आंकड़े दिखाते हैं कि संथाल परगना में आदिवासी और हिंदू जनसंख्या में गिरावट आई है जबकि मुस्लिम जनसंख्या में वृद्धि हुई है। इसे बांग्लादेशी घुसपैठ से जोड़कर देखा जा रहा है, लेकिन इसके पीछे अन्य सामाजिक और राजनीतिक कारण भी हो सकते हैं।

हेमंत सोरेन ने संथाल प्रगणा को “तोड़ने की कोशिश” के संदर्भ में बीजेपी के बयानों पर प्रतिक्रिया दी है, और बीजेपी के आरोपों को नकारते हुए इसे सियासी षड्यंत्र बताया है। बीजेपी का कहना है कि संथाल प्रगणा में आदिवासी और हिंदू जनसंख्या की गिरावट दर्शाती है कि बाहरी तत्वों का प्रभाव बढ़ रहा है, जबकि जेएमएम इसे एक चुनावी हथकंडा मानती है। अगली सुनवाई 17 सितंबर को होनी है, जब कोर्ट इन मुद्दों पर फैसला लेगी। इस बीच, बीजेपी और जेएमएम के बीच का यह राजनीतिक संघर्ष और कोर्ट की सुनवाई दोनों ही इस बात को स्पष्ट करने में मदद करेंगे कि बांग्लादेशी घुसपैठ वाकई में एक गंभीर समस्या है या इसे राजनीतिक लाभ के लिए उछाला जा रहा है।

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