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हाजीपुर की इस मशहूर बागवानी का अब गया में नजारा: किसान विकास रंजन ने तीन एकड़ में लगाए केले की खेती, छठ पर्व को लेकर अभी से ही आने लगे ऑर्डर, ऐसे हो रहे मालामाल
गया: बिहार के गया में हाजीपुर का नजारा दिख रहा है। बिहार में हाजीपुर का केला काफी प्रसिद्ध है। हाजीपुर में चीनिया केले की पैदावार होती है। वहीं, गया में G-9 वैरायटी का केला बड़े पैमाने पर उपजाया जा रहा है। गया के किसान विकास कुमार रंजन ने YouTube देख कर कृषि विभाग के पदाधिकारी से बात की और फिर बड़े पैमाने पर केले की खेती शुरू की। आज उनकी तीन एकड़ भूमि में केले के कई पेड़ हैं और कई क्विंटल फल तैयार है।
बड़ी बात यह है कि केले को लेकर गया की निर्भरता जो हाजीपुर पर रहती थी, वह अब नहीं उतनी नहीं रहेगी। विकास रंजन के पास अभी से ही छठ पर्व को लेकर केले का ऑर्डर आने लगे हैं। एक तरह से केले की खेती कर किसान विकास मालोमाल भी हो रहे हैं।
गया में पहली बार कई एकड़ में केले की खेती
गया में पहली बार कई एकड़ खेतों में केले की खेती की जा रही है। बिहार में हाजीपुर के बाद पहली दफा गया जिले में बड़े पैमाने पर केले की खेती शुरू की गई है। G-9 वैरायटी का केला गया के नक्सल प्रभावित डबूर गांव में की जा रही है। किसान विकास कुमार रंजन के द्वारा केले की खेती इतने बड़े पैमाने पर लगाई गई है।
कम मेहनत, मुनाफा अधिक
केले की खेती का सबसे बड़ा फायदा यह है, कि कम मेहनत में मुनाफा ज्यादा मिल जाता है। बड़े पैमाने पर खेती की जाए, तो पौ बारह है। पहली दफा जब केले की फसल लगती है, तो तकरीबन 9 से 12 महीने का समय फल आने में लग जाता है, लेकिन दूसरी बार फल आने में सिर्फ 6-7 महीना का समय लगता है। दूसरी बार में पूंजी नहीं के बराबर लगती है, क्योंकि पूंजी पहली बार जो खेत की जुताई और जमीन बनाने में जो खर्च होता है, यह खर्च दूसरी दफा में नहीं के बराबर होता है।
पहली बार में ही लाखों का मुनाफा
किसान विनीत कुमार रंजन बताते हैं, कि हाजीपुर में जिस तरह किसान केले की खेती करते हैं, उसी तरह बड़े पैमाने पर उन्होेंने केेलेे की खेती शुरू की है। लगभग तीन एकड़ में केले की खेती लगाई है। उन्होंने 10-12 महीना पहले इसकी शुरुआत की थी जो अब फैलना शुरू हुआ है और उसकी बिक्री भी हो रही है। मुनाफा काफी अच्छा है, अभी लाखों की कमाई पहली बार में ही हो गई है। पूंजी को छोड़कर कई लाख की कमाई हुई है। दूसरी बार जब केले की बिक्री होगी तो सिर्फ मुनाफा ही मुनाफा होगा क्योंकि पहली बार में ही खर्च ज्यादा आता है इसके बाद कई सालों तक मामूली रूप से खर्च करने पड़ते हैं।
यूट्यूब से आया आईडिया
पारंपरिक खेती मुनाफे वाली नहीं साबित हो रही थी। किसान विनीत कुमार रंजन ने बताया कि सबसे पहले उन्होंने यूट्यूब पर सर्च किया तो केले की खेती का आइडिया आया। उन्हें पारंपरिक खेती जैसे गेहूं चावल की खेती से कोई खास मुनाफा नहीं हो रहा था। ऐसे में केले की खेती करने की ठानी और तीन एकड़ भूमि में केले के पौधे लगाए। आज इस से लाखों का मुनाफा कमा रहे हैं। उन्होंने बताया कि जमीन की मिट्टी का पीएच मान 6 से 8 होना चाहिए, वही 45 से 47 डिग्री तापमान में भी केला की खेती उपयुक्त है।
छठ को लेकर आ रहा ऑर्डर, गया के केले का व्रती प्रसाद में करेगें उपयोग
छठ को लेकर अभी से ही गया के केले की स्थानीय तौर पर डिमांड शुरु हो गई है। छठ व्रती बाहर के केले के बजाए गया के ही इस फल का उपयोग प्रसाद के रूप में करेगें। किसान विनीत कुमार रंजन बताते हैं कि अभी से ही छठ पर्व में प्रसाद के रूप में उपयोग के लिए लोगों द्वारा खेलने का ऑर्डर आना शुरू हो गया है।
उन्होंने बताया कि मात्र 3.30 लाख रुपए में 3 एकड़ भूमि में हजारों केले के पौधे आज फल दे रहे हैं और इससे कई लाख की उनकी कमाई हो रही है। दूसरी फसल 6 महीने में ही तैयार हो जाती है, तो ऐसे में 4 से 5 लाख रुपए छह महीना में ही आमदनी हो जाएगी। इस तरह विनीत कुमार रंजन केले की खेती कर तकरीबन 70 हजार रुपए महीने की औसतन कमाई कर रहे हैं।
https://www.youtube.com/@22scopebihar/videos
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गया से आशीष कुमार की रिपोर्ट
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