खाली हो रहा विदेशी मुद्रा भंडार और बढ़ रहा विदेशी कर्जों का बोझ
नई दिल्ली : पाकिस्तान पर श्रीलंका जैसी आर्थिक बदहाली का खतरा बढ़ गया है.
लगातार घटता विदेशी मुद्रा भंडार और विदेशी कर्जों का बढ़ता बोझ,
इस संकट को और भी पेचीदा बना रहा है.
वहां का राजनीतिक नेतृत्व इससे निबटने के लिए किस तरह की कोशिशें कर रहा है,
उसे समझने के लिए पाकिस्तान कैबिनेट द्वारा दो दिनों पूर्व मंजूर किए गए
अध्यादेश के बारे में जानना काफी होगा.
इस अध्यादेश में सरकार अपनी संपत्ति या हिस्सेदारी दूसरे देशों को बेचेगी.
बिक्री प्रक्रिया को किसी अदालत में चुनौती नहीं दी जा सकेगी.
हालांकि पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान, शहबाज सरकार के इस फैसले का तीखा विरोध कर रहे हैं.
पाकिस्तान के प्रमुख अखबार `डॉन’ के मुताबिक इमरान खान ने कहा है कि देश को लूटने वालों को राष्ट्रीय संपत्ति को बेचने का अधिकार नहीं दिया जाना चाहिए. वह भी बिक्री प्रक्रिया के तमाम मानदंडों को नजरअंदाज करते हुए. इसे लेकर इमरान खान ने ट्वीट करते हुए कहा है कि उनकी पार्टी पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ सरकार की ऐसी कोशिशों का विरोध करती रहेगी.
क्या है अध्यादेश
पाकिस्तान सरकार ने गुरुवार को अंतर-सरकारी वाणिज्यिक लेनदेन अध्यादेश 2022 को मंजूरी दी थी. जिसमें प्रावधान किया गया है कि सरकार द्वारा संपत्ति या हिस्सेदारी दूसरे देशों को बेचने के खिलाफ दायर याचिका पर अदालत सुनवाई नहीं करेगी. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक राष्ट्रपति आरिफ अल्वी ने अभीतक अध्यादेश पर हस्ताक्षर नहीं किए हैं.
अध्यादेश लाने की वजह
पाकिस्तान सरकार ने तेल और गैस कंपनियों में हिस्सेदारी और सरकारी बिजली कंपनी को 2-2.5 अरब डॉलर में संयुक्त अरब अमीरात को बेचने के लिए लिया गया है जिससे कि देश पर दिवालिया होने के खतरे को टाला जा सके. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक संयुक्त अरब अमीरात ने मई में पाकिस्तान की बैंकों में नकदी जमा करने से इनकार कर दिया था क्योंकि वह कर्जों की अदायगी नहीं कर सका. इसके साथ ही पिछले माह चीन से 2.3 अरब डॉलर का कर्ज मिलने के बावजूद स्टेट बैंक ऑफ पाकिस्तान के विदेशी मुद्रा भंडार में काफी गिरावट रही.