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Saturday, April 20, 2024

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Vice President Election: मार्गरेट अल्वा को समर्थन करेगा झामुमो, जारी किया पत्र

रांची : विपक्षी उम्मीदवार अल्वा को झामुमो समर्थन करेगा.

झारखंड की सत्तारुढ़ पार्टी ने इसके लिए पत्र जारी कर दिया है.

सभी सांसदों को मार्गरेट अल्वा के पक्ष में मतदान करने का निर्देश जेएएम ने दिया.

उपराष्ट्रपति का चुनाव 6 अगस्त को होना है.

बता दें कि राष्ट्रपति चुनाव में एनडीए की उम्मीदवार द्रौपदी मुर्मू को झामुमो ने वोट किया था.

उपराष्ट्रपति का चुनाव पार्टी व्हिप के अधीन नहीं है और इसमें गुप्त मतदान होता है. इसका उद्देश्य सदस्यों को एक ऐसे उम्मीदवार के लिए बिना किसी भय के मतदान का अवसर देना जिनके बारे में उन्हें विश्वास है कि वह इस महत्वपूर्ण पद के साथ न्याय करेगा – करेगी. अल्वा ने कहा कि मेरा एकमात्र उद्देश्य बिना किसी भय के भारत के संविधान की रक्षा करना रहा है.

मार्गरेट अल्वा ने सांसदों को पत्र लिख कर की समर्थन की अपील

विपक्ष की उम्मीदवार मार्गरेट अल्वा ने लोकसभा और

राज्यसभा सांसदों को पत्र लिख कर समर्थन की अपील की है.

उन्होंने कहा कि निर्वाचित होने पर वह विभिन्न राजनीतिक दलों के बीच सेतु बनाने,

राष्ट्रीय मुद्दों पर आम सहमति बनाने और संसद के गौरव को बहाल करने के लिए काम करेंगी.

उपराष्ट्रपति चुनाव 6 अगस्त को है.

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पत्र में अल्वा ने कहा कि मैं आपको यह पत्र, छह अगस्त को आपका समर्थन और आपका वोट मांगने के लिए लिख रही हूं. उन्होंने कहा कि उपराष्ट्रपति चुनाव को इस बारे में एक जनमत संग्रह के तौर पर देखा जाना चाहिए कि संसद किस तरह से संचालित हो रही है और राष्ट्रीय मुद्दों पर आम सहमति बनाने की लोकतांत्रिक प्रक्रिया किस कदर नाकाम हो गई है.

उन्होंने कहा कि उम्मीदवार के तौर पर उनके नामांकन के लिए बड़ी संख्या में राजनीतिक दलों से समर्थन मिलना उनके द्वारा सार्वजनिक जीवन में बिताए गए 50 से अधिक वर्षों को मान्यता देता है. उक्त अवधि के दौरान वह संसद के दोनों सदनों की सदस्य, केंद्रीय मंत्री और राज्यपाल रही हैं तथा उन्होंने संयुक्त राष्ट्र एवं अन्य वैश्विक मंचों पर भारत की एक प्रतिनिधि तौर सेवा दी.

एनडीए के उम्मीदवार पश्चिम बंगाल के पूर्व राज्यपाल जगदीप धनखड़ के खिलाफ खड़ी अल्वा ने सांसदों से कहा कि आज, संसद में व्यक्तिगत हमलों और दुर्व्यवहार के बिना राष्ट्रीय महत्व के मुद्दों पर चर्चा करने में अविश्वास, गुस्सा और असमर्थता व्याप्त है. इससे संसद और उसके सदस्यों के प्रति लोगों के बीच सम्मान घटता है. उन्होंने कहा कि अब परिवर्तन का समय है.

रिपोर्ट: शाहनवाज

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