बाहरी-भीतरी की नहीं, शोषण के खिलाफ हमारी लड़ाई- जयराम महतो

  • बाहरी-भीतरी की नहीं, शोषण के खिलाफ हमारी लड़ाई- जयराम महतो
  • झारखंड में ही वर्चस्व के लिए लड़ाई क्याें, अन्य राज्यों में क्यों नहीं  
  • झारखंड की राजनीति में वंशवाद को समाप्त करने की जरूरत 
  • झारखंड को उनके अधिकर और हक से वंचित करना गलत है

हजारीबागः जिले के मटवारी स्थित गांधी मैदान में बदलाव संकल्प महासभा का आयोजन किया गया. जयराम महतो ने बदलाव संकल्प महासभा में अपनी विचारधारा को स्पष्ट करते हुए कहा कि ये बाहरी भीतरी की लड़ाई नहीं है, ये लड़ाई शोषण के खिलाफ है, जितने अत्याचार हम पर हुए, उसके खिलाफ यह लड़ाई है. उन्होंने ने कहा कि हमारी लड़ाई हमारे अधिकार के लिए है. उन्होंने कहा कि अलग राज्य का निर्माण यह के लोगों के विकास के लिए हुआ था. लेकिन आज यह राज्य बेरोजगार और मजदूरों के लिए जाना जा रहा है.

जयराम महतो

झारखंड में ही वर्चस्व के लिए लड़ाई क्याें, अन्य राज्यों में क्यों नहीं  

जयराम ने कहा कि मीडिया के माध्यम से सुनते आ रहे है कि भारत एक संवैधानिक देश है, कोई भी कहीं भी जा कर बस सकता है, यह अच्छी बात है. लेकिन ये सिर्फ झारखंड में ही क्यों, अन्य राज्यों में क्यों नहीं है. अन्य राज्यों में अपना वर्चस्व क्यों नहीं बनाते. जितने भी बाहरी लोग झारखण्ड में पद पर बैठे है, वह जवाब दे कि अन्य राज्य में कितने विधायक या सांसद है. जबकि झारखंड में विधायक और नेता सब बाहरी है और हमारे ही राज्य में हमसे आंख दिखा कर बात करते हैं. बाकी राज्यों मे भी बाहरी लोग है, वहां आपके क्या अधिकार है, इसका जवाब दिजीए.

बदलाव संकल्प महासभा

झारखंड की राजनीति में वंशवाद को समाप्त करने की जरूरत 

जयराम महतो ने कहा कि बाहरी सांसद झारखंड को चला रहे है. झारखंड में वंशवाद की राजनीति चल रही है. हजारीबाग में सांसद और सांसद के बाप भी बिहार से है. जयराम ने जयंत सिन्हा पर कटाक्ष करते हुए कहा कि बाप सांसद, खुद भी सांसद और अब बेटा को भी राजनीति कराएंगे. जयराम ने कहा कि बाहरियों के वंशवाद को समाप्त करने की जरूरत है.

झारखंड को उनके अधिकर और हक से वंचित करना गलत है

जय राम महतो ने कहा कि हम बिहार को बड़े भाई की तरह मानते हैं, जिस प्रकार बड़े भाई के विवाह के बाद अलग अधिकार, चूल्हा और खेत दिया जाता है, इसके बाद बड़े भाई का छोटे भाई के चूल्हे में खाना पकाना और खेत में खेती करना सही नहीं है, उसी प्रकार झारखंड बिहार का छोटा भाई है और बिहार को विभाजन के बाद उसका हक और अधिकर दिया जा चुका है. इसलिए बिहार को अपने छोटे भाई झारखंड के अधिकर और हक से वंचित करना गलत है.

 

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