रांची : झारखंड विधानसभा में आज विशेष सत्र है. यह सत्र सुबह 11 बजे से होगी.
जिसमें सत्तारुढ़ पार्टी और विपक्षी पार्टी के विधायक शामिल होंगे.
विशेष सत्र में हेमंत सरकार विश्वास मत पेश करेगी.
विधानसभा सचिवालय द्वारा विधायकों को भेजे गए पत्र के अनुसार, मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने
बहुमत साबित करने के लिए विश्वास मत प्रस्ताव लाने की इच्छा जाहिर की है.
इस दौरान सभी विधायकों को सदन में मौजूद रहने के लिए कहा गया है.
झारखंड विधानसभा का विशेष सत्र: विधानसभा सदस्यता पर फंसा है पेंच
दरअसल, सीएम हेमंत सोरेन की विधानसभा सदस्यता पर राज्यपाल निर्णय लेने वाले हैं.
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक सीएम हेमंत सोरेन की विधानसभा सदस्यता खतरे में है.
यह दावा किया गया था कि सीएम हेमंत सोरेन ने मुख्यमंत्री रहते हुए रांची के अनगड़ा में
अपने नाम 88 डिसमिल के क्षेत्रफल वाली पत्थर खदान लीज पर ली थी.
बीजेपी ने उठाया था सवाल
एक आरटीआई में इस बाबत जानकारी सामने आने पर बीजेपी ने इस पर सवाल उठाया था
और राज्यपाल से शिकायत की थी. चुनाव आयोग ने राज्य भवन को मंतव्य भेज दिया था. जिसके बाद से राजनीतिक गलियारों में यह चर्चा चलने लगी की हेमंत सोरेन की विधानसभा सदस्यता रद्द हो सकती है.
झारखंड विधानसभा का विशेष सत्र: आज सुबह फिर होगी बीजेपी विधायकों की बैठक
आज के विशेष सत्र से पहले आज सुबह बीजेपी विधायकों की फिर बैठक होगी. जिसमें विशेष सत्र के लिए रणनीति बनाई जायेगी. कल भाजपा विधायक दल की बैठक प्रदेश अध्यक्ष दीपक प्रकाश की अध्यक्षता में पार्टी के प्रदेश कार्यालय में सम्पन्न हुई. मीटिंग के बाद प्रेस को सम्बोधित करते हुए बाबूलाल मरांडी ने कहा कि सरकार जो कल विश्वास मत हासिल करने के लिए एक दिवसीय सत्र आहूत की है वो समझ से परे है. समान्यतः सरकार विश्वास मत तब हासिल करती है जब वैसा करने के लिए राज्य के राज्यपाल या फिर कोर्ट वैसा करने के लिये आदेश करती है. लेकिन झारखंड के मामले में ऐसा कुछ भी नहीं है. स्पष्ट है कि सरकार को अपने विधायकों पर ही भरोसा नहीं है.
विधायकों की पहरेदारी कर रहे हैं सीएम हेमंत सोरेन
मरांडी ने कहा कि मुख्यमंत्री स्वयं बस के आगे की सीट में बैठ कर पहरेदारी करते हुए सभी विधायकों को हवाई अड्डा ले गए. हद तो तब हो गयी जब कानून की धज्जियां उड़ाते हुए बस को हवाई अड्डा के भीतर ले गए. राज्य के मुख्यमंत्री को अपने ही विधायको से इतना डर है कि वे कहीं उनका साथ न छोड़ दे. इसलिये उन्हें राज्य में सरकार होने के बावजूद भी छत्तीसगढ़ लेकर चले गए. वहां पर जिस होटल में इन्हें ठहराया गया है उसे चारो तरफ से बाड़ लगाकर घेराबंदी कर दी गयी. ताकि कोई उनसे मिल न सके. विधायकों की फ़ोन भी जब्त कर ली गयी.