जनार्दन सिंह की रिपोर्ट
डिजिटल डेस्क : Budget 2025 में बिहार के ‘मयखाने को ना’ पर लगी मुहर, मिला मखाना बोर्ड…। शनिवार को संसद में Budget 2025 पेश करते हुए केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने ‘बिहार के लिए चुनावी मौसम में बहार’ वाली बात को अमल में लाते हुए एक साथ कई सियासी तीर भी साधे हैं।
तजुर्बेकार सियासी लोग Budget 2025 को भले ही चुनावी गिफ्ट वाले बजट का मुलम्मा पहनाएं लेकिन एक बात साफ है कि Budget 2025 ने शनिवार को बिहार में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के ‘मयखाने को ना’ पर केंद्रीय मौद्रिक मुहर लगा दी एवं लगे हाथ मखाना बोर्ड के गठन का ऐलान कर रोजगार की तलाश में युवाओं के नियमित पलायन का दंश झेल रहे बिहार के लिए रोजगार एवं आय के लिए संभावनाओं का नया पिटारा खोल दिया है।
Budget 2025 में बिहार के लिए No मयखाना, Now मखाना…
पूरे परिदृश्य पर नजर डालते हुए बिहार के लिहाज से शनिवार को संसद में पेश हुए Budget 2025 पर विश्लेषणात्मक नजर डालें तो प्रथम दृष्टया जो तस्वीर उभरती है, वह कुछ नयापन लिए हुए है। मसलन, बिहार में मयखाने बंद होने से जो लोग बेकार हो गए थे वे मखाने के कारोबार से जुड़ सकते हैं और सेहत भी बना सकते हैं।
वैसे भी बिहार का मखाना इंटरनेशनल हो चुका है लेकिन पहली बार केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने आज शनिवार को संसद में Budget 2025 पेश करते हुए मखाना बोर्ड बनाने का ऐलान करके बिहार के किसानों, कारोबारियों एवं पलायन के अंदेशे में भटकती नई पीढ़ी को को बड़ी सौगात दी है।
इस सौगात से बिहार में अब नई बहार आने वाली है। कारोबार में उछाल, पर्यटन की उड़ान, कोसी के किसानों के सपने और मिथिलांचल में मखाना के व्यवसाइयों की बहार। यानि कि चारों खाने चकाचक। केंद्र की सरकार ने Budget 2025 बिहार को हर वो मौका देने की ठानी है, जिसकी कि बिहार प्रदेश को दरकार है। इसे यूं समझें –
बिहार में नया संस्थान: बिहार में राष्ट्रीय फूड टेक्नोलॉजी संस्थान शुरू किया जाएगा। इससे पूरे पूर्वी क्षेत्र में खाद्य प्रसंस्करण क्षमताएं मजबूत करने में मदद मिलेगी। आईआईटी पटना: आईआईटी पटना में छात्रावास और एक अन्य बुनियादी ढांचा क्षमता के विस्तार का एलान किया गया। मखाना बोर्ड: किसानों की आय बढ़ाने के लिए विज्ञान और तकनीक का सहारा लिया जाएगा। ग्रीनफील्ड एयरपोर्ट: बिहार में ग्रीनफील्ड एयरपोर्ट विकसित किए जाएंगे। पटना एयरपोर्ट को विस्तार दिया जाएगा। पश्चिमी कोशी नहर परियोजना: बिहार के मिथिलांचल में पश्चिमी कोशी नहर परियोजना शुरू की जाएगी। इसके दायरे में 50 हजार हेक्टेयर का क्षेत्र आएगा।
अब लोग ठीक से जानेंगे बिहार के एक मुट्ठी मखाने की ताकत…
Budget 2025 को बिहार के चुनावी लॉलीपॉप की संज्ञा देने वालों को जरा पूरे परिदृश्य में आने वाले बदलाव के अन्य सारी पहलुओं पर भी ध्यान देना जरूरी है। तभी समझ पाएंगे कि अब न केवल देश बल्कि दुनिया के लोग ठीक से बिहार के लोगों द्वारा उपजाए वाले एक मुट्ठी मखाने की ताकत को समझ पाएंगे। मखाना बोर्ड से बिहार की अर्थव्यवस्था में बहार आएगी और गठबंधन सरकार की सेहत को भी मजबूती मिलेगी।
वाकई योजना तो दूरगामी है और भविष्य सुधारने -संवारने वाली भी। महज एक मुट्ठी मखाना खा लेने पर लंबे समय तक भूख नहीं लगती। गांव-गांव में गरीब किसान के बच्चे एक एक मुट्ठी मखाना खाकर मस्त रहते हैं। मखाना दिल के साथ-साथ शुगर (डायबिटीज) के मरीजों के लिए भी खूब लाभकारी है। यह शुगर नियंत्रित रखता है। कहते हैं कि मखाना आपको धैर्यवान बनाता है। मखाना में प्रचुर मात्रा में कैल्शियम होता है, लिहाजा इसके खाने से हड्डियां मजबूत होती हैं। इससे पाचन क्रिया में भी सुधार आता है।
मौजूदा दौर में भारत दुनिया का सबसे बड़ा मखाना उत्पादक देश है और ताज्जुब मत करिए कि देश में बिहार एकमात्र ऐसा राज्य है, जहां सबसे ज्यादा यानी करीब 80 फीसदी मखाना का उत्पादन होता है। पिछले साल मखाना का उत्पादन तकरीबन 1.30 लाख टन था। साल 2025 के आखिर तक इसका उत्पादन 1.40 लाख टन तक होने की संभावना है।
खास बात यह कि सेहत के लिए गुणकारी मखाना की मांग साल दर साल बढ़ती जा रही है। उपलब्ध ब्योरे के मुताबिक, भारत में मखाने का टर्नओवर करीब 8 अरब रुपये का है। साल 2032 तक यह आंकड़ा 19 अरब होने का अनुमान है। यानी मखाना केवल इंसान की सेहत ही नहीं बल्कि ग्रामीण अर्थव्यवस्था और सरकार की स्थिरता की सेहत को भी मजबूती देने वाला साबित होने की तैयारी में है।
मखाना बोर्ड के साथ बिहार में राष्ट्रीय फूड टेक्नोलॉजी संस्थान के मायने काफी अहम
Budget 2025 को बिहार के चुनावी लॉलीपॉप वाले चश्मे से देखने वालों को जमीनी हकीकत और बदलते टेक्नालॉजी के दौर में मखाना के लिए गठित होने वाले बोर्ड के साथ ही सप्लीमेंट के तौर पर दिए गए राष्ट्रीय फूड टेक्नोलॉजी संस्थान के दूरगामी मायनों को भी समझना होगा।
मखाना बिहार का खास खाद्य उत्पादन है। विशेषकर बाढ़ग्रस्त और तालाब क्षेत्र में मखाना की खास उपज होती है। मिथिलांचल इसके लिए खासतौर पर जाना जाता है। यूपी और झारखंड के बीच का बिहार मैथिली व मछली के लिए विख्यात है तो मखाना के लिए भी दूर-दूर तक जाना जाता है। इसकी सप्लाई देश के कोने-कोने और विदेश तक भी है। ऐसे में मखाना बोर्ड का गठन केवलमात्र बिहार के लोगों के लिए एक विशेष अवसर भर नहीं है।
बिहार प्रदेश में मखाने के उत्पादन, प्रसंस्करण, मूल्यवर्धन और विपणन में सुधार के लिए मखाना बोर्ड की स्थापना की जाएगी। साथ ही इन गतिविधियों में लगे लोगों को एफपीओ (किसान उत्पादक संगठन) में संगठित किया जाएगा, जो मखाना किसानों को समर्थन और प्रशिक्षण सहायता प्रदान करेगा। एफपीओ यह सुनिश्चित करने के लिए भी काम करेंगे कि उन्हें सभी प्रासंगिक सरकारी योजनाओं का लाभ मिले।
लगे हाथ Budget 2025 के मुताबिक, ‘पूर्वोदय’ के प्रति केंद्र सरकार की प्रतिबद्धता के अनुरूप, सरकार बिहार में एक राष्ट्रीय खाद्य प्रौद्योगिकी, उद्यमिता और प्रबंधन संस्थान की स्थापना होगी। पूर्वोदय योजना के तहत, सरकार बिहार, झारखंड, पश्चिम बंगाल, ओडिशा और आंध्र प्रदेश को शामिल करते हुए पूर्वी क्षेत्र के राज्यों का सर्वांगीण विकास कर रही है। संस्थान पूरे पूर्वी क्षेत्र में खाद्य प्रसंस्करण गतिविधियों को एक मजबूत प्रोत्साहन प्रदान करेगा। इससे किसानों के लिए उनकी उपज के मूल्य संवर्धन और युवाओं के लिए कौशल, उद्यमिता और रोजगार के अवसरों के माध्यम से आय में वृद्धि होगी।