रांची: झारखंड में 38.44 करोड़ रुपये के शराब घोटाले में भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (ACB) की कार्रवाई तेज हो गई है। शुक्रवार को एसीबी ने झारखंड स्टेट बिवरेज कॉरपोरेशन लिमिटेड (JSBCL) के पूर्व जीएम और तत्कालीन उत्पाद आयुक्त अमित प्रकाश से करीब दो घंटे तक पूछताछ की। उनसे फर्जी बैंक गारंटी के मामले में दो प्लेसमेंट एजेंसी मार्शन और विजन के खिलाफ कार्रवाई न करने को लेकर सवाल पूछे गए।
अब एसीबी ने उत्पाद विभाग के वर्तमान सचिव मनोज कुमार को नोटिस जारी करते हुए 16 जून को पूछताछ के लिए तलब किया है। एसीबी इस पूरे प्रकरण में अब तक डेढ़ दर्जन से अधिक अधिकारियों और एजेंसी प्रतिनिधियों से पूछताछ कर चुकी है।
पूर्व अफसर बोले – हमने सिर्फ वरीय अधिकारियों के निर्देशों का पालन किया
इस बीच, निलंबित जीएम (वित्त) सुधीर कुमार दास, पूर्व जीएम सुधीर कुमार और एजेंसी प्रतिनिधि नीरज कुमार सिंह से लगातार दूसरे दिन पूछताछ की गई। आरोप है कि इन लोगों ने मिलीभगत कर फर्जी बैंक गारंटी का इस्तेमाल किया और सरकार को करोड़ों का चूना लगाया। एसीबी ने पूछा कि हर माह ऑडिट क्यों नहीं कराया गया, जबकि वित्तीय अनियमितताएं सामने आ रही थीं।
हालांकि, दोनों अधिकारियों ने खुद को निर्दोष बताया और कहा कि उन्होंने केवल उच्च अधिकारियों के निर्देशों का पालन किया।
सूचना के अधिकार से जुटाए जवाब, एसीबी के सवालों के लिए तैयारी
पूर्व उत्पाद आयुक्त अमित प्रकाश ने एसीबी के संभावित सवालों के जवाब की तैयारी के लिए सूचना के अधिकार (RTI) के तहत विभाग से 1200 पन्नों की जानकारी जुटाई थी। इसमें उनके कार्यकाल से जुड़ी जानकारियां और एसीबी की एफआईआर का विवरण शामिल था।
छत्तीसगढ़ में भी शराब घोटाले पर कार्रवाई, कांग्रेस दफ्तर अटैच
इधर, छत्तीसगढ़ में भी शराब घोटाले की जांच ने तूल पकड़ लिया है। प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने शुक्रवार को 2161 करोड़ के घोटाले में बड़ी कार्रवाई करते हुए पूर्व आबकारी मंत्री कवासी लखमा और उनके बेटे हरीश लखमा की 6.15 करोड़ की संपत्ति अटैच कर दी।
ईडी ने दावा किया है कि सुकमा में कांग्रेस कार्यालय के निर्माण में घोटाले के पैसे का उपयोग हुआ। वहीं, गवाहों के अनुसार लखमा को हर माह 2 करोड़ का कमीशन मिलता था। इस पैसे से उन्होंने विधायक कॉलोनी में मकान का निर्माण भी कराया।
एसीबी की जांच जारी, एजेंसियों से बकाया वसूली और एमआरपी से अधिक मूल्य पर बिक्री की भी होगी जांच
झारखंड में एसीबी की जांच के तहत अब प्लेसमेंट एजेंसियों से बकाया वसूली, शराब की एमआरपी से अधिक कीमत पर बिक्री और राज्य में स्टॉक की कमी जैसे मुद्दों पर भी सवाल पूछे जाएंगे।
जांच एजेंसी ने साफ किया है कि दोषी पाए जाने पर किसी को भी नहीं बख्शा जाएगा, चाहे वह पूर्व अधिकारी हों या वर्तमान पदाधिकारी।