Ranchi : का हेमंत बाबू (Hemant Babu) तोंय फिर से वापस आए गेले। तोंय आले तो लागलक कि जैसे उम्मीद कर दुवार खुईल गेलक पर हामके का पता रहौव कि उ उम्मीदवा में फिर से पानी फिरे वाला हौऊ। एक तो नौकरी नै लागे लागले हौव आउर ऊपर से जे नौकरी मिलले हौऊ उ भी जाय वाला हौऊ, आखिर हेमंत बाबू तोंय करे का चाहे लागले हीस। तोंय आखिर करे का चाहिसला तोंय हामिन के बताय दे।
एक तो जब चुनाव आवेला तो हामिन के तोंय उम्मीद देविसला कि हम तोर सब दुख दुविधवा दूर कईर देबू पर जब चुनाव जीतल कर बादे तोंय जब ऊंचा ओहदा में पोंहचीसला तो उकर बादे पल्टी माइर देविसला आखिर तोंय करे का चाहिसला। हामिन मने कई दिन से भूखे-प्यासे आपन छोटका ले मांग के लेके धरना देवे लागले ही कि तोंय आबे और हामिन केर मांग के पूरा करबे।
पर ना तो तोंय आवा थिस और ना ही तोर पैगाम आवा थे। और तो और जब हामिन शांतिपूर्बक धरना देवे लागले ही तो तोंय हामिन कर ऊपर लाठी चलवाय लागले हीस। ई कोई भी एंगलवा से ठीक ना हौऊ। एक तो हामिन दिन राईत खईट के आपन काम करे लागले ही और तोंय हामिने के ऊपर लाठी चलवाय देवा थिस। ई तो बढ़ियां ना करलिस तोंय। हामिन बस छोटका ले मांग लेके तोर पास आवे चाहत रही पर ऊ खाकी वर्दी वाला मने हामिन के तोर पास नई आवे देलंई। अब तोंय बताव हामिन कर मांग पूरा होतौऊ कि नहीं।