रांची : खान आवंटित और शेल कंपनी मामले में 10 जून होगी सुनवाई- झारखंड हाई कोर्ट ने
मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन और उनके करीबियों की सेल कंपनियों पर दाखिल याचिका को वैध माना है.
अब इसकी सुनवाई मेरिट के आधार पर होगी.
अदालत ने सीएम को लीज आवंटन और शेल कम्पनियों में निवेश के खिलाफ दाखिल याचिका को सुनवाई योग्य माना.
कोर्ट ने कहा कि शेल कम्पनी वाले मामले में
राज्य सरकार की ओर से कपिल सिब्बल ने वैधता पर आपत्ति जताई थी.
वहीं सीएम को लीज देने के मामले में सीएम की ओर से मुकुल रोहतगी ने वैधता पर सवाल उठाया था.
अदालत ने दोनों याचिका को वैध मानते हुए सुनवाई के लिए स्वीकार कर लिया.
इन दोनों याचिकाओं पर सुनवाई 10 जून को होगी.
महाधिवक्ता ने कोर्ट का आदेश जल्द अपलोड करने का आग्रह किया. राज्य सरकार की ओर से महाधिवक्ता ने आदेश की कॉपी आने तक समय की मांग की.
ईडी की जांच में मिले कई तथ्य
बता दें कि 1 जून को इस मामले पर झारखंड हाईकोर्ट में सुनवाई हुई थी और अदालत ने फैसला सुरक्षित रख लिया था. सुनवाई के दौरान राज्य सरकार के अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने याचिका को झारखंड हाई कोर्ट रूल के हिसाब से दाखिल नहीं करने और वादी द्वारा कई तथ्यों को छुपाने का आरोप लगाते हुए याचिका खारिज करने की मांग की थी.
सुनवाई के दौरान विधि की ओर से तुषार मेहता ने कहा कि ईडी की जांच में कई तथ्य चौंकाने वाले मिले हैं और मनी लॉन्ड्रिंग करने की प्रथम दृष्टया अपराध भी हुआ है. ऐसे में अगर वादी की ओर से तकनीकी त्रुटि होती है तो इस आधार पर विवाद को खारिज नहीं कर सकते हैं.
खनिज संपदा राष्ट्र की संपत्ति
इस मामले के महत्व को देखते हुए झारखंड हाई कोर्ट संविधान के अनुच्छेद 226 के द्वारा प्रदत शक्तियों का प्रयोग करते हुए उचित आदेश पारित कर सकती है जो लोक हित में जरूरी है. उन्होंने अदालत को बताया कि राज्य में अवैध खनन का मुद्दा वादी की ओर से उठाया गया है. खनिज संपदा राष्ट्र की संपत्ति है और सरकार और अधिकारियों के ट्रस्टी होते हैं जो उनकी सुरक्षा के लिए होते हैं ना कि नियमों के उल्लंघन कर उसका दोहन करने के लिए. उन्होंने कहा अदालत वादी की स्थिति को देखते हुए भले ही वादी को इसके से बाहर कर सकती है लेकिन लोकहित में याचिका को खारिज नहीं किया जा सकता.
रिपोर्ट: प्रोजेश दास