Jharkhand Excise Update: नई उत्पाद नीति के बाद रिकॉर्डतोड़ शराब बिक्री, 15 दिन में दोगुना कारोबार

झारखंड में नई उत्पाद नीति लागू होने के बाद सितंबर 2025 के पहले 15 दिन में रिकॉर्डतोड़ शराब बिक्री हुई। 242 करोड़ से ज्यादा की बिक्री, अगस्त से दोगुनी।


Jharkhand Excise Update रांची: झारखंड में शराब बिक्री का नया रिकॉर्ड बना है। राज्य सरकार की नई उत्पाद नीति 1 सितंबर 2025 से लागू होने के बाद सिर्फ 15 दिन में ही साल भर का रिकॉर्ड टूट गया। आम तौर पर होली और नए साल के मौके पर सबसे ज्यादा शराब की बिक्री दर्ज होती है, लेकिन इस बार सितंबर के पहले पखवाड़े में ही बिक्री ने सभी पुराने आंकड़े पीछे छोड़ दिए।


Key Highlights

  • नई उत्पाद नीति 1 सितंबर 2025 से लागू होने के बाद 15 दिन में रिकॉर्डतोड़ शराब बिक्री।

  • बियर की बिक्री अगस्त की तुलना में 31,643 केस अधिक हुई।

  • देसी शराब की बिक्री अगस्त के 12,158 केस से बढ़कर 46,119 केस पर पहुंची।

  • IMFL (देश में निर्मित विदेशी शराब) की बिक्री 92,183 केस बढ़ी।

  • विदेशी ब्रांड शराब की बिक्री लगभग तीन गुना हुई।

  • अगस्त में 121 करोड़ की बिक्री, सितंबर के पहले 15 दिन में 242 करोड़ से ज्यादा।


Jharkhand Excise Update:

नई नीति लागू होने के समय एमआरपी और कर संरचना में बड़ा बदलाव किया गया था। साथ ही लोकप्रिय ब्रांडों की उपलब्धता को लेकर विभाग के सामने चुनौती खड़ी हो गई थी। इसके बावजूद, विभाग की ओर से पर्याप्त आपूर्ति सुनिश्चित की गई। इसका नतीजा यह हुआ कि खुदरा दुकानदारों के पास स्टॉक की कोई कमी नहीं रही और उपभोक्ताओं की मांग पूरी हो सकी।

 बिक्री के आंकड़े

  • बियर: अगस्त 2025 में 3,09,602 केस बिके थे, जबकि 1–15 सितंबर में 3,41,245 केस बिके। यानी 31,643 केस अधिक।

  • देसी शराब: अगस्त में 12,158 केस बिके थे, जबकि सितंबर के पहले 15 दिनों में 46,119 केस बिके।

  • IMFL (देश में निर्मित विदेशी शराब): अगस्त में 1,69,139 केस बिके, जबकि सितंबर में 2,61,322 केस। यानी 92,183 केस की बढ़त।

  • विदेश में बनी विदेशी शराब: अगस्त में 603 केस बिके, जबकि सितंबर में 1,793 केस। यह लगभग तीन गुना है।

Jharkhand Excise Update: बिक्री से राजस्व

  • अगस्त 2025: कुल बिक्री ₹121.24 करोड़।

  • 1–15 सितंबर 2025: कुल बिक्री ₹242.56 करोड़।

  • यानी सिर्फ आधे महीने में अगस्त के मुकाबले लगभग दोगुना कारोबार हुआ।

नई नीति के बाद यह उछाल सरकार के लिए जहां राजस्व में बंपर वृद्धि लेकर आया है, वहीं शराब की बढ़ती खपत ने समाजशास्त्रियों और स्वास्थ्य विशेषज्ञों को चिंता में डाल दिया है।

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