जनार्दन सिंह की रिपोर्ट
डिजिटल डेस्क : Delhi Election Results में AAP के मंसूबों पर चला वोटरों का झाड़ू तो 27 साल बाद खिला कमल। Delhi Election Results में शनिवार को जो कुछ सामने आया है, उसमें वोटरों का झाड़ू ऐसा चला कि AAP को सत्ता से बाहर होने का संदेशा मिला जबकि 27 साल बाद दिल्ली में भाजपा की वापसी तय हो गई। Delhi Election Results ने लोकतंत्र में लोक की उस शक्ति को अनकहे ही दिखाया है कि तुर्रम खां बनने का मुगालता कैसे धराशायी होता।
Delhi Election Results में कई साल पहले अन्य सियासी दलों की रणनीति पर जबरदस्त झाड़ू चलाकर AAP देश की राजधानी दिल्ली पर काबिज हुई थी, आज उसी दिल्ली में वोटरों ने चुपचाप झाड़ू के चुनाव चिन्ह वाली AAP के सियासी चौका लगाने के मंसूबों पर ऐसा जमकर झाड़ू फेर दिया है कि AAP के दिग्गज नतीजों के सामने सिर झुकाए खड़े होने को खिसियानी हालत में नतमस्तक हैं।
27 साल पहले दिल्ली की सत्ता से बाहर होने वाली भाजपा की देश की राजधानी की सियासत में फिर से वापसी हुई है तो दिल्ली में बसने, रमने और दिल्ली की जिंदादिली को बनाए रखने वाले प्रवासी पूरबियों (पूर्वी यूपी और बिहार के निवासियों) के मिजाज भी काफी कुछ अनकहे ही बड़े रौब से कहता हुआ दिख रहा है।
भ्रष्टाचार के खिलाफ पनपी AAP भ्रष्टाचार में ही गई…
Delhi Election Results में जो सामने आया है, उसमें अहम तथ्य यह भी है कि भष्टाचार के खिलाफ आंदोलन से निकली अरविंद केजरीवाल की AAP (आम आदमी पार्टी) को भ्रष्टाचार के बड़े आरोप लगे। सभी जानते हैं कि अरविंद केजरीवाल की पार्टी AAP भ्रष्टाचार आंदोलन से निकलकर आई थी, लेकिन चंद साल बाद ही AAP के बड़े नेताओं पर भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप लगे।
अरविंद केजरीवाल, मनीष सिसोदिया और संजय सिंह को तो शराब घोटाले में जेल तक जाना पड़ गया। AAP पर जो गंभीर आरोप लगे, उसके नैरेटिव को पार्टी खत्म नहीं कर पाई। इसके अलावा कैग की रिपोर्ट में भी AAP पर हॉस्पिटल निर्माण आदि में भ्रष्टाचार के आरोप लगे।
AAP ने कैग की रिपोर्ट पर बहस कराने की बजाय इसे इग्नोर करने की कोशिश की। पूरे चुनाव में भ्रष्टाचार के मुद्दे की गूंज रही। केजरीवाल ने हमेशा से वीआईपी कल्चर पर सवाल उठाए, लेकिन इस बार शीश महल को लेकर उन पर ही सवाल खड़े हो गए। भाजपा-कांग्रेस ने AAP को जमकर घेरा।
भाजपा ने दिल्ली में मुख्यमंत्री आवास को आलीशान तरीके से बनाने और उस पर करोड़ों रुपये खर्च करने का मुद्दा उठाया। भाजपा ने कई पोस्टर जारी कर केजरीवाल को इस मुद्दे पर घेरा। कांग्रेस ने भी इस मुद्दे को उठाया। देश की संसद में भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से लेकर तमाम नेताओं ने AAP को इस मुद्दे पर घेरा।
मुसलमानों पर AAP की चुप्पी और कांग्रेस की दमदारी भी रहे अहम कारण
Delhi Election Results पर गौर करने के क्रम में पूरे परिदृश्य पर बारीकी से गौर करना भी जरूरी है। आम आदमी पार्टी यानी AAP को पिछले 2 चुनावों में मुस्लिम और दलित बहुल इलाकों में बड़ी जीत मिली थी, लेकिन इस बार दोनों ही इलाकों में आप से ये वोटर्स छिटकते नजर आए हैं।
दरअसल, दिल्ली में जब भी मुसलमानों पर संकट आया, AAP मुखर होने की बजाय मौन हो गई। मुसलमानों को AAP की ऐन मौके पर चुप्पी काफी अखरी है। इस चुनाव में मुसलमानों ने एकतरफा AAP को सपोर्ट नहीं किया, जिसके कारण AAP कई जगह कांटे के मुकाबले में पिछड़ गई।
इसके अलावा कांग्रेस ने AAP का खेल बिगाड़ दिया है। कांग्रेस को इस चुनाव में पिछली बार से काफी ज्यादा वोट मिले हैं। AAP उन्हीं सीटों पर पिछड़ी है, जहां कांग्रेस मजबूत स्थिति में थी। कांग्रेस के अलावा असदुद्दीन ओवैसी की एआईएमआईएम ने भी AAP का नुकसान किया है। एआईएमआईएम के दो उम्मीदवार दिल्ली के दंगल में उतरे थे।
पिछले दो विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने एक भी सीट नहीं जीती। हालांकि, 2015 में कांग्रेस को 9.7 फीसदी तो 2020 में 4.3 फीसदी वोट मिले। इस बार यह आंकड़ा 6.62 फीसदी वोट मिलते दिखाई दे रहे हैं। लोकसभा में विपक्षी एकता का नारा लगाकर भाजपा को चुनौती देने वाली AAP और कांग्रेस की विधानसभा चुनाव में राहें अलग-अलग हो गईं।
कांग्रेस ने विधानसभा चुनाव में पूरी ताकत झोंकी। इसका असर परिणामों में दिखाई दे रहा है। कांग्रेस का वोट शेयर बढ़ने की वजह से ‘AAP’ को नुकसान होता दिखाई दे रहा है।
सफाई, सड़कें, जलभराव के साथ ही PM Modi के ‘आपदा’ नैरेटिव में फंस गई AAP…
दिल्ली की सत्ता पर काबिज होने से पहले से AAP नेता अरविंद केजरीवाल और तमाम AAP नेता यमुना की सफाई के मुद्दे को उठाते रहे थे। तत्कालीन दिल्ली की सरकार को आड़े हाथों लेकर सभी AAP नेताओं ने सरकार में आने पर नदी को साफ करने का दावा किया था। उसके बाद दिल्ली की जनता ने AAP को सरकार बनाने का मौका दिया।
हालांकि, सालों साल तक AAP के सत्ता में रहने के बाद भी यमुना साफ नहीं हो पाई। इस बार जब चुनाव प्रचार चल रहा था तो AAP के खिलाफ मजबूती से इसी पूरे प्रकरण को उत्तर प्रदेश के CM Yogi आदित्यनाथ ने दिल्ली पहुंचकर AAP और केजरीवाल को चुनौती दी।
CM Yogi ने दिल्ली के चुनावी जनसभा में कहा था, ‘मैंने तो अपनी कैबिनेट के साथ संगम में डुबकी लगाई है, पर क्या केजरीवाल अपने साथियों के साथ यमुना में डुबकी लगा सकते हैं?’ उसके बाद अरविंद केजरीवाल ने यमुना के जहरीले पानी का मुद्दा उठाया। केजरीवाल ने इसका ठीकरा हरियाणा सरकार पर फोड़ा। इस पर पलटवार करते हुए हरियाणा के मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने चुल्लू में यमुना का पानी पिया।
चुनाव आयोग ने भी इस मुद्दे पर केजरीवाल से कठिन सवाल किए। इसके अलावा दिल्ली की खस्ताहाल सड़कें और बारिश के मौसम में जलभराव के मुद्दे ने भी केजरीवाल की मुश्किलें बढ़ाईं। भाजपा-कांग्रेस दोनों ने ही इस मुद्दे पर केजरीवाल और AAP को घेरा।
इसी क्रम में एक अहम सियासी दांव में AAP घिरकर रह गई। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने चुनावी सभा में ‘AAP’ को आपदा करार दिया। उससे भाजपा कार्यकर्ताओं में जोश दोगुना हो गया। उस चुनावी नारे के साथ भाजपा के हर कदम पर केजरीवाल और उनकी पार्टी को निशाना बनाया।
किसानों के फायदे के काम हों या फिर आयुष्मान योजना हो, केंद्र की हर वह योजना, जो दिल्ली में AAP सरकार ने लागू नहीं की, अन्य राज्यों को उससे होने वाले लाभ भाजपा ने दिल्ली की जनता को बताए। AAP के इस रवैये को भाजपा ने आपदा करार दिया। इसी चुनावी नारे के साथ भाजपा ने AAP को टक्कर दी।
लगे हाथ रही-सही कसर हाल में संसद में पेश केंद्रीय आम बजट ने कर दिया। AAP के संयोजक अरविंद केजरीवाल सिर्फ लाभार्थी वोटरों के भरोसे थे। अरविंद केजरीवाल पिछले दो चुनाव से फ्री बिजली और पानी के जरिए अपनी राजनीति को आगे बढ़ा रहे थे। ये लाभार्थी वर्ग मिडिल और लोअर क्लास के थे। दिल्ली के दंगल से पहले भाजपा ने इन वोटरों को साध लिया। भाजपा ने 12 लाख तक टैक्स फ्री कर अरविंद केजरीवाल का खेल कर दिया।