Hemant Again : तीसरी बार आज ही सीएम की शपथ लेंगे हेमंत सोरेन, निगाहें अगले विधानसभा चुनाव पर

रांची : Hemant Again  – तीसरी बार आज ही सीएम की शपथ लेंगे हेमंत सोरेन, निगाहें अगले विधानसभा चुनाव पर। झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) के नेता और पूर्व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन आज सायं 5 बजे फिर राज्य की सत्ता संभालेंगे। झारखंड में तेजी से बनते-बिगड़ते सियासी समीकरण के बीच पूर्व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन आज शाम पांच बजे एक बार फिर राज्य के सीएम पद की शपथ लेंगे। वे तीसरी बार राज्य की कमान संभालेंगे।इससे पहले उन्हें इंडिया अलायंस विधायक दल का नेता चुन लिया गया था। इस बीच राज्यपाल सीवी राधाकृष्णन ने इंडी गठबंधन के नेताओं को आमंत्रित किया।

सरकार बनाने के लिए निमंत्रण मिलने के बाद हेमंत सोरेन सोशल नेटवर्किंग साइट पर इसकी जानकारी दी है। राज्यपाल के साथ फोटो शेयर करते हुए उन्होंने सरकार बनाने का आमंत्रण देने के लिए शुक्रिया कहा है। इस बार शपथ ग्रहण करने से पहले से ही उनकी निगाहें राज्य में होने वाले विधानसभा चुनाव पर हैं। उसी को ध्यान में रखते हुए वह अपनी नई कैबिनेट के चेहरे और कामकाज को भी अंतिम रूप देने में जुट गए हैं।बी

बीते लोकसभा चुनाव में जहां जेएमएम को धक्का लगा था, वहां पर फोकस करने पर पूरा ध्यान केंद्रित है। इसी को लेकर सत्तारूढ़ सियासी खेमे में घटक दलों के बीच अटकलों का दौर पर तेज है। हेमंत सोरेन को आज झारखंड के मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने के लिए राज्यपाल सीपी राधाकृष्णन ने निमंत्रण दिया। इससे पहले राज्यपाल उन्हें आज राजभवन बुलाया था। उसी क्रम में हेमंत सोरेन आईएनडीआईए के शीर्ष नेताओं के साथ आज दोपहर राजभवन पहुंचे। राज्यपाल ने उन्हें सरकार बनाने का आमंत्रण दिया। सोशल मीडिया हैंडल पर जारी पोस्ट में उन्होंने कहा, ‘महामहिम राज्यपाल महोदय का धन्यवाद। विरोधियों द्वारा रची गई लोकतंत्र विरोधी साज़िश के अंत की शुरुआत हो गई है। सत्यमेव जयते’। हेमंत सोरेन के लिए यह तीसरा मौका होगा जब वह झारखंड के मुख्यमंत्री के रूप में शपथ लेंगे।

 

जेएमएम के अहम सियासी फैसले में हेमंत संग उनकी पत्नी कल्पना की भूमिका अहम

पूर्व सीएम हेमंत सोरेन 7 जुलाई को झारखंड के 13 वें मुख्यमंत्री के रूप में शपथ लेकर कार्यभार संभालेंगे। राजभवन और आईएनडीआईए गठबंधन की ओर से मिली जानकारियों के मुताबिक,  हेमंत सोरेन अकेले नहीं बल्कि अपने पूरे कैबिनेट के मंत्रियों के साथ शपथ लेंगे। उनकी कैबिनेट में कुछ नए चेहरों को भी शामिल करने की तैयारी है।

इसी को लेकर सियासी हलके में कयासबाजियों का दौर है। लेकिन हेमंत इसे लेकर किसी जल्दबाजी या हड़बड़ाहट में नहीं हैं। इस संबंध में उनकी खास मंत्रणा अपनी पत्नी कल्पना सोरेन से भी हो रही है जो कि उनके जेल में रहने के दौरान राज्य में जेएमएम की ओर से सियासी गणित को जमीनी स्तर पर लगातार साधने में जुटी रहीं। लोकसभा चुनाव के दौरान झारखंड के विभिन्न हलकों में मिले सियासी फीडबैक ने कल्पना का आत्मविश्वास बढ़ाया है जो कि हेमंत के लिए काफी अहम माना जा रहा है। Hemant Again Hemant Again Hemant Again Hemant Again Hemant Again Hemant Again 

यह अनायास नहीं है कि हेमंत अपने हर अहम सियासी कामकाज में लगातार पत्नी कल्पना को भी साथ रखते दिख रहे हैं। माना जा रहा है कि राज्य की नई कैबिनेट में कई वे नए चेहरे शामिल हो सकते हैं जिन्होंने बीते दिनों के कठिन दौर में संगठन और सरकार के लिए अहम भूमिका निभाते हुए कल्पना का भरोसा जीता है।

हेमंत सोरेन ने झारखंड की बागडोर ऐसे वक्त में संभालने का फैसला लिया है, जब राज्य में विधानसभा चुनाव के महज कुछ ही महीने शेष हैं।
Hemant Again : झारखंड के सियासत का यह दृश्य इस समय सुर्खियों में

गठबंधन में सत्ता के 2 ध्रुव बनते देख हेमंत ने लिया खुद फिर से सीएम बनने का फैसला

हेमंत सोरेन ने झारखंड की बागडोर ऐसे वक्त में संभालने का फैसला लिया है, जब राज्य में विधानसभा चुनाव के महज कुछ ही महीने शेष हैं। उनके जेल से निकलने के बाद से यह चर्चा थी कि चंपाई सोरेन चुनाव तक मुख्यमंत्री रहेंगे और हेमंत सोरेन पार्टी का कामकाज देखेंगे, लेकिन कल्पना सोरेन संग जेएमएम के कोर कमिटी की बैठक के बाद तय रणनीति के तहत मुख्यमंत्री बनना तय कर हेमंत ने जारी चर्चाओं पर विराम लगा दिया है। Hemant Again Hemant Again Hemant Again

अब जेल से निकलने के पांच दिनों के बाद हेमंत सोरेन ने झारखंड सत्ता की कमान संभालने का फैसला लिया तो राज्य के सियासतदां कुछ चकित तो कुछ हैरान हैं। सवाल उठ रहा है कि आखिर यह नौबत क्यों आ गई कि जेल से निकलने के पांच दिन बाद ही हेमंत सोरेन ने चंपई से मुख्यमंत्री की कुर्सी ले ली? जेएमएम के कुछ शुभचिंतक इसे प्रतिपक्षी भाजपा की अगुवाई वाले एनडीए खेमे के लिए सियासी लाभ का मौका मान रहे हैं जबकि हेमंत और कल्पना के करीबी विश्वस्त रणनीतिकारों के मुताबिक, यह फैसला झारखंड में गठबंधन के दलों के संगठन और सरकार के व्यापक हित को देखते हुए लिया गया है।

जेएमएम के रणनीतिकारों के बीच से मिली जानकारी के मुताबिक, विधानसभा का चुनाव सिर पर है और हेमंत के जेल से निकलने के बाद सत्ता का 2 ध्रुव बन रहा था जो चिंता का विषय बना। माना गया कि यह चुनाव में पार्टी को नुकसान पहुंचा सकता है और इसलिए सीएम की कुर्सी खुद सलाह मशविरा के बाद हेमंत सोरेन ने अपने पास रखने का फैसला लिया।

कार्यक्रम तय, नई हेमंत सरकार में 12 मंत्रियों के शामिल होने के मिले संकेत

बीते बुधवार को झामुमो के नेतृत्व वाले गठबंधन के नेताओं ने हेमंत सोरेन को फिर से सर्वसम्मति से विधायक दल का नेता चुना। फिर चंपई सोरेन ने सीएम पद से अपना इस्तीफा राज्यपाल को सौंप दिया। राज्यपाल ने उनके इस्तीफे को स्वीकार करते हुए कार्यवाहक मुख्यमंत्री के रूप में काम करने के लिए कहा। इसके साथ ही हेमंत सोरेन ने सरकार बनाने का दावा पेश किया और अब तय हुए कार्यक्रम के मुताबिक, 7 जुलाई को वह सीएम पद की शपथ लेंगे।

बैठक में कांग्रेस के झारखंड प्रभारी गुलाम अहमद मीर और पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष राजेश ठाकुर के अलावा हेमंत सोरेन के भाई बसंत और पत्नी कल्पना भी शामिल हुए थे। उसके बाद हेमंत सोरेन ने सरकार बनाने का दावा पेश किया था। अब 7 जुलाई के शपथ के बाद हेमंत सोरेन झारखंड के 13वें मुख्यमंत्री होंगे। झारखंड राज्य का गठन 15 नवंबर 2000 को बिहार से अलग होकर हुआ था और तब से अब तक राज्य को 12 मुख्यमंत्री मिल चुके हैं। झारखंड की नई सरकार में 12 मंत्रियों के शपथ लेने का संकेत दिया गया है। पिछले मंत्रिमंडल में 10 मंत्री थे। Hemant Again Hemant Again Hemant Again

बता दें कि झामुमो सुप्रीमो शिबू सोरेन के बेटे हेमंत सोरेन को करीब पांच महीने बाद 28 जून को जेल से रिहा किया गया। उच्च न्यायालय ने कथित भूमि घोटाले से जुड़े धन शोधन मामले में उन्हें जमानत दे दी। बीते 31 जनवरी को ईडी द्वारा गिरफ्तार किए जाने से कुछ समय पहले ही उन्होंने मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था और चंपाई सोरेन को सीएम की कुर्सी सौंपी थी।

Hemant Again : विधानसभा स्तर पर झारंख़ड में बदले सियासी समीकरण

झारखंड में विधानसभा चुनाव की लिहाज से देखा जाए तो बीते लोकसभा चुनाव के दौरान ही जमीनी स्तर पर सियासी आंकड़े में बदलाव हुआ। बीते लोकसभा चुनाव के बाद राज्य में झामुमो के नेतृत्व वाले गठबंधन की ताकत घटकर 45 विधायकों तक रह गई है। झामुमो के 27, कांग्रेस के 17 और राजद के एक विधायक हैं। झामुमो के दो विधायक नलिन सोरेन और जोबा माझी अब सांसद हैं, जबकि जामा विधायक सीता सोरेन ने भाजपा के टिकट पर आम चुनाव लड़ने के लिए इस्तीफा दे दिया।

झामुमो ने दो और विधायकों (बिशुनपुर विधायक चमरा लिंडा और बोरियो विधायक लोबिन हेम्ब्रोम) को पार्टी से निष्कासित कर दिया। इसी तरह से विधानसभा में भाजपा की ताकत घटकर 24 रह गई है, क्योंकि उसके दो विधायक ढुलू महतो (बाघमारा) और मनीष जायसवाल (हजारीबाग) अब सांसद बन चुके हैं। भाजपा ने मांडू विधायक जयप्रकाश भाई पटेल को निष्कासित कर दिया है, क्योंकि वे चुनाव लड़ने के लिए कांग्रेस में शामिल हो गए थे। क्षेत्रवार देखें तो झारखंड को 3 भागों में बांटा गया है।

पहला भाग संथाल परगना का है, जहां लोकसभा की 3 सीटें (गोड्डा, दुमका और राजमहल) हैं। कोल्हान में 2 सीटें (सिंहभूम और जमशेदपुर) हैं जबकि छोटानागपुर के अधीन 5 सीटें (खूंटी, लोहरदगा, कोडरमा, हजारीबाग और रांची) हैं। इन 10 के अलावा 4 सीटें (पलामू, गिरिडिह, चतरा और धनबाद) अन्य क्षेत्र का हिस्सा हैं। झारखंड मुक्ति मोर्चा (जेएमएम) ने आसन्न लोकसभा चुनाव में 3 सीटों पर जीत हासिल की है, जिसमें से 2 सीट दुमका और राजमहल संथाल परगना और एक सीट सिंहभूम कोल्हान की है। जेएमएम कोल्हान की जमशेदपुर और गिरिडिह सीट से चुनाव हार गई है।

जमशेदपुर सीट चंपई सोरेन का कार्यक्षेत्र रहा है और 2019 में वे यहां से खुद चुनाव लड़ चुके हैं। फिर भी पार्टी यहां पर चुनाव नहीं जीत पाई।

सरकार बनाने के लिए निमंत्रण मिलने के बाद हेमंत सोरेन सोशल नेटवर्किंग साइट पर इसकी जानकारी दी है। राज्यपाल के साथ फोटो शेयर करते हुए उन्होंने सरकार बनाने का आमंत्रण देने के लिए शुक्रिया कहा है।
गुरूवार को राजभवन राज्यपाल के साथ हेमंत सोरन और कल्पना सोरेन व अन्य

तो इसलिए भी संगठन छोड़ हेमंत ने लिया सत्ता संभालने का फैसला

लोकसभा चुनाव के परिणाम और हेमंत सोरेन के जेल से निकलने के बाद झारखंड मुक्ति मोर्चा उत्साहित है। पार्टी को उम्मीद है कि अगले विधानसभा चुनाव में हेमंत के नेतृत्व में जीत के सारे रिकॉर्ड टूटेंगे और इसलिए पार्टी चुनाव से पहले कोई गलती नहीं करना चाहती है। इसी क्रम में कल्पना सोरेन सहित तमाम विश्वस्तों से मिले इनपुट्स को हेमंत और उनके सिपहसालारों ने सियासी लिहाज से अहम माना एवं कठोर फैसला लेने को मजबूर किया।

मिले इनपुट्स में बताया गया है कि झारखंड में ब्यूरोक्रेसी जिस तरह से काम कर रही है, वह सरकार के लिहाज से सही नहीं है। अभी कई वादे पूरे करने हैं, जिसमें नौकरी देना प्रमुख है। अगर ब्यूरोक्रेसी पर कंट्रोल नहीं किया गया तो यह शायद ही पूरा हो। ऐसे में चुनाव में नुकसान होने का खतरा है। बीते  31 जनवरी को हेमंत सोरेन गिरफ्तार हुए थे, तब उन्हें अपनी कुर्सी छोड़नी पड़ी थी।

हेमंत सोरेन जेल से बाहर आने के बाद यह सियासी संदेश देने की कोशिश की है कि केस में फंसाकर उन्हें दबाया नहीं जा सकता है। वे जहां थे, फिर से उसी पद पर जाएंगे। हाल ही में बरेहट में एक कार्यक्रम के दौरान हेमंत ने कहा था कि ‘मुझे जेल में डालकर भाजपा ने कामकाज को धीमा कर दिया है। मैं बाहर रहता तो कई काम होते’। सीएम बनकर हेमंत चंपाई के कार्यकाल में नहीं हुए काम के लिए भाजपा पर ठीकरा फोड़ना चाहते हैं, जिससे एंटी इनकंबेंसी को गौण किया जाए।

बता दें कि झारखंड में अक्टूबर-नवंबर में विधानसभा के चुनाव प्रस्तावित है। राज्य में विधानसभा की कुल 81 सीटें हैं। वर्ष 2019 में जेएमएम ने 30, कांग्रेस ने 16 और आरजेडी ने एक सीटों पर जीत हासिल की थी जबकि भाजपा को उस चुनाव में 25, झाविमो को 3, आजसू को 2,  माले को एक, एनसीपी को एक और निर्दलीय को 2 सीटों पर जीत हासिल हुई थी। पिछली बार जेएमएम, कांग्रेस और आरजेडी ने उस वक्त मिलकर सरकार बनाई थी। अब इस गठबंधन में माले भी शामिल हैं।

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